संत रामपाल जी महाराज की जीवन बदल देने वाली शिक्षाएं


संत रामपाल जी महाराज की जीवन बदल देने वाली शिक्षाएं

संत रामपाल जी महाराज एक मात्र ऐसे संत हैं जो आज शास्त्रों के अनुसार भक्ति विधि बता रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज ने पूरे विश्व में आध्यात्मिक क्रांति तो लाई ही है। साथ ही, सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध भी मुहिम चलाई है। भक्ति मार्ग में व्याप्त मनमाना आचरण हो या फिर समाज में व्याप्त बुराइयों को खत्म करने की बात हो, संत रामपाल जी महाराज ने हर प्रकार से समाज को जागरूक करने का कार्य किया है। आइए इस लेख में संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताए गए कुछ महत्वपूर्ण आध्यात्मिक और सामाजिक सुधारों पर बात करते हैं।

संत रामपाल जी महाराज की शिक्षाएं: मुख्य बिंदु

  • भक्ति करने का उद्देश्य और भक्ति से लाभ
  • मनुष्य को कैसी संगती में बैठना चाहिए
  • तीर्थ यात्रा करने से कोई लाभ क्यों नही होता
  • करवा चौथ व्रत कि सच्चाई क्या है
  • क्या मुहूर्त निकलवा कर कार्य करना चाहिए
  • भ्रष्टाचार, चोरी,बेईमानी पर संत रामपाल जी महाराज के विचार
  • किसी को आशीर्वाद या श्राप नहीं देना चाहिए
  • कर्मचारियों के आदर्श व्यवहार के प्रति संत रामपाल जी महाराज कि शिक्षाएं
  • दहेज, भ्रष्टाचार आदि के प्रति संत रामपाल जी महाराज के विचार
  • सन्त रामपाल जी महाराज से जल्दी जुड़े

भक्ति करने का उद्देश्य और भक्ति से लाभ

संत रामपाल जी महाराज बताते हैं कि भक्ति हमें शारीरिक, मानसिक व आर्थिक परेशानी के निवारण करने के उद्देश्य से न करके मोक्ष प्राप्त करने के उद्देश्य से करनी चाहिए। क्योंकि मनुष्य जन्म 84 लाख प्रकार की योनियों को भोगने के बाद मिलता है और मानव जन्म में ही परमात्मा प्राप्ति करके जन्म-मरण के दुष्चक्र से छुटकारा मिल सकता है। संत रामपाल जी महाराज बताते हैं कि सतभक्ति से मनुष्य को प्रथम लाभ मोक्ष प्राप्ति अर्थात जन्म-मरण से छुटकारा मिलता है और वह अपने निज घर सतलोक का स्थाई निवासी बन जाता है।

साथ ही, जो व्यक्ति सतभक्ति करता है परमात्मा उसके असाध्य रोग, किसी भी प्रकार की समस्या जैसे भूत प्रेत की बाधा, रोजगार की समस्या, संतान प्राप्ति आदि सभी प्रकार के दु:खों का निवारण कर देते हैं। ऋग्वेद मंडल नम्बर 10 सूक्त 161 मंत्र 2 में वर्णन है कि परमात्मा सतभक्ति करने वाले साधक की अकाल मृत्यु को टाल कर उसकी आयु बढ़ा देते हैं। वर्तमान में यदि हमें परमात्मा से ये सभी लाभ चाहिए तो हमें शास्त्र अनुकूल भक्ति करनी होगी जोकि वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज दे रहे हैं।

मनुष्य को कैसी संगती में बैठना चाहिए?

संत रामपाल जी महाराज सत्संगों में बताते हैं कि

संगति सुर की कीजिये, असुरन से क्या हेत।

डाल मूल पावै नहीं, ज्यों मूली का खेत।

अर्थात संगत हमें देव स्वभाव यानी अच्छे कर्म करने वाले लोगों की करनी चाहिए। असुर स्वभाव यानी बुरे कर्म करने वाले लोगों से हमेशा दूरी बना कर रखनी चाहिए। जिस प्रकार मूली के खेत से मूली उखाड़ने के बाद खेत खाली हो जाता है। उसी प्रकार जो लोग बुरे कर्म चोरी, ठगी, भ्रष्टाचार, दूसरों को कष्ट देते हैं, अंत में उनका भी नामों निशान मिट जाता है। क्योंकि वे मृत्यु के बाद नरक के भागी बनते हैं। इसलिए हमें ऐसे लोगों से बचना चाहिए और अच्छे कर्म करने वाले लोगों की संगत कर अपने कर्म बनाने चाहिए।

तीर्थ यात्रा करने से कोई लाभ क्यों नहीं होता?

