25. तम्बाकू से गधे-घोड़े भी घृणा करते हैं | जीने की राह


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एक दिन संत गरीबदास जी (गाँव-छुड़ानी, जिला-झज्जर वाले) किसी कार्यवश घोड़े पर सवार होकर जींद जिले में किसी गाँव में जा रहे थे। मार्ग में गाँव मालखेड़ी (जिला जींद) के खेत थे। उन खेतों में से घोड़े पर बैठकर जा रहे थे। गेहूँ की फसल खेतों में खड़ी थी। घोड़ा रास्ता छोड़कर गेहूँ की फसल के बीचों-बीच चलने लगा। खेतों में फसल के रखवाले थे। वे लाठी-डण्डे लेकर दौड़े और संत गरीबदास जी को मारने लगे कि तेरा दिमाग खराब हो गया है क्या? हमारी फसल का नाश करा दिया। घोड़े को सीधा नहीं चला सकता। ज्यों ही उन्होंने संत गरीबदास जी को लाठी मारने की कोशिश की तो उनके हाथ ऊपर को ही जाम हो गए। सब अपनी-अपनी जगह पत्थर की मूर्ति के समान खड़े हो गए। पाँच मिनट तक उसी प्रकार रहे। फिर संत गरीबदास जी ने अपना हाथ आशीर्वाद देने की स्थिति में किया तो उनकी स्तंभता टूट गई और सब पीठ के बल गिरे। लाठियाँ हाथ से छूट गई। ऐसे हो गए जैसे अधरंग हो गया हो। रखवालों को समझते देर नहीं लगी कि यह सामान्य व्यक्ति नहीं है। सबने रोते हुए क्षमा याचना की। तब संत गरीबदास जी ने कहा कि भले पुरूषो! क्या राह चलते व्यक्ति के साथ ऐसा व्यवहार करते हैं। मारने को दौड़े हो। पहले तो यह जानना चाहिए था कि किस कारण से घोड़ा फसल के बीच में ले गए हो? वे किसान बोले, अब बताईये जी, घोड़ा किस कारण से फसल में चला गया था? संत गरीबदास जी ने पूछा कि इस खेत में इस फसल से पहले क्या बीज रखा था। उन्होंने बताया कि ज्वार बोई थी। उससे पहले क्या बोया था? उन्होंने बताया कि तम्बाकू बीजा था। संत गरीबदास जी ने बताया कि उस तम्बाकू की बदबू अभी तक इस खेत में उठ रही है। उसकी बदबू से परेशान होकर मेरा घोड़ा रास्ता त्यागकर दूर से जाने लगा। उस तम्बाकू को आप पीते हो, आप तो पशुओं से भी गये-गुजरे हो। सुन लो ध्यान से! इस के बाद इस गाँव में कोई व्यक्ति हुक्का नहीं पीएगा, तम्बाकू सेवन नहीं करेगा। यदि आज्ञा का पालन नहीं हुआ तो गाँव को बहुत हानि हो जाएगी। उस समय तो सबने हाँ कर दी। संत के चले जाने के पश्चात् बोले कि भर ले न हुकटी! जब होकटी (छोटा हुक्का) भरने लगे तो हाथ से चिलम छूटकर फूट गई। दूसरी होकटी की चिलम लाए, वह भी हाथ में ही चूर-चूर हो गई। खेत में जितनी होक्की थी, सब टूट गई। चिलम भी फूट गई। रखवाले डर गए कि उस संत की लीला है। गाँव गए तो गाँव के सब हुक्के टूट गए, चिलम फूट गई। पूरे गाँव में हड़कंप मच गया। भय का वातावरण हो गया। रखवाले गाँव में आए तो कारण का पता चला। उस दिन के पश्चात् गाँव में वर्तमान तक हुक्का (तम्बाकू सेवन) कोई नहीं पीता। गाँव का नाम है ‘‘मालखेड़ी’’।

