सभी स्वर्गीय स्थानों और ब्रह्मांडो के रचयिता परमात्मा/परम अक्षर ब्रह्म भगवानो के भगवान हैं। वेद उन्हें परम निर्माता/रचनहार और परम शांति प्रदान करने वाला बताते हैं। हम जानते हैं कि परमात्मा सर्वव्यापी हैं और उनकी शक्ति सभी ब्रह्मांडो और मनुष्यों सहित उनकी सभी रचनाओं में विद्यमान है। लेकिन परमात्मा कहाँ रहते हैं? क्या परमात्मा किसी विशेष जगह पर रहते हैं? अगर ऐसा है तो, वो जगह कहाँ हैं?
इस लेख में हम देखेंगे कि हमारे पवित्र शास्त्र उस दिव्य स्थान के बारे में क्या बताते हैं जहाँ परमात्मा रहता है।
पवित्र अथर्ववेद कांड 4, अनुवाक 1.1- में कहा गया है कि परमात्मा ने तीन अविनाशी लोकों की रचना की- जैसे सतलोक(सत्यलोक) उनकी रचनाओं में सबसे ऊपर है। फिर नीचले हिस्से/भाग में सर्व शक्तिमान परमात्मा ने काल ब्रह्म के 21 ब्रह्मांडो और परब्रह्म के 7 संख ब्रह्मांडो की रचना की जो कि नाशवान है। सृष्टि रचना की पूरी कथा पढ़ें।
इन सभी ब्रह्मांडो में सतलोक(सत्यलोक) सबसे उच्च दिव्य स्थान है जहाँ परमात्मा रहते हैं। यह स्व-प्रकाशित, असीम और अविनाशी है। सतलोक में न मृत्यु है, न बुढ़ापा है और न दुख है। यह असीम शांतिमय स्थान है जहाँ सर्वोत्तम परमात्मा और सभी अमर आत्माएं अनन्त काल से रहती हैं।
सतलोक सर्वोत्तम परमात्मा कबीर साहेब जी का राज्य है, जहाँ से वे सभी ब्रह्मांडो का नियंत्रण करते हैं। सतलोक के मध्य में सर्वोत्तम परमात्मा कबीर साहेब जी एक बहुत बड़े मंदिर नुमा गुबंज में राजा की तरह विराजमान हैं। यहाँ पर सर्वशक्तिमान के एक रोम कूप का प्रकाश करोड़ो सूर्य और करोड़ो चंद्रमाओं दोनो के प्रकाश से भी ज्यादा है।
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 96 मन्त्र 18:
वेदों का ज्ञानदाता, काल ब्रह्म कहता है कि सर्वोत्तम परमात्मा एक चमत्कारी बच्चे का रूप धारण करते हैं और पृथ्वी पर प्रकट होते हैं। प्रसिद्ध कवि की उपाधि प्राप्त करते हुए वो एक सन्त की भूमिका निभाते है और आसान काव्य छंदों में सत्य आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करते है, जो उनके अनुयायियों के लिए स्वर्गीय(स्वर्ग जैसी) सुख का स्रोत होते हैं। उस सर्वोत्तम परमात्मा कवीर देव ने स्वयं तीसरा मुक्ति धाम सतलोक बनाया। यह अविनाशी दिव्य लोक है जहाँ सर्वोत्तम परमात्मा रहते हैं। सतलोक के मध्य में सर्वोत्तम परमात्मा गुबंज में अपने तत्ख पर स्व-प्रकाशित मनुष्य-सदृश्य रूप में विराजमान हैं।
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 94 मंत्र 2:
सर्वोत्तम परमात्मा, जो सभी तरह के सुखों का दाता है, सतलोक/सत्यलोक तथा पृथ्वी लोक दोनो स्थान में रहता है। सत्यलोक (सतलोक) वह दिव्य स्वर्गीय स्थान है, जहाँ सर्वोत्तम परमात्मा रहता है, जो शांति और सुखों से भरा हुआ है, साथ ही वह नीचे और ऊपर के लोकों में भी विराजमान है। वह नीचे के लोकों में सन्त रूप में प्रगट होते रहते हैं और संसार/जगत को भक्ति की सही विधि बताते हैं।
ऋग्वेद मंडल 10 सूक्त 90 मन्त्र 16:
वो साधक जो उसके द्वारा दी हुई भक्ति विधि को स्वीकार करते हैं, और सभी बुराइयों को त्याग देते हैं, वो काल/शैतान के जाल से मुक्त हो जाते हैं और वापिस सतलोक/सत्यलोक ले जाये जाते हैं, जहाँ सर्वोत्तम परमात्मा और अन्य अमर आत्माएं पहले से ही रहती हैं। यही सन्देश भगवद गीता जी द्वारा दिया गया है:
भगवदगीता अध्याय 18 श्लोक 62:
हे भारत! उस सर्वोत्तम परमात्मा की शरण मे जाओ। उस सर्वोत्तम परमात्मा की कृपा से ही तुम असीम शांति और सदा के लिए दिव्य स्थान(धाम/लोक), सतलोक को प्राप्त हो जाओगे। वह सर्वोत्तम परमात्मा कौन है जिसके बारे में पवित्र वेद और पवित्र गीता जी इतना कुछ बता रही हैं।
हिन्दू धर्म मे सर्वोत्तम परमात्मा के बारे में पढ़ें!
