एक दिन समाचार पत्र में पढ़ा कि रोहतक का लड़का भिवानी विवाह के लिए कार में जा रहा था। उसके साथ दोनों बहनों के पति भी उसी कार में सवार थे। पहले दिन सब परिवार वाले (बहनें, माता-पिता, भाई-बटेऊ, चाचे-ताऊ) डी.जे बजाकर नाच रहे थे। उधमस उतार रखा था। कलानौर के पास दुल्हे वाली गाड़ी बड़े ट्राले से टकराई। सर्व कार के यात्री मारे गए। दुल्हा मरा, दोनों बहनें विधवा हुई। एक ही पुत्र था, सर्वनाश हो गया। अब नाच लो डी.जे. बजाकर। परमात्मा की भक्ति करने से ऐसे संकट टल जाते हैं। इसलिए मेरे (रामपाल दास के) अनुयाईयों को सख्त आदेश है कि परमात्मा से डरकर कार्य करो। सामान्य विधि से विवाह करो। इस गंदे लोक (काल के लोक) में एक पल का विश्वास नहीं कि कब बिजली गिर जाए।
विवाह में ज्ञानहीन नाचा करते हैं। इस बात का तो इतिहास भी गवाह है कि पहले के समय में विवाह में नाचने का काम पैसा लेकर वेश्याएं किया करती थीं जिनको सामाजिक दृष्टि से अच्छा नहीं माना जाता था। परंतु आज परिवार का हर सदस्य डांगरों की तरह सड़कों पर विवाह में नाचता दिखाई देता है। यह सभ्य समाज के लिए बहुत ही शर्मनाक बात है। पहले किसी भी अवसर पर नाचना एक सामाजिक बुराई माना जाता था तो आज हर अवसर पर लोग शराब पीकर, तेज़ डीजे बजाकर, ऊल-जलूल गानों पर, असभ्य कपड़े पहनकर नाचते हैं। यह सभ्य समाज के लिए शान की नहीं शर्म की बात है।
बिल्कुल भी नहीं। शादी ब्याह में नाचना आध्यात्मिक ज्ञान की कमी के कारण हो रहा है। इस गंदे लोक (काल के लोक) में एक पल का विश्वास नहीं कि कब किस पर बिजली गिर जाए। वैवाहिक जीवन में आने वाली मुसीबतों से बचने के लिए पहले शादियों में नाचने जैसी बुराई त्यागनी पड़ेगी। इसके साथ ही युवाओं को तत्वदर्शी संत से नाम दीक्षा लेकर साधारण तरीके से रमैनी विवाह करना चाहिए। फिर तत्वदर्शी संत के बताए अनुसार जीवन व्यतीत करना चाहिए। इस तरह वैवाहिक जीवन में आने वाली कठिनाइयों से बचा जा सकता है।
साधारण तरीके से शादी करने से दोनों परिवारों को फायदा होता है क्योंकि इसमें खर्चा नाममात्र होता है और झूठी व नकली परंपराओं के बोझ से आसानी से बचा जा सकता है। इसके अलावा इस तरह के विवाह दहेज जैसी कुप्रथा को खत्म करने और लोगों को यह विश्वास दिलाने में भी मदद करते हैं कि सभी को धन का झूठा दिखावा करने से बचना चाहिए। सादगी से किए गए विवाह से तो ईश्वर भी प्रसन्न होते हैं।
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Dhanushree Desai
मैंने आपकी वेबसाइट पर प्रकाशित कुछ लेख पढ़े हैं। उनको पढ़ने के बाद मुझे आश्चर्य भी हुआ कि आप सामाजिक बुराइयों को मिटाने के लिए बहुत पुण्य का काम कर रहे हैं। लेकिन मैं आपकी इस बात से सहमत नहीं हूं कि हमें शादियों में नाचना नहीं चाहिए। देखिए शादियां तो खुशी और उत्साह से भरा समय होता है। इसलिए उनमें नाचने से किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
Satlok Ashram
आपको हमारे लिखे लेख अच्छे लगे इसके लिए हम आपके आभारी हैं। शादियां तब ही खुशी और आनंद दे सकती हैं जब वह हमारे पवित्र शास्त्रों के अनुसार की जाएं। श्री देवी पुराण में वर्णन है कि देवी दुर्गा जी ने अपने तीनों पुत्रों का विवाह सादे तरीके से किया था। अगर विवाह हमारे शास्त्रों में वर्णित तरीके से किया जाए तो वह समाज और परिवार दोनों के लिए उत्तम है। आपने कहा विवाह खुशी और उत्साह का समय होता है परन्तु विवाह में ज्ञानहीन नाचा करते हैं। विवाह संस्कार कैसे जुड़ते हैं? विवाह कैसे करना चाहिए? ऐसे ही प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के प्रवचनों को सुनिए और आध्यात्मिक पुस्तक 'जीने की राह' को हमारी वेबसाइट से मुफ्त में डाउनलोड करके अवश्य पढ़िए।