हुक्का पीने वाले कहते हैं कि ले मेरे पास कड़वा तम्बाकू है, यह भर ले चिलम में। दूसरा कहता है कि यह मेरे वाला अधिक कड़वा है। संत गरीबदास जी ने बताया है कि मृत्यु के उपरांत यम के दूत उस कड़वा तम्बाकू पीने वाले के मुख में मूत देते हैं। कहते हैं कि तू अधिक कड़वा-कड़वा तम्बाकू पीना चाहता था, ले प्यारे! कड़वा मूत पी ले। मुत्र की धार उसका मुख खोलकर मुख में लगाते हैं। 

संत गरीबदास जी ने यह तो एक लीला करके बुराई छुड़ाई थी। ज्ञान से जो प्रभाव पड़ता है, वह सदा के लिए बुराई छुड़ा देता है। ज्ञान सत्संग से होता है। सत्संग सुनने की रूचि पैदा करो। सत्संग सुनो।

निवेदन:- उपरोक्त बुराई सर्वथा त्याग दें। इससे जीवन का मार्ग सुहेला हो जाएगा।


 

FAQs : "तम्बाकू से गधे-घोड़े भी घृणा करते हैं | जीने की राह"

Q.1 क्या सचमुच आध्यात्मिक मार्ग में तम्बाकू पीना पाप माना जाता है?

शरीर को एक पवित्र पात्र की तरह माना जाता है। मानव शरीर में भगवान बसते हैं और मानव शरीर से ही परमात्मा को पाया जा सकता है। यह शरीर विभिन्न देवी-देवताओं का निवास स्थान भी है। आध्यात्मिक मार्ग के अनुसार धूम्रपान करना, किसी भी तरह से तंबाकू का सेवन करना या अन्य नशीले पदार्थो का प्रयोग करना पाप है क्योंकि इससे शरीर को नुकसान पहुंचता है और परमात्मा प्राप्ति का मार्ग अवरूद्ध होता है।

Q.2 तम्बाकू का उपयोग किसी व्यक्ति के आध्यात्मिक मार्ग को कैसे प्रभावित करता है?

तम्बाकू का उपयोग आध्यात्मिक मार्ग के लिए हानिकारक माना जाता है क्योंकि यह शरीर को भी भारी नुकसान पहुँचाता है और इसके उपयोग से जीवनशैली प्रभावित होता है। तंबाकू हमारे शरीर में निवास करने वाले देवी-देवताओं को भी दुख पहुंचाता है और शरीर के अंदरूनी ढांचे में भी अवरोध पैदा करता है। यह हमें परमात्मा से दूर करता है। इसका सेवन कभी भी किसी को भी नहीं करना चाहिए।

Q. 3 तम्बाकू का ईश्वर से क्या संबंध है?

तम्बाकू का प्रयोग करने वाले व्यक्ति को ईश्वर की प्राप्ति नहीं हो सकती क्योंकि तम्बाकू की खेती गाय के खून से शुरू हुई थी और इसलिए इसके सेवन को पाप माना जाता है। अधिक जानकारी हेतु यूट्यूब चैनल पर संत रामपाल जी महाराज जी का सत्संग सुनें।

Q.4 क्या धूम्रपान करना ध्यान और एकाग्रता को प्रभावित करता है?

जी हां बिल्कुल, धूम्रपान शारीरिक और मानसिक विकार पैदा करता है। इससे ध्यान और एकाग्रता प्रभावित होती है। यह मनुष्य की आंतरिक शांति को नष्ट कर देता है और स्वास्थ्य में भी बाधक होता है।

Q.5 क्या धूम्रपान का सेवन आध्यात्मिक अभ्यास से छोड़ा जा सकता है?