तीर्थ का अर्थ पवित्र स्थान अर्थात उस स्थान से है जहां पर देवी देवताओं ने अवतार धारण किया हो या कोई चमत्कार किया या फिर किसी महात्मा, ऋषि मुनि ने साधना की हो। उस जगह को फिर यादगार के रुप में स्थापित करके उसे तीर्थ या तीर्थ स्थल  कहा जाता है। संत रामपाल जी महाराज बताते हैं कि तीर्थ स्थानों पर जाकर हम उन स्थानों के विषय में जानकारी तो प्राप्त कर सकते हैं परन्तु कोई लाभ नहीं ले सकते। क्योंकि किसी भी प्रमाणित धर्म शास्त्र में तीर्थों से लाभ होने का विवरण नहीं मिलता। बल्कि परमेश्वर से मिलने वाला लाभ तो सतभक्ति से ही संभव है जिसके विषय में कबीर परमेश्वर ने कहा है:

कबीर, तीर्थ कर-कर जग मुआ, ऊडै पानी न्हाय।

सत्यनाम जपा नहीं, काल घसीटें जाय।।

 

करवा चौथ व्रत की सच्चाई क्या है?

संत रामपाल जी बताते हैं कि किसी भी प्रकार का व्रत रखना मनमाना आचरण है क्योंकि यह हमारे शास्त्रों के विरुद्ध है जिसका प्रमाण श्रीमद् भगवत गीता अध्याय 6 श्लोक 16 मे दिया गया है फिर भी विवाहित महिलाएं करवा चौथ व्रत रखती हैं जोकि गलत है, इससे कोई लाभ नहीं मिलता। सूक्ष्मवेद में कहा गया हैं:

करैं एकादशी संजम सोई, करवा चौथ गदहरी होई।

आठैं सातैं करैं कंदूरी, सो तो जन्म धारें सूरी।।

कहे जो करूवा चौथि कहांनी, तास गदहरी निश्चय जानी।

दुर्गा देबी भैरव भूता, राति जगावै होय जो पूता।।

अर्थात जो औरत करवा चौथ व्रत रखती है उसे अगला जन्म गधी का मिलता है। इसलिए ये सब व्रत न करके शास्त्रों में लिखित विधि से साधना पूर्णगुरू से प्राप्त करके करनी चाहिए।

क्या मुहूर्त निकलवा कर कार्य करना चाहिए?

जब भी माता पिता अपने बच्चों का विवाह करते हैं तो उससे पहले पंडित को बुलवाकर मुहूर्त निकलवाते हैं। फिर उसी शुभ मुहूर्त में विवाह करवाया जाता है लेकिन देखने को मिलता है कि फिर भी बेटियां विधवा हो जाती हैं। उनका घर उजड़ जाता है। कुछ तो ऐसी घटनाएं देखने को मिलती हैं कि विवाह वाले दिन ही सड़क दुर्घटना हो जाती है जिसमें पूरा परिवार ही खत्म हो जाता है। संत रामपाल जी महाराज बताते हैं कि जब हम सतभक्ति करेंगे तो परमात्मा हमारे हर बड़े से बड़े संकट को दूर करेंगे, हमें शुभ मुहूर्त की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी। इस अंधविश्वास के विषय में सूक्ष्मवेद में बताया गया है:

 

वशिष्ठ मुनि से त्रिकाली योगी, शोध कै लग्न धरै।

सीता हरण मरण दशरथ का, बन-बन राम फिरै।।

 