यह एक प्रसिद्ध तथ्य है कि जब गुरु नानक देव जी 3 दिन के लिए बेई नदी में लुप्त हो गए थे, उन्हें उस दिव्य स्थान पर ले जाया गया था जहाँ भगवान रहते हैं। सर्वोत्तम परमात्मा से मिलने के बाद उन्होंने परमात्मा के निवास का बहुत से श्लोकों में वर्णन किया। उनमे से एक है:
गुरु ग्रन्थ साहिब में प्रमाण देखें-
सचखण्ड वसे निरंकार, कर कर वेखे नादिर निहाल।
तिथे खण्ड मंडल वरभंड, जे कोई कथे तां अंत न अंत।। (श्री गुरु ग्रन्थ साहिब, पृष्ठ 08)
सरलार्थ: सचखण्ड यानी सतलोक / सत्यलोक सच्चाई का अमर लोक है जहाँ निरंकार यानी अहंकार रहित परमात्मा रहता है। सारी सृष्टि रचकर वह पूरी जागरूकता/ध्यान से इसे देखता है। सर्वोत्तम परमात्मा द्वारा रचे गए ब्रह्मांडो और स्वर्गीय स्थानों का कोई अंत नही है। वे अनन्त है और अवर्णनीय हैं और उसके आदेश के अनुसार विद्यमान/मौजूद रहते हैं।
श्री नानक जी के दिव्य स्थान, जहाँ सर्वोत्तम परमात्मा रहता है, पर यात्रा का वर्णन भाई बाले वाली जनम साखी में भी लिखित है:
"साखी सचखण्ड दी" -
तो गुरु नानक देवजी सचखण्ड/सतलोक/सत्यलोक में जा पहुंचे जो स्व-प्रकाशित और प्रकाश से सम्पूर्ण है। सत निरंकार यानी अविनाशी और अहंकार रहित सर्वोत्तम परमात्मा वहाँ पर बहुत ही प्रकाशमान/उज्ज्वल रूप में विराजमान हैं। सभी भक्त तथा देवता वहाँ पर हाथ जोड़े खड़े है। गुरु नानक जी उस प्रकाश में गए और उस महान सर्वोत्तम परमात्मा की सिख धर्म मे महिमा गाई।
इस्लाम धर्म मे सात स्वर्गों की धारणा है और सभी मुस्लिम यकीन करते हैं कि वह सातवां स्वर्ग है जहाँ अल्लाह/खुदा रहते हैं, हालांकि वे उन्हें निराकार(बेचून) मानते हैं। पवित्र क़ुरान शरीफ में प्रमाण है कि सर्वोत्तम परमात्मा यानी कि अल्लाह साकार है और वह सतलोक/सत्यलोक में अपने सिंहासन(तख्त) पर विराजमान है।
पवित्र कुरान शरीफ (सूरत फुरकानी 25, आयत 59) - वह वही भगवान है, अल्लाह-हु-अकबर कबीर जिसने 6 दिन में, जो कुछ भी धरती और आसमान के बीच मे है, सारी सृष्टि रची और सातवें दिन ऊपर सतलोक/सत्यलोक में अपने सिंहासन/तख्त पर जा विराजा, जहाँ अल्लाह/खुदा रहता है। उसकी जानकारी किसी बाख़बर सन्त से पूछो।
उस अल्लाह-हु-अकबर ने 'सूक्ष्म वेद' में कहा है-
"हम मोहम्मद को वहाँ ले गयो, इच्छा रूपी वहाँ नही रह्यो।
उलट मोहम्मद महल पठाया, गुज बिरज एक कल में ले आया।।"
सरलार्थ: नबी मोहम्मद को अविनाशी लोक- सतलोक/सत्यलोक में ले जाया गया जहाँ अल्लाह रहता है, परन्तु आध्यात्मिक ज्ञान न होने के कारण तथा पृथ्वी पर उनके बढ़ते प्रशंसकों के कारण वहाँ उन्होंने रहने से इनकार कर दिया। इसलिए सर्व शक्तिमान अल्लाह कबीर जी ने उन्हें वापिस भेज दिया।
और पढ़े इस्लाम धर्म मे अल्लाह कबीर के बारे में
पवित्र बाइबिल में भी यह लिखा है कि सर्वोत्तम परमात्मा अपने स्वर्गीय निवास में रहता है। यह वो जगह है जहाँ उसका सिंहासन है और यही वो स्थान है जहाँ उन्होंने पृथ्वी और स्वर्ग की रचना पूरी करने के बाद विश्राम किया था।
इन बाइबिल के श्लोकों/छंदों पर विचार करें:
पवित्र बाइबिल उतपत्ति 1:1-
शुरुआत में/प्रारम्भ में भगवान ने स्वर्ग और पृथ्वी बनाये।
पवित्र बाइबिल वचन 11:4-