जी, यह संभव है। केवल सच्चे आध्यात्मिक संत से सच्चा ज्ञान प्राप्त करके और उनके बताए गए सतमार्ग पर चलकर नशे से सदा के लिए मुक्ति पाई जा सकती है। केवल तत्वदर्शी संत ही सही विधि से भक्ति करने का मार्ग बताता है।


 

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यदि उपरोक्त सामग्री के संबंध में आपके कोई प्रश्न या सुझावहैं, तो कृपया हमें [email protected] पर ईमेल करें, हम इसे प्रमाण के साथ हल करने का प्रयास करेंगे।
Ramvilas Chaurasiya

आपके लेख में नशीले पदार्थों के सेवन पर काबू पाने के लिए आध्यात्मिक ज्ञान और सत्संग का सहारा लेने का सुझाव दिया गया है। मैं पिछले 20 वर्षों से एक गुरु से जुड़ा हुआ हूं लेकिन इसके बावजूद भी मुझे नशीली दवाओं की लत से छुटकारा नहीं मिल पा रहा। इसके अलावा मैंने नशे की लत से मुक्त होने के लिए नशा मुक्ति केंद्र का भी सहारा लिया। लेकिन सब व्यर्थ रहा‌। अब मैं ऐसा क्या करूं कि मेरी नशे की लत हमेशा के लिए छूट जाए।

Satlok Ashram

रामविलास जी, आपने हमारे लेख को पढ़ा इसके लिए हम आपके आभारी हैं। ऐसे बहुत से संत हैं जो कहते हैं कि नशे का सेवन नहीं करना चाहिए, लेकिन फिर भी उनके शिष्य नशा त्याग नहीं पाते। देखिए नशे से छुटकारा पाना तभी संभव है जब व्यक्ति को वास्तविक आध्यात्मिक ज्ञान मिल जाए और पूर्ण गुरु की शरण प्राप्त हो। तत्वदर्शी संत के मार्गदर्शन और सर्वशक्तिमान ईश्वर की कृपा के बिना नशे जैसी बुराई को त्यागना असंभव है। सच्चे गुरू से सही मार्गदर्शन और सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करके ही बुरे कर्म छूट सकते हैं। केवल सर्वशक्तिमान ईश्वर की कृपा के माध्यम से ही विभिन्न बुराइयों पर विजय प्राप्त की जा सकती है। अगर आप भी नशे से मुक्ति चाहते हैं तो "जीने की राह" पुस्तक पढ़िए और संत रामपाल जी महाराज जी के आध्यात्मिक प्रवचन यूट्यूब चैनल पर सुनिए।

Rajni Paswan

वैसे तो मैंने बहुत से लेख पढ़े हैं लेकिन यह लेख विशेष रूप से उपयोगी है। मेरे पति तंबाकू और बीयर जैसे नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं। उनकी इस आदत के कारण हम पर वित्तीय संकट भी आ गया और उनका स्वास्थ्य भी खराब रहता है। इतना ही नहीं उनके नशा करने के कारण हमारे घर में अशांति रहती है। उन पर नशा-मुक्ति केंद्रों में इलाज कराने से और विभिन्न उपचार कराने का भी कोई फायदा नहीं हुआ। यहां तक कि मैं खुद भी प्रयास करके थक चुकी हूं। लेकिन मैं उन्हें इस हानिकारक आदत से उबारने में मदद नहीं कर पा रही हूं। कृपया आप ही कोई उपाय बताएं।

Satlok Ashram

रजनी जी, हमें इस बात की खुशी है कि हमारे लेख से समाज में सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। नशीले पदार्थों का व्यक्तियों के जीवन और समाज पर बहुत हानिकारक प्रभाव पड़ता है। वर्तमान में केवल संत रामपाल जी महाराज जी सच्चा आध्यात्मिक मार्ग प्रदान कर रहे हैं। उनके बताए मार्गदर्शन से लाखों लोगों ने नशा करना त्याग दिया है और आज वह खुशहाल जीवन जी रहे हैं। इसीलिए हम आपसे निवेदन करते हैं कि आप और आपके पति दोनों "जीने की राह" पुस्तक पढ़ें और संत रामपाल जी महाराज जी के आध्यात्मिक प्रवचनों को यूट्यूब चैनल पर सुनें। ऐसा करने से आपके पति को उनकी नशे की लत से छुटकारा पाने में मदद मिलेगी और वह सच्चे आध्यात्मिक ज्ञान को पाकर नशा रहित स्वच्छ और स्वस्थ जीवन जी सकेंगे।