पवित्र गीता अध्याय 9 के श्लोक 23, 24 में कहा है कि जो व्यक्ति अन्य देवताओं को पूजते हैं वे भी मेरी (काल जाल में रहने वाली) पूजा ही कर रहे हैं। परंतु उनकी यह पूजा अविधिपूर्वक है(अर्थात् शास्त्रविरूद्ध है भावार्थ है कि अन्य देवताओं को नहीं पूजना चाहिए)। क्योंकि सम्पूर्ण यज्ञों का भोक्ता व स्वामी मैं ही हूँ। वे भक्त मुझे अच्छी तरह नहीं जानते। इसलिए पतन को प्राप्त होते हैं। नरक व चैरासी लाख जूनियों का कष्ट। जैसे गीता अध्याय 3 श्लोक 14-15 में कहा है कि सर्व यज्ञों में प्रतिष्ठित अर्थात् सम्मानित, जिसको यज्ञ समर्पण की जाती है वह परमात्मा (सर्व गतम् ब्रह्म) पूर्ण ब्रह्म है। वही कर्माधार बना कर सर्व प्राणियों को प्रदान करता है। परन्तु पूर्ण सन्त न मिलने तक सर्व यज्ञों का भोग(आनन्द) काल (मन रूप में) ही भोगता है, इसलिए कह रहा है कि मैं सर्व यज्ञों का भोक्ता व स्वामी हूँ।
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- तथ्यों सहित जानिए क्या गीतानुसार भगवान कृष्ण वास्तव में सर्वोच्च परमात्मा हैं?
- पवित्र गीता जी का ज्ञान किसने कहा
- श्रीमद् भगवत् गीता सार
- त्रिगुण माया (रजगुण ब्रह्मा जी, सतगुण विष्णु जी तथा तमगुण शिव जी ) जीव को मुक्त नहीं होने देत
- अन्य देवताओं (रजगुण ब्रह्मा जी, सतगुण विष्णु जी, तमगुण शिवजी) की पूजा अनजान ही करते हैं
- पवित्र वेदों अनुसार साधना का परिणाम केवल स्वर्ग-महास्वर्ग प्राप्ति, मुक्ति नहीं
- शास्त्र विधि विरुद्ध साधना पतन का कारण
- श्राद्ध निकालने (पितर पूजने) वाले पितर बनेंगे, मुक्ति नहीं
- तत्वज्ञान प्राप्ति के पश्चात् ही भक्ति प्रारम्भ होती है
- गीता ज्ञान दाता ब्रह्म का ईष्ट (पूज्य) देव पूर्णब्रह्म है
- ब्रह्म का साधक ब्रह्म को तथा पूर्णब्रह्म का साधक पूर्णब्रह्म को ही प्राप्त होता है
- ब्रह्म (क्षर पुरुष) की साधना अनुत्तम (घटिया) है
- शंका समाधान
- स्वर्ग की क्या परिभाषा है
- क्या गीता जी का नित्य पाठ करने का या दान करने का कोई लाभ नहीं
- क्या दूसरे के धर्म से गुणरहित भी अपना धर्म अति उत्तम है
- क्या ध्यान करने से और व्रत रखने से शांति प्राप्त होगी
- क्या गीता ज्ञान दाता प्रभु सर्व शक्तिमान है?
- क्या ब्रह्म का जन्म नहीं है तथा सर्व पाप नष्ट कर देता है?
- गीता ज्ञान दाता ब्रह्म (काल) की उत्पत्ति का संकेत
- रजगुण श्री ब्रह्मा जी, सतगुण श्री विष्णु जी तथा तमगुण श्री शिव जी त्रिदेवों की पूजा व्यर्थ कही है
- भगवान दयालु माना जाता है, निर्दयी नहीं | कौन है वो दयालु भगवान?