भगवान आने पवित्र मन्दिर में रहता है, भगवान अपने स्वर्गीय सिहासन पर बैठा है। वह पृथ्वी पर सबको देखता है; उसकी आंखें उन्हें जाँचती हैं।
ये बाइबिल छंद पहले उल्लेख किये गए वैदिक मंत्रों का सहयोग करते हैं कि सर्वोत्तम परमात्मा ने स्वर्गीय स्थानों और अस्थायी लोकों/ब्रह्मांडो (पृथ्वी) की रचना की और सतलोक में उनका पवित्र मंदिर नुमा गुबंज है जहाँ पर वो अपने सिंहासन पर राजा की तरह विराजमान हैं। सतलोक एक दिव्य लोक है जहाँ सर्वोत्तम परमात्मा रहते हैं और सारी रचना पूरी करने के बाद उन्होंने वहाँ विश्राम किया था।
आगे पवित्र बाइबिल उत्पत्ति 1:27 कहता है कि भगवान ने मनुष्यो को अपने ही स्वरूप में बनाया जिसका मतलब है कि सर्वोत्तम परमात्मा मनुष्य सदृश्य है, वह सिंहासन पर विराजमान है और उसकी नजर सभी मनुष्यों को परखती है। यह सभी छंदों ने हमे प्रमाण दिया है कि भगवान साकार है और बाइबिल ने उसके नाम तक का उल्लेख किया हुआ है....... अधिक पढ़े ईसाई धर्म मे सर्वोत्तम परमात्मा
भागवद गीता (अध्याय 15 श्लोक 3 तथा 4) के अनुसार, एकमात्र यही रास्ता है - पृथ्वी पर सच्चे सन्त को पहचानो और उससे सर्वोत्तम परमात्मा की भक्ति की सही विधि पूछो। केवल तभी हम सर्वोत्तम परमात्मा को प्राप्त को प्राप्त कर पाएंगे और सत्यलोक पहुंच पाएंगे, जहाँ पर गयी हुई आत्माएं वापिस इस संसार-जगत में नही आती।
सतलोक भगवान का निवास स्थान है, जिसकी रचना का जिक्र पवित्र अथर्ववेद कांड 4 अनुवाक 1.1 में भी है।
जिस स्थान पर भगवान रहते हैं, उसे सचखंड/सतलोक/शाश्वत धाम कहा जाता है जिसका प्रमाण पवित्र गीता जी अध्याय 18 श्लोक 62 में भी है।
पूरे ब्रह्मांड का पालन–पोषण परमात्मा स्वयं करते हैं।
पवित्र अथर्ववेद कांड 4 अनुवाक 1.1 में बताया गया है कि भगवान ने 3 लोक बनाए। अगम लोक, अनामी लोक और सतलोक जिनमें सबसे ऊपर का भाग जिसे शाश्वत निवास/सतलोक कहते हैं, वहां ईश्वर रहता है।
भगवान का नगर वह स्थान है जहां सर्वशक्तिमान और उनकी आत्माएं साथ साथ निवास करती हैं। ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 94 मन्त्र 2 में लिखा है कि सारे सुख देने वाला प्रभु सतलोक अर्थात् अमरलोक में रहता है।
पवित्र बाइबल भजन 11:4 - यहोवा (परमेश्वर) अपने पवित्र स्थान में रहता है, यहोवा स्वर्ग में अपने सिंहासन पर विराजमान है। इसके अलावा वह पृथ्वी पर सभी की जांच करने आता रहता है।
ईश्वर के स्थान का वर्णन कई धर्मग्रंथों में किया गया है, जो इस प्रकार हैं: पवित्र अथर्ववेद कांड 4 अनुवाक 1.1 ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 94 मंत्र 2: भगवद गीता अध्याय 18 श्लोक 62, श्री गुरु ग्रंथ साहिब, पृष्ठ 08, पवित्र बाइबिल भजन 11:4 , पवित्र कुरान शरीफ (सूरत फुर्कानि 25, आयत 59)।
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Priya Patel
पौराणिक दृष्टिकोण से भारत में केरल को "ईश्वर का अपना देश" या ईश्वर की पसंदीदा भूमि के रूप में चित्रित किया गया है।
Satlok Ashram
केरल , वैष्णो देवी या पृथ्वी पर ऐसा कोई भी एक स्थान ईश्वर का निवास स्थान नहीं है क्योंकि ईश्वर सर्वव्यापी है। भगवान का वास्तविक निवास स्थान तीसरा मुक्तिधाम अर्थात् सतलोक है।