भ्रष्टाचार, चोरी, बेईमानी पर संत रामपाल जी महाराज के विचार

संत रामपाल जी परमात्मा का विधान बताते हुए कहते हैं कि भ्रष्टाचार, चोरी या ठगी करके कमाया गया धन अधिक समय तक नहीं रहता। बल्कि वह धन किसी बीमारी, दुर्घटना आदि में समाप्त हो जाता है। जिससे गलत तरीके से कमाया गया धन जो आपके भाग्य में नहीं था वो तो आपके पास रहा नहीं। लेकिन आपका कर्म संस्कार और बढ़ गया, जिसका धन आपने लूटा है उसे आपको अगले जन्म में ब्याज सहित वह धन लौटाना पड़ेगा। इसलिए मेहनत करके कमाना चाहिए और किसी से भी बेईमानी नहीं करनी चाहिए। क्योंकि,

तुमने उस दरगाह का महल नहीं देखा,

धर्मराज के तिल तिल का लेखा।

 

किसी को आशीर्वाद या श्राप नहीं देना चाहिए

संत रामपाल जी महाराज बताते हैं कि सतभक्ति करने वाले साधक में 24 सिद्धियां आ जाती हैं जिसमें एक सिद्धि वचन की होती है। जिससे कोई भी बात बोलने पर वो सच हो जाती है। यदि हम किसी को आशीर्वाद या श्राप दे देते हैं तो इससे हमारी भक्ति कमाई कम हो जाती है इसलिए किसी को आशीर्वाद या श्राप नहीं देना चाहिए। किसी को आशीर्वाद देना ठीक वैसा ही है जैसे कोई व्यक्ति अपने टायर से किसी दूसरे टायर में हवा भर रहा हो। यानी ख़ुद का टायर भी ख़राब हो जाएगा और सामने वाले से भी कोई कार्य नहीं होगा।

कर्मचारियों के आदर्श व्यवहार के लिए संत रामपाल जी महाराज की शिक्षाएं

संत रामपाल जी नैतिकता की शिक्षा देते हुए कहते हैं कि प्रत्येक कर्मचारियों को साधुभाव में रहकर कार्य करना चाहिए। कार्य स्थल पर आए हर एक व्यक्ति के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए। कोई भी असहाय, बुजुर्ग, निर्धन व्यक्ति आपसे कार्य करवाने आता है तो उसके कार्य को जरूर कर देना चाहिए। क्योंकि बुजुर्ग, असहाय व्यक्ति पहले से ही दु:खी होता है। यदि आप भी उससे बुरा बर्ताव करते हैं या उसका कार्य नहीं करते हैं तो वो रोता है। उसकी आत्मा दु:खी होती है और किसी को दुःख देने से हमें पाप लगता है। परमात्मा हमसे नाराज हो जाते हैं इसलिए हमेशा सभी से अच्छा व्यवहार करें।

दहेज, भ्रष्टाचार आदि पर संत रामपाल जी महाराज के विचार

संत रामपाल जी महाराज ने दहेज प्रथा को समाज से खत्म करने के लिए बहुत ही सराहनीय कदम उठाया है। उन्होंने अपने शिष्यों को बिना दान दहेज जातपात के शादी करने के लिए प्रेरित किया है। अब तक संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में हजारों की संख्या में दहेज रहित शादियां जिसे संत भाषा में रमैणी कहा जाता है, सम्पन्न हो चुकी हैं। संत रामपाल जी महाराज ने दहेज प्रथा के साथ-साथ भ्रष्टाचार को भी समाप्त करने के लिए अपने शिष्यों को प्रेरित किया है जिससे संत रामपाल जी के शिष्य किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार में सहयोग नहीं देते।

सन्त रामपाल जी महाराज से जल्दी जुड़े

समाज को सभ्य और शास्त्रों के अनुकूल भक्ति मार्ग देने वाले संत पूरे विश्व में एक ही हैं और वो हैं संत रामपाल जी महाराज। इसलिए बिना देरी किए संत रामपाल जी महाराज के सत्संग सुने तथा संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा, जीने की राह पढ़ें और उनसे नामदीक्षा लेकर अपना जीवन सफल बनायें।


 

FAQs : "संत रामपाल जी महाराज की जीवन बदल देने वाली शिक्षाएं"

Q.1 इस लेख के अनुसार हमारे जीवन में सच्ची भक्ति करने का क्या महत्व है?

