ऋग्वेद के अनुसार पूर्ण परमात्मा कहाँ रहता है


Eternal Place of Supreme God in RigVeda

ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18

ऋषिमना य ऋषिकृत् स्वर्षाः सहòाणीथः पदवीः कवीनाम्। तृतीयम् धाम महिषः सिषा सन्त् सोमः विराजमानु राजति स्टुप्।।

अनुवाद - वेद बोलने वाला ब्रह्म कह रहा है कि (य) जो पूर्ण परमात्मा विलक्षण बच्चे के रूप में आकर (कवीनाम्) प्रसिद्ध कवियों की (पदवीः) उपाधी प्राप्त करके अर्थात् एक संत या ऋषि की भूमिका करता है उस (ऋषिकृत्) संत रूप में प्रकट हुए प्रभु द्वारा रची (सहòाणीथः) हजारों वाणी (ऋषिमना) संत स्वभाव वाले व्यक्तियों अर्थात् भक्तों के लिए (स्वर्षाः) स्वर्ग तुल्य आनन्द दायक होती हैं। (सोम) वह अमर पुरुष अर्थात् सतपुरुष (तृतीया) तीसरे (धाम) मुक्ति लोक अर्थात् सत्यलोक की (महिषः) सुदृढ़ पृथ्वी को (सिषा) स्थापित करके (अनु) पश्चात् (सन्त्) मानव सदृश संत रूप में (स्टुप्) गुबंद अर्थात् गुम्बज में उच्चे टिले जैसे सिंहासन पर (विराजमनु राजति) उज्जवल स्थूल आकार में अर्थात् मानव सदृश तेजोमय शरीर में विराजमान है।

भावार्थ - मंत्र 17 में कहा है कि कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है अर्थात् उसे ऋषि, सन्त व कवि कहने लग जाते हैं, वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कविर् ही है। उसके द्वारा रची अमृतवाणी कबीर वाणी (कविर्वाणी) कही जाती है, जो भक्तों के लिए स्वर्ग तुल्य सुखदाई होती है। वही परमात्मा तीसरे मुक्ति धाम अर्थात् सत्यलोक की स्थापना करके तेजोमय मानव सदृश शरीर में आकार में गुबन्द में सिंहासन पर विराजमान है। इस मंत्र में तीसरा धाम सतलोक को कहा है। जैसे एक ब्रह्म का लोक जो इक्कीस ब्रह्मण्ड का क्षेत्र है, दूसरा परब्रह्म का लोक जो सात संख ब्रह्मण्ड का क्षेत्र है, तीसरा परम अक्षर ब्रह्म अर्थात् पूर्ण ब्रह्म का सतलोक है जो असंख्य ब्रह्मण्डों का क्षेत्र है। क्योंकि पूर्ण परमात्मा ने सत्यलोक में सत्यपुरूष रूप में विराजमान होकर नीचे के लोकों की रचना की है। इसलिए नीचे गणना की गई।


 

FAQs about "ऋग्वेद के अनुसार पूर्ण परमात्मा कहाँ रहता है"

Q.1 सबसे शक्तिशाली भगवान कौन है?

देखिए, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18 में कहा है कि पूर्ण परमात्मा कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है अर्थात् उसे ऋषि, सन्त व कवि कहने लग जाते हैं, वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कविर्देव ही है। उसके द्वारा रची अमृतवाणी कबीर वाणी (कविर्वाणी) कही जाती है, जो भक्तों के लिए स्वर्ग तुल्य सुखदाई होती है। वही परमात्मा तीसरे मुक्ति धाम अर्थात् सत्यलोक की स्थापना करके तेजोमय मानव सदृश शरीर के आकार में गुम्बद में सिंहासन पर विराजमान है। इस मंत्र में तीसरा धाम सतलोक को कहा है। पूर्ण परमात्मा कविर्देव ही सबसे शक्तिशाली भगवान हैं क्योंकि उन्होंने ही अन्य सर्व की रचना की।

Q.2 हिंदू देवता कहाँ रहते हैं?

