श्री गुरु ग्रंथ साहिब, प्राण संगली, जनम सखी भाई वाले वाली में से सतनाम का तथा गुरु नानक देव जी के गुरु के बारे में तत्वज्ञान।
श्री गुरु नानक देव जी को सर्वशक्तिमान कबीर साहेब सतलोक से आकर स्वयं मिले थे। फिर उन्होंने श्री गुरु नानक देव जी को सतनाम मंत्र प्रदान किया था। साथ ही परमात्मा ने श्री नानक जी को यह भी कहा था कि इस मंत्र को अभी गुप्त रखना क्योंकि कलयुग में इस मंत्र को केवल तत्वदर्शी संत ही प्रदान करेगा। वर्तमान में वह तत्वदर्शी कोई और नहीं बल्कि संत रामपाल जी महाराज जी हैं।
श्री गुरु नानक देव जी ने अपनी पवित्र बाणी में बताया था कि इस ब्रह्मांड की रचना केवल सर्वशक्तिमान ईश्वर कबीर साहेब जी ने की थी।
सतनाम वाहेगुरु शब्द श्री नानक देव जी ने तब कहे थे जब वह कबीर साहेब जी से काशी में मिले थे। उसके बाद कबीर साहेब जी ने श्री नानक जी को सतनाम मंत्र प्रदान किया था। तथा श्री नानक जी ने कबीर साहेब जी से सतनाम मंत्र प्राप्त करने के बाद उत्साह में सतनाम वाहेगुरु कहा था। इसका मतलब है कि मुझे सतनाम उसी भगवान से मिला है, जो सचखंड यानि कि सतलोक में भी है (वाहेगुरु शब्द का प्रयोग श्री नानक जी ने कबीर साहेब जी के लिए किया था )।
सत श्री अकाल उस सर्वशक्तिमान कबीर साहेब जी को याद करने का ही नाम है। सत का अर्थ है सत्य और श्री अकाल का अर्थ है अमर भगवान। इसके अन्य पर्यायवाची शब्द हैं सत् साहेब, सत्पुरुष, सत्यपुरुष आदि।
श्री नानक देव का जन्म विक्रमी संवत् 1526 (सन् 1469) कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा को हिन्दू परिवार में श्री कालु राम मेहत्ता (खत्री) के घर माता श्रीमति तृप्ता देवी की पवित्र कोख (गर्भ) से पश्चिमी पाकिस्त्तान के जिला लाहौर के तलवंडी नामक गाँव में हुआ। कबीर साहेब से नामदीक्षा लेने के बाद श्री नानक देव जी ने केवल मानवता के धर्म को सबसे ऊपर माना। फिर श्री नानक जी ने परमेश्वर कबीर साहेब जी के बताए मार्ग का प्रचार किया था।
सिखों ने सतनाम का गलत अर्थ किया हुआ है। सतनाम एक गुप्त मंत्र की ओर संकेत है। सतनाम मंत्र को केवल तत्वदर्शी संत ही बता सकते हैं और वह संत रामपाल जी महाराज जी के अलावा कोई नहीं है।
मूल मंत्र मोक्ष मंत्र हैं जो सर्वशक्तिमान कबीर परमेश्वर द्वारा लिखे गए हैं।
श्री नानक देव जी आदि राम को मानते थे जो संपूर्ण ब्रह्मांड के रचयिता हैं। यही आदि राम श्री गुरु नानक देव जी के गुरु भी थे। वह आदि राम यानि कि पूर्ण परमेश्वर कोई और नहीं बल्कि स्वयं कबीर साहेब जी हैं।
परमेश्वर कबीर जी श्री नानक जी को मिलने सतलोक से चलकर आए थे। फिर श्री नानक जी की आत्मा को परमात्मा कबीर जी ने सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान किया था। उसके बाद परमात्मा कबीर जी श्री गुरु नानक देव जी की आत्मा को सतलोक यानि कि सचखंड लेकर गए थे और सतलोक में श्री नानक जी को तीन दिनों तक रखा था। यही कारण था कि श्री नानक जी तीन दिन के लिए गायब हो गए थे और उनके शरीर को परमेश्वर ने छिपा कर सुरक्षित रख दिया था।
श्री नानक देव जी भगवान कबीर जी के सत् ज्ञान उनकी शिक्षाओं के दूत थे न कि कोई पैगंबर। कबीर परमेश्वर द्वारा बताई गई भक्ति विधि करने से उन्हें कुछ अलौकिक शक्तियाँ प्राप्त हो गई थीं जिसके कारण वे एक पैगम्बर लगते थे।लेकिन वे परमात्मा की विशेष प्रिय आत्मा और उनके भक्त थे।
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Ishu Randhawa
सच्चे मोक्ष मंत्र कैसे प्राप्त कर सकते हैं?
Satlok Ashram
सच्चे मोक्ष मंत्र देने का आधिकारी केवल तत्वदर्शी संत होता है। वर्तमान में वह तत्वदर्शी संत केवल संत रामपाल जी महाराज जी हैं। केवल संत रामपाल महाराज जी शास्त्र अनुकूल साधना और मोक्ष मंत्र प्रदान कर रहे हैं।