उत्तर:- जो चरित्रहीन लड़के-लड़की होते हैं, वे चलते समय अजीबो-गरीब ऐक्टिंग करते हैं। उन लजमारों की दृष्टि भी टेढ़ी-मेढ़ी चलती है। कभी बनावटी मुस्कराना। मुड़-मुड़कर आगे-पीछे देखना। चटक-मटककर चलना उन पापात्माओं का शौक होता है जो अंत में प्रेम विवाह का रूप बन जाता है। बाद में उनको पता चलता है कि दोनों के अन्य भी प्रेमी-प्रमिकाऐं थी। फिर उनकी दशा भगवान शिवजी-पार्वती वाली होती है। न घर के रहते हैं, न घाट के। विवाह करने का उद्देश्य ऊपर बता दिया है। इससे हटकर जो भी कदम युवा उठाते हैं, वह जीवन सफर को नरक बनाने वाला होता है। यदि किसी का प्रेम सम्बन्ध भी बन जाए तो इस बात का ध्यान अवश्य रखे कि अपने समाज की मर्यादा (जैसे गोत्र, गाँव तथा विवाह क्षेत्र) भंग न होती हो जिससे कुल व माता-पिता की इज्जत को ठेस पहुँचे। गलती से ऐसा हो भी जाए और बाद में पता चले तो लड़के-लड़की को चाहिए कि तुरंत उस प्रेम को तोड़ दें। अंतरजातिय विवाह वर्तमान में करने में कोई हानि नहीं है, परंतु उपरोक्त मर्यादा का ध्यान अवश्य रखें। भगवान शिव जी ने भी देवी पार्वती को इसी कारण से त्यागा था। कथा इस प्रकार है:-
लव और अरेंज मैरिज दोनों ही सफल हो सकते हैं। लेकिन उनमें माता-पिता की सहमति होना ज़रुरी है क्योंकि माता-पिता आमतौर पर अपने बच्चों के हित को ध्यान में रखकर ही फैसले लेते हैं।
माता-पिता के पास बहुमूल्य ज्ञान और ज़िंदगी जीने का तजुरबा होता है। उनकी इच्छा के विरुद्ध जाकर काम करने से बाद में पछताना पड़ सकता है। खासकर बात जब विवाह की हो तो उनकी राय अवश्य लेनी चाहिए। ऐसा न करने से जोड़े को माता-पिता का समर्थन नहीं मिलता है।
अरेंज और लव मैरिज दोनों की सफलता आपसी समझ और परिवार के समर्थन आदि बातों पर निर्भर करती है। इस तरह दोनों प्रकार के विवाह भी सफल हो सकते हैं अगर उनमें उपरोक्त तथ्यों का ध्यान रखा जाए।
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Mohit Rastog
प्रेम विवाह ज्यादातर असफल क्यों होते हैं जबकि देखने में आता है कि अरेंज मैरिज ज्यादातर सफल ही होती है?
Satlok Ashram
अगर दोनों परिवार के सदस्यों की सहमति से विवाह किया जाए तो सफलता प्राप्त हो सकती है। आपसी समझ और परिवार की मदद से भी विवाह सफल होते देखे गए हैं। जबकि पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव जी और पार्वती जी का प्रेम विवाह असफल रहा था। इसका सबसे बड़ा कारण यही था कि पार्वती जी यानि कि सती जी के पिता दक्ष उनके विवाह से सहमत नहीं थे।