देखिए, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18 में कहा है कि पूर्ण परमात्मा कविर्देव ने तीसरे मुक्ति धाम सतलोक की स्थापना की और तेजोमय मानव सदृश शरीर के आकार में वहीं गुम्बद में सिंहासन पर विराजमान हुए। परमेश्वर ने ब्रह्म का इक्कीस ब्रह्माण्ड का लोक बनाया और परब्रह्म का सात संख ब्रह्माण्ड का क्षेत्र भी बनाया। सभी देवी देवता काल ब्रह्म के इक्कीस ब्रह्माण्डों में रहते हैं।

Q. 3 हिंदू धर्म में सबसे शक्तिशाली भगवान कौन है?

देखिए, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18 में कहा है कि कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है अर्थात् उसे ऋषि, सन्त व कवि कहने लग जाते हैं, वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कविर्देव ही है। उसके द्वारा रची अमृतवाणी कबीर वाणी (कविर्वाणी) कही जाती है, जो भक्तों के लिए स्वर्ग तुल्य सुखदाई होती है। वही परमात्मा तीसरे मुक्ति धाम अर्थात् सत्यलोक की स्थापना करके तेजोमय मानव सदृश शरीर आकार में गुम्बद में सिंहासन पर विराजमान है। इस मंत्र में तीसरा धाम सतलोक को कहा है। पूर्ण परमात्मा कविर्देव ही सबसे शक्तिशाली भगवान हैं क्योंकि उन्होंने ही सभी आत्माओं, ब्रह्माण्डों, काल ब्रह्म सदाशिव और देवी दुर्गा सहित सभी को बनाया। इसलिए पूर्ण परमात्मा कविर्देव ही सबसे शक्तिशाली भगवान हैं।

Q.4 भगवान शिव के पिता कौन हैं?

देखिए, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18 के अनुसार परमात्मा तीसरे मुक्ति धाम अर्थात् सत्यलोक की स्थापना करके तेजोमय मानव सदृश शरीर आकार में गुम्बद में सिंहासन पर विराजमान है। इस मंत्र में तीसरा धाम सतलोक को कहा है। पूर्ण परमात्मा कविर्देव ही सबसे शक्तिशाली भगवान हैं क्योंकि उन्होंने ही अन्य सर्व की रचना की। पूर्ण परमात्मा कविर्देव ने ही सभी आत्माओं, ब्रह्माण्डों, काल ब्रह्म सदाशिव और देवी दुर्गा सहित सभी को बनाया। इसलिए पूर्ण परमात्मा कविर्देव ही भगवान शिव के पिता भी हैं।

Q.5 परमेश्वर का पिता कौन है?

स्वयंभू परमात्मा है, सर्व को वचन से प्रकट करने वाला है। ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18 के अनुसार परमात्मा तीसरे मुक्ति धाम अर्थात् सत्यलोक की स्थापना करके तेजोमय मानव सदृश शरीर में आकार में गुम्बद में सिंहासन पर विराजमान है। इस मंत्र में तीसरा धाम सतलोक को कहा है। पूर्ण परमात्मा कविर्देव ही सबसे शक्तिशाली भगवान हैं क्योंकि उन्होंने ही अन्य सर्व की रचना की। पूर्ण परमात्मा कविर्देव ने ही सभी आत्माओं, ब्रह्माण्डों, काल ब्रह्म सदाशिव और देवी दुर्गा सहित सभी को बनाया। इसलिए पूर्ण परमात्मा कविर्देव ही सब के पिता भी हैं। कबीर भगवान के कोई पिता नहीं है, वह खुद ही अपनी वास्तविक जानकारी देते हैं।

Q.6 प्रथम ईश्वर कौन है?

देखिए, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18 में कहा है कि पूर्ण परमात्मा कविर्देव तीसरे मुक्ति धाम सतलोक की स्थापना की और तेजोमय मानव सदृश शरीर के आकार में वहीं गुम्बद में सिंहासन पर विराजमान हुए। परमेश्वर ने ब्रह्म का इक्कीस ब्रह्माण्ड का लोक बनाया और परब्रह्म का सात संख ब्रह्माण्ड का क्षेत्र भी बनाया। सतलोक अजर अमर है और परमेश्वर कबीर ही प्रथम एवं अमर भगवान हैं। उनके अतिरिक्त सभी कुछ का क्षय होने वाला है।


 

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Pushpa Yadav

स्वर्ग ईश्वर का निवास स्थान है?

