सुनहु ब्रह्मा, बिसनु, महेसु उपाए। सुने वरते जुग सबाए।।
इसु पद बिचारे सो जनु पुरा। तिस मिलिए भरमु चुकाइदा।।(3)
साम वेदु, रुगु जुजरु अथरबणु। ब्रहमें मुख माइआ है त्रौगुण।।
ता की कीमत कहि न सकै। को तिउ बोले जिउ बुलाईदा।।(9)
उपरोक्त अमतवाणी का सारांश है कि जो संत पूर्ण सृष्टि रचना सुना देगा तथा बताएगा कि अण्डे के दो भाग होकर कौन निकला, जिसने फिर ब्रह्मलोक की सुन्न में अर्थात् गुप्त स्थान पर ब्रह्मा-विष्णु-शिव जी की उत्पत्ति की तथा वह परमात्मा कौन है जिसने ब्रह्म (काल) के मुख से चारों वेदों (पवित्र ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद) को उच्चारण करवाया, वह पूर्ण परमात्मा जैसा चाहे वैसे ही प्रत्येक प्राणी को बुलवाता है। इस सर्व ज्ञान को पूर्ण बताने वाला सन्त मिल जाए तो उसके पास जाइए तथा जो सभी शंकाओं का पूर्ण निवारण करता है, वही पूर्ण सन्त अर्थात् तत्वदर्शी है।
सच्चा संत या गुरु वही है जो यह पहेली सुलझा देे कि अंडे में से कौन सी आत्मा को परमात्मा ने बाहर निकाला था और ब्रह्मांड की रचना के बारे में विस्तार से बताए। तथा ब्रह्म काल, दुर्गा जी, ब्रह्मा जी, विष्णु जी और महेश जी के जन्म का रहस्य भी खोल दे। ऐसेे ही अनमोल और गूढ़मयी ज्ञान के कारण उन्हें तत्वदर्शी संत कहा जाता है। इसका प्रमाण पवित्र श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी राग मारू (अंश) मेहला 1 पृष्ठ संख्या 1037 में दिया गया है।
पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब जी का पाठ करने से एकेश्वर (अकाल पुरुष,ओंकार, रब), सचखंड का रहस्य, भक्ति करने का असली ज्ञान, गुरु बनाने के महत्व की विशेष जानकारी मिलती है। इसके अलावा श्री नानक देव जी ने अपनी बाणी द्वारा यह भी बताया है कि उनके गुरू कबीर साहेब जी थे और तत्वदर्शी संत से दीक्षा लेने के बाद ही जीव को पूर्ण मोक्ष प्राप्त हो सकता है। कबीर साहेब जी की पूजा करके शैतान ब्रह्म काल के इस पिंजरे से जीव छुटकारा पा सकते हैं।
श्री नानक देव जी ने पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब जी के राग मारु (अंश) अमृतवाणी महला 1 (गु.ग्र.प. 1037) में पूर्ण गुरु की पहचान बताई है। सुनहु ब्रह्मा, बिसनु, महेसु उपाए। सुने वरते जुग सबाए।। इसु पद बिचारे सो जनु पुरा। तिस मिलिए भरमु चुकाइदा।।(3) साम वेदु, रुगु जुजरु अथरबणु। ब्रहमें मुख माइआ है त्रौगुण।। ता की कीमत कहि न सकै। को तिउ बोले जिउ बुलाईदा।।(9) उपरोक्त अमृतवाणी का सारांश है कि जो संत पूर्ण सृष्टि रचना सुना देगा तथा बताएगा कि अण्डे के दो भाग होकर कौन निकला, जिसने फिर ब्रह्मलोक की सुन्न में अर्थात् गुप्त स्थान पर ब्रह्मा-विष्णु-शिव जी की उत्पत्ति की तथा वह परमात्मा कौन है जिसने ब्रह्म (काल) के मुख से चारों वेदों (पवित्र ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद) को उच्चारण करवाया, वह पूर्ण परमात्मा जैसा चाहे वैसे ही प्रत्येक प्राणी को बुलवाता है। इस सर्व ज्ञान को पूर्ण बताने वाला सन्त मिल जाए तो उसके पास जाइए तथा जो सभी शंकाओं का पूर्ण निवारण करता है, वही पूर्ण सन्त अर्थात् तत्वदर्शी है।
पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब जी से हमें पूर्ण गुरु के बारे में संकेत मिलता है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब में श्री नानक जी ने पूर्ण परमेश्वर कबीर जी द्वारा रचे ब्रह्मांडों की जानकारी दी है। इसमें तत्वदर्शी संत के बारे में बताया गया है जो हमें मोक्ष प्राप्त करने के सच्चे मंत्र बताता है।
पूर्ण गुरु परमात्मा कबीर जी के समान या स्वयं परमात्मा ही होता है। उनके पास असिमित शक्तियां होती हैं। केवल सच्चा गुरु ही अपने भक्त के पापों का नाश कर सकता है। इसके लिए जरूरी है कि शिष्य अपने गुरु द्वारा बताए गए नियमों और मर्यादा का पालन करे। केवल सच्चा गुरु ही मनुष्य को मोक्ष प्रदान करने की शक्ति रखता है।
सच्चे और पूर्ण गुरु को ही महान कहा जाता है। आज के समय में वह महान गुरु संत रामपाल जी महाराज जी हैं क्योंकि केवल उन्होंने ही सृष्टि रचना और सच्ची पूजा विधि के बारे में भक्त समाज को सही जानकारी दी है। इसलिए सिर्फ और सिर्फ संत रामपाल जी महाराज ही एकमात्र पूर्ण संत हैं। यहां तक कि उनकी महानता की तुलना किसी अन्य संत से नहीं की जा सकती। वह समाज में सच्चे ज्ञान का प्रचार कर रहे हैं।
गुरू बनाने से मनुष्य जीवन के उद्देश्य का पता चलता है। गुरु बनाने से पूर्ण आध्यात्मिक ज्ञान मिलता है और कई ऐसे आध्यात्मिक प्रश्नों के उत्तर मिल जाते हैं जो पहले एक रहस्य थे। सच्चा ज्ञान मिलने के बाद जीव सही भक्ति करता है और मर्यादा में रहकर जीवनयापन करते हुए मोक्ष को प्राप्त कर लेता है।
आध्यात्मिक गुरु बनना कोई डिग्री लेने जैसा नहीं है। केवल कबीर परमेश्वर जी की कृपा से ही कोई पूर्ण बनता है। वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी ही तत्वदर्शी संत यानि कि पूर्ण गुरु हैं।
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Harminder Singh
कोई आध्यात्मिक गुरु कैसे बनता है?
Satlok Ashram
सतगुरु या वास्तविक गुरु भगवान द्वारा भेजा गया उनका प्रतिनिधि संत होता है। उस सच्चे संत के पास सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान और सच्चे मोक्ष मंत्र प्रदान करने का अधिकार परमात्मा प्रदत्त होता है। बाकी अन्य सब नकली गुरु हैं। इसलिए किसी को गुरु बनने में अपना बहुमूल्य मानव जन्म बर्बाद नहीं करना चाहिए। बल्कि किसी ऐसे तत्वदर्शी संत की खोज करनी चाहिए जिसके पास देने के लिए सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान और मोक्ष मंत्र हों। फिर उसकी शरण में जाकर सच्ची भक्ति करनी चाहिए ताकि मोक्ष प्राप्त हो सके।