जिन पुण्यात्माओं को संतान नहीं होती तो आध्यात्मिक ज्ञान के अभाव से उनकी तड़फ संतान प्राप्ति की बनी रहती है। उसके लिए हर संभव प्रयत्न करते हैं। फिर भी कोई लेन-देन वाला (संतान) नहीं मिलता है तो आजीवन संतान प्राप्ति न होने के दुःख को झेलते हैं। विशेषकर स्त्री की संतान उत्पन्न करने की इच्छा प्रबल होती है। वह अपने को बांझ कहलवाना नहीं चाहती। भले ही जाँच करके डाॅक्टर बता देते हैं कि आप में बांझ के कोई लक्षण नहीं हैं। विधाता की लीला है। परंतु तत्वज्ञानहीन स्त्री इसी तड़फ में मर जाती है। भक्ति न करने के कारण उसका अगला जन्म कुतिया का होता है। फिर जम के दूत उसे कहते हैं कि बहन जी! अब संतान पैदा करके सारी कसर निकाल ले। एक ब्यांत में आठ-आठ जामैगी (जन्म देगी)। फिर अगला जन्म तेरा सूअरी का होगा। एक बार में बारह संतान को जन्म देगी और सात-आठ ब्यांत करेगी, संतान की सारी भूख मिटा लिए।
हे पुण्यात्मा पाठक भाईयो/बहनो! अध्यात्म ज्ञान को समझो। मानव जीवन को सफल बनाओ। जीने की राह समारो (निर्बाध बनाओ) यानि पूर्ण गुरू से दीक्षा लेकर भक्ति करके कल्याण करवाओ।
निःसंतान दंपति के ऊपर सामाजिक दबाव अधिक होता है। इतना ही नहीं निःसंतान होने के कारण उन्हें दुर्भाग्यशाली भी माना जाता है। कई स्थितियों में उनका समाज में रहना भी मुश्किल कर दिया जाता है और कुछ लोग तो सुबह-सुबह उनका मुख देखना भी अपशगुन मानते हैं। महिलाओं को अधिकतर बांझ जैसे शब्द बोलकर उन्हें मानसिक चोट पहुंचाई जाती है।
संतान प्राप्ति न होने का सबसे बड़ा कारक उन पर पिछले जन्मों का कोई ऋण न होना है अर्थात उनका पिछला कोई कर्म संस्कार शेष नहीं होना है। जिनके बच्चे होते हैं उनके भाग्य में पिछले जन्मों का ऋण संस्कार उन बच्चों के साथ जुड़ा होता है। यही कारण है कि उनको संतान प्राप्त होती है। आध्यात्मिक दृष्टि से निःसंतान दंपति पुण्य आत्माएं होती हैं। जिन्हें आध्यात्मिक रूप से भाग्यशाली और उन्नत माना जाता है। इस तरह निःसंतानों का मोक्ष मार्ग भी सहज हो सकता है।
आध्यात्मिक दृष्टिकोण से जो लोग निःसंतान होते हैं वो पुण्य आत्माएं और भाग्यशाली लोग होते हैं। उनको आध्यात्मिक रूप से भी उन्नत माना जाता है। इतना ही नहीं निःसंतान लोगों का मोक्ष भी आसानी से हो सकता है। लेकिन इसके लिए उन्हें तत्वदर्शी संत की शरण ग्रहण करके उनकी बताई साधना करनी होगी। इतना ही नहीं उन्हें सच्चे आध्यात्मिक मार्ग के नियमों का आजीवन पालन करना होगा। फिर इन नियमों पर चलते हुए भक्ति करके ही मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है।
निःसंतान दंपति को सर्वप्रथम तत्वदर्शी संत की तलाश करनी चाहिए और उनकी बताई शिक्षाओं के अनुसार जीवन व्यतीत करना चाहिए। फिर सच्चे संत के बताए अनुसार भक्ति करनी चाहिए। केवल तत्वदर्शी संत ही उन्हें भौतिक लाभ प्रदान कर सामाजिक और मानसिक दबाव से मुक्ति दिला कर उनके जीवन को सुखमय बना सकता है और यदि दंपति को पूर्ण मोक्ष भी चाहिए तो पूर्ण समर्पण भाव से भक्ति करनी चाहिए।
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Anamika Sharma
मैंने जब डॉक्टर से अपनी जांच करवाई तो मुझे पता चला कि मैं कभी मां नहीं बन सकती। मेरा परिवार और पड़ोसी मेरे साथ बुरा व्यवहार करते हैं क्योंकि मेरे बच्चे नहीं हैं। मैं कई धार्मिक स्थानों पर गई हूं और मैंने उन सभी भगवानों से प्रार्थना भी की है। लेकिन मुझे कोई लाभ नहीं मिला। मैं सच में बहुत परेशान हूं।
Satlok Ashram
सबसे पहले तो आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से संतान न होना भी एक वरदान जैसा होता है। मगर यह जानने के बाद भी आप संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं तो सर्वशक्तिमान परमेश्वर कबीर साहेब जी की शरण ग्रहण करें क्योंकि ईश्वर के लिए कोई भी काम असंभव नहीं होता और वह किसी को भी उसके भाग्य से अधिक दे सकते हैं। इसके अलावा आप अनमोल पुस्तक "जीने की राह" भी पढ़ सकते हैं और यह पुस्तक आपको आत्मिक ज्ञान और बल प्रदान करेगी। आप तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के प्रवचन भी सुन सकते हैं। ऐसा करने से निश्चित रूप से आपको आपकी सभी समस्याओं का समाधान मिल जायेगा और आपकी मानसिक परेशानी भी दूर होगी।