संत रामपाल जी महाराज जी ने हमारे पवित्र शास्त्रों से प्रमाणित किया है कि सच्ची भक्ति करने से साधक हर तरह की बीमारी से बच सकता है और उसकी भयानक से भयानक बीमारी भी ठीक हो सकती है। सच्ची भक्ति करने से असंभव कार्य भी संभव हो सकते हैं। संत रामपाल जी महाराज जी बताते हैं कि हमारे पवित्र शास्त्रों में बताई गई भक्ति करने से व्यक्ति को जीवन में अद्भुत लाभ मिलते हैं। इससे व्यक्ति का शारीरिक और आध्यात्मिक दोनों तरह से कल्याण होता है।

Q.2 पवित्र सूक्ष्म वेद में तीर्थयात्रा करने की मनाही क्यों की गई है?

पवित्र सूक्ष्म वेद के अनुसार तीर्थयात्रा पर जाने से भक्तों को कोई लाभ प्राप्त नहीं होता क्योंकि तीर्थयात्रा से मोक्ष मिलना संभव नहीं है। ये स्थान केवल ऐतिहासिक महत्व रखते हैं। इस तरह इन तीर्थ स्थानों की यात्रा करने से कोई लाभ प्राप्त नहीं होता।

Q. 3 इस लेख में एकादशी और करवा चौथ जैसे व्रत रखने के बारे में क्या बताया गया है?

संत रामपाल जी महाराज जी का कहना है कि एकादशी और करवा चौथ पर उपवास रखना हमारे पवित्र शास्त्रों के विपरित कार्य है। उन्होंने बताया है कि पवित्र गीता जी में भी यही प्रमाण है कि जो लोग उपवास करते हैं , उन्हें किसी प्रकार का भौतिक और आध्यात्मिक कोई लाभ प्राप्त नहीं होता।

Q.4 संत रामपाल जी महाराज जी के शुभ समय या 'मुहूर्त' के बारे में क्या विचार हैं?

पवित्र सूक्ष्म वेद में यह प्रमाण है कि शुभ समय या 'मुहूर्त' की अवधारणा बिल्कुल गलत है। इसका मुख्य कारण सच्चे आध्यात्मिक ज्ञान की कमी का होना है। संत रामपाल जी महाराज जी के अनुसार भक्त के लिए हर दिन और समय शुभ होता है क्योंकि वह साधक सच्चे गुरु के मार्गदर्शन में सच्ची भक्ति और धार्मिक अनुष्ठान करता है।

Q.5 संत रामपाल जी महाराज जी ने भ्रष्टाचार, चोरी और बेईमानी जैसे कार्यों के बारे में क्या बताया है?

संत रामपाल जी महाराज जी ने भ्रष्टाचार, चोरी और बेईमानी जैसे अनैतिक कार्यों की सख़्त शब्दों में निंदा की है। वह भक्तों को अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित करते हैं और बुरे कर्मों से बचने की शिक्षा देते हैं क्योंकि बुरे कर्मों का फल व्यक्ति को भविष्य में भी भोगना पड़ता है।

Q.6 संत रामपाल जी महाराज जी हमें ऐसा क्यों कहते हैं कि किसी को भी आशीर्वाद और श्राप नहीं देना चाहिए?

संत रामपाल जी महाराज जी बताते हैं कि हमें किसी को भी आशीर्वाद और श्राप नहीं देना चाहिए क्योंकि इससे हमारे पुण्य समाप्त हो जाते हैं। वे कहते हैं कि ऐसी सांसारिक क्रियाएं हमारे भक्ति मार्ग में बाधक होती हैं और ऐसा करने से हमें मोक्ष प्राप्त करने में कठिनाई होती है।

Q.7 कार्यस्थल पर आदर्श व्यवहार को लेकर संत रामपाल जी महाराज जी के क्या विचार हैं?

संत रामपाल जी महाराज जी कहते हैं कि हमें अपने कार्यस्थल पर विनम्रता और ईमानदारी से कार्य करना चाहिए। मालिक को भी अपने कर्मचारियों के साथ सम्मान से पेश आना चाहिए और कर्मचारियों को भी अपने कर्तव्यों का पालन ईमानदारी से करना चाहिए। इससे अच्छा सामाजिक माहौल तैयार होता है और हम दैनिक कार्यों को अच्छी तरह से कर सकते हैं।

Q.8 संत रामपाल जी महाराज जी के दहेज प्रथा के बारे में क्या विचार हैं?