Satlok Ashram

देखिए, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18 में कहा है कि पूर्ण परमात्मा कविर्देव तीसरे मुक्ति धाम की स्थापना करके तेजोमय मानव सदृश शरीर के आकार में गुबन्द में सिंहासन पर विराजमान है। इस मंत्र में तीसरा धाम सतलोक को कहा है। पहला लोक ब्रह्म का इक्कीस ब्रह्माण्ड का क्षेत्र है, दूसरा लोक परब्रह्म का सात संख ब्रह्माण्ड का क्षेत्र है, तीसरा परम अक्षर ब्रह्म अर्थात् पूर्ण ब्रह्म का सतलोक है जो असंख्य ब्रह्माण्डों का क्षेत्र है। पूर्ण परमात्मा ने सतलोक में सत्यपुरूष रूप में विराजमान होकर नीचे के लोकों की रचना की है। स्वर्ग ब्रह्म के पहले लोक में ही विधमान है जो सतलोक से बहुत नीचे है और ईश्वर का निवास स्थान नहीं है।

Nidhi Verma

मैंने आपकी पुस्तक में पढ़ा था कि भगवान अविनाशी लोक सतलोक में रहता है, परन्तु हमने ऐसा पहले कभी नहीं सुना।

Satlok Ashram

आपने बिल्कुल सही कहा है। आज हिन्दू सनातन धर्म की सच्चाई लोगों को पता नहीं है। इसका कारण है शास्त्र सम्मत शिक्षा का अभाव होना। हमारे सद्ग्रंथ भगवदगीता और चार वेद हैं। एक पाँचवा वेद भी है जिसे पूर्ण परमात्मा कविर्देव तीसरे मुक्ति धाम सतलोक से स्वयं प्रकट होकर अपनी प्रिय पुण्य आत्माओं को बताते हैं। वर्तमान में तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने सभी सदग्रंथों से सतज्ञान को जग जाहिर किया है। इसी कारण यह ज्ञान आप तक भी पहुँच पाया है।

Rishi Singh

ऋग्वेद के प्रमुख देवता इन्द्र थे। ऋग्वैदिक युग के दौरान वह मुख्य देवता थे। अग्नि ऋग्वेद के दूसरे सबसे महत्वपूर्ण देवता हैं।

Satlok Ashram

देखिए, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18 में कहा है कि पूर्ण परमात्मा कविर्देव ने तीसरे मुक्ति धाम सतलोक की स्थापना की और तेजोमय मानव सदृश शरीर के आकार में वहीं गुबन्द में सिंहासन पर विराजमान हुए। पहला लोक ब्रह्म का इक्कीस ब्रह्माण्ड का क्षेत्र है, दूसरा लोक परब्रह्म का सात संख ब्रह्माण्ड का क्षेत्र है, तीसरा परम अक्षर ब्रह्म अर्थात् पूर्ण ब्रह्म का सतलोक है जो असंख्य ब्रह्माण्डों का क्षेत्र है। इन्द्र स्वर्ग के राजा है जो पहले लोक में विधमान हैं। अतः देवराज इन्द्र बहुत छोटे हुए। पहले लोक में ब्रह्म के साथ उनकी पत्नी देवी दुर्गा हैं जिनको पूर्ण परमात्मा कविर्देव ने अग्नि सहित पाँच तत्व दिये है। हिन्दू समाज ने अग्नि के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए उन्हें देवता रूप में स्वीकार किया है। लेकिन उनकी पूजा करना मनुष्य जीवन के वास्तविक ध्येय को पूरा नहीं करता है। मनुष्य जीवन में भौतिक सुख और मोक्ष तो पूर्ण परमात्मा कविर्देव की साधना से प्राप्त किया जा सकता है।