संत रामपाल जी महाराज जी के अनुसार दहेज लेना महापाप है और विष के समान है। इससे हमारे सर पर कर्ज़ चढ़ता है। यहां तक कि उन्होंने अपने भक्तों को दहेज लेने की मनाही कर रखी है और इससे अच्छा समाज तैयार हो रहा है।


 

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यदि उपरोक्त सामग्री के संबंध में आपके कोई प्रश्न या सुझावहैं, तो कृपया हमें [email protected] पर ईमेल करें, हम इसे प्रमाण के साथ हल करने का प्रयास करेंगे।
Prajjwal Arora

मैंने भी संत रामपाल जी महाराज जी की पुस्तक पढ़ी है और मुझे उनका ज्ञान बहुत अच्छा लगा। वह सामाजिक बुराइयों को मिटाने के लिए जो प्रयास कर रहे हैं, उसके लिए मैं उनका बहुत आभारी हूं। लेकिन उनके कुछ विचार समाज के साथ मेल नहीं खाते।

Satlok Ashram

प्रज्ज्वल जी, आप जी ने हमारे लेख को पढ़कर अपने अनमोल विचार व्यक्त किए, उसके लिए आपका हार्दिक आभार। देखिए सच्चे ज्ञान के अभाव में लोग संत रामपाल जी महाराज जी की शिक्षाओं के अनुसार चलना कठिन समझते हैं। लेकिन जब कोई व्यक्ति संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा बताए गए संपूर्ण आध्यात्मिक ज्ञान को समझ लेता है, तो उसे उनकी शिक्षाएं भी समझ में आ जाती हैं क्योंकि संत रामपाल जी महाराज जी का आध्यात्मिक ज्ञान सर्व धार्मिक ग्रंथों से प्रमाणित है। तथा उनके कार्य सामाजिक परोपकार से सौ प्रतिशत सरोकार रखते हैं। हम आपसे निवेदन करते हैं कि अधिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के आध्यात्मिक प्रवचनों को यूट्यूब चैनल पर सुनिए।

Kamlesh Sharma

दहेज प्रथा जैसी बुराई के खिलाफ आवाज़ उठाना बहुत अच्छी बात है। लेकिन यह भी देखने में आया है कि संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य किसी भी प्रकार का कोई रीति-रिवाज़ नहीं मानते। देखिए यह मुझे बहुत अनुचित लगता है क्योंकि हमें अपने धार्मिक रीति-रिवाज़ों को भी निभाना चाहिए और उन्हीं के अनुसार विवाह करना चाहिए।

Satlok Ashram

कमलेश जी, आप जी ने हमारे लेख को पढ़कर अपने जो विचार व्यक्त किए हैं, उसके लिए आपका हार्दिक धन्यवाद। देखिए संत रामपाल जी महाराज जी सामाजिक बुराईयों को जड़ से खत्म करने के साथ यह भी चाहते हैं कि अध्यात्म में फैले अज्ञान का पर्दा फाश हो और लोगों के जीवन में से अंधविश्वास और पाखंडों का अंत हो। समाज में ऐसी सैंकड़ों रस्में हैं, जिनका समर्थन हमारे पवित्र शास्त्र नहीं करते। जबकि संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में केवल 17 मिनट में पाखंड रहित व दहेज मुक्त विवाह परमात्मा की स्तुति गाकर हो जाता है और इसका प्रमाण पवित्र सूक्ष्म वेद में भी है। इससे व्यक्ति अनावश्यक खर्चों और कर्ज़ लेने से भी बच जाता है। हम आप जी से निवेदन करते हैं कि प्रत्येक समागम के दौरान सतलोक आश्रमों में सैंकड़ों दहेज मुक्त विवाह करवाए जाते हैं यदि आप इसके प्रत्यक्षदर्शी बनना चाहते हैं तो आप सादर आमंत्रित हैं ताकि आप यह भी जान सकें कि संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य किस तरह के धार्मिक शास्त्र आधारित रीति-रिवाज़ अपनाते हैं। अधिक जानकारी के लिए हम आपको संत रामपाल जी महाराज जी के आध्यात्मिक प्रवचनों को सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल पर सुनने का निवेदन करते हैं। आप पवित्र पुस्तक “ज्ञान गंगा” भी पढ़ सकते हैं।