(Shri Guru Granth, page no. 420)
ਜਿਨ੍ਹ੍ਹੀ ਨਾਮੁ ਵਿਸਾਰਿਆ ਦੂਜੈ ਭਰਮਿ ਭੁਲਾਈ ॥
ਮੂਲੁ ਛੋਡਿ ਡਾਲੀ ਲਗੇ ਕਿਆ ਪਾਵਹਿ ਛਾਈ ॥੧॥
ਸਾਹਿਬੁ ਮੇਰਾ ਏਕੁ ਹੈ ਅਵਰੁ ਨਹੀ ਭਾਈ ॥
ਕਿਰਪਾ ਤੇ ਸੁਖੁ ਪਾਇਆ ਸਾਚੇ ਪਰਥਾਈ ॥੩॥
ਗੁਰ ਕੀ ਸੇਵਾ ਸੋ ਕਰੇ ਜਿਸੁ ਆਪਿ ਕਰਾਏ ॥
ਨਾਨਕ ਸਿਰੁ ਦੇ ਛੂਟੀਐ ਦਰਗਹ ਪਤਿ ਪਾਏ ॥੮॥੧੮॥
Aasa Mehla1
Transliteration:
jini naamu visaariaa doojae bharmi bhulaai
moolu chhodi daali lage kiaa paavhi chhai 1
Saahibu mera eku hai avru nahin bhaai
kirpa te sukhu paaiaa saache parthaai 3
Guru ki sewa so kare jisu aapi karaaye
Nanak siru de chhutiye dargeh pati paaye 8, 18
उपयुक्त पवित्र भाषण का अर्थ यह है कि श्री नानक जी कह रहे हैं कि जो लोग पूर्ण परमात्मा के असली नाम को भूल रहे हैं, वे ग़लतफ़हमी में अन्य देवताओं के नाम का जाप कर रहे हैं, जैसे कि, वे जड़ ( पूर्ण परमात्मा) के बजाय शाखाओं (तीनों गुण, रजगुण- ब्रह्मा, सत्गुण-विष्णु, तमगुण-शिव जी) की जल देकर पूजा करते हैं। उस साधना से कोई भी सुख प्राप्त नहीं किया जा सकता है। जिसका अर्थ यह है है कि पौधा सूख जाएगा और आप उसकी छाया में नहीं बैठ पाएंगे।
उस पूर्ण परमात्मा को प्राप्त करने के लिए, लोगों को काल्पनिक या मनमुखि साधना छोड़नी होगी, पूर्ण गुरूदेव के सामने आत्मसमर्पण करना होगा और सच्चे नाम / मंत्र का जाप करना होगा। तभी, पूर्ण मुक्ति संभव है। नहीं तो मरने के बाद नरक में जाएगा।
ईश्वर की प्राप्ति सच्चे मंत्रों के जाप से होती है और इसी का वर्णन श्री गुरु नानक देव जी ने अपनी बाणी में किया है। सिख भाई जिन नामों को जाप समझकर करते हैं जैसे वाहेगुरु सतनाम , सतनाम वाहेगुरु, इक ओंकार, वाहेगुरु वाहेगुरु इत्यादि यह शब्द तो परमात्मा की महिमा बखान करते हैं। सिख भाई इसी को नाम जाप समझकर अपनी मुक्ति की उम्मीद करते हैं जबकि गुप्त मंत्र तो कोई और इनसे भिन्न है जो तत्वदर्शी संत से प्राप्त करके जपने होते हैं। इस का प्रमाण पवित्र गीता जी अध्याय 17 श्लोक 23 में भी है। श्री नानक जी को परमेश्वर कबीर जी ने खुद नाम दीक्षा दी थी और दूसरा मंत्र सतनाम काशी में बुलाकर दिया था। आज वर्तमान में केवल संत रामपाल जी महाराज जी सच्चे नाम मंत्र प्रदान करने के अधिकारी संत हैं। यह सारा वर्णन आप गुरु ग्रंथ साहिब जी में पढ़ सकते हैं।
गुरु नानक देव जी ने परमेश्वर कबीर जी को एकमात्र असली भगवान बताया है। इस का प्रमाण श्री नानक देव जी ने पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब जी के पृष्ठ 721 में दिया है। यहां पर श्री नानक जी ने कबीर साहेब को "हक्का कबीर" और "परवरदिगार" कह कर उनकी महिमा लिखी है, जिसका अर्थ है अमर कबीर जो सर्वोच्च सर्वशक्तिमान भगवान है। कबीर साहेब जी श्री नानक देव जी के गुरु भी थे।
नाम के जाप में बहुत शक्ति है। सच्चे मंत्र के जाप से असंभव कार्य भी संभव हो सकता है। यहां तक कि सत्य मंत्रों के जाप में मृतक को भी जीवित करने की शक्ति है। लेकिन यह मंत्र तभी लाभ देते हैं जब यह तत्वदर्शी संत प्रदान करता है। इस धरती पर आज के दिन संत रामपाल जी महाराज ही इन मंत्रों को प्रदान करने के अधिकारी संत हैं.
सिख धर्म की शुरुआत श्री नानक देव जी ने सच्ची भक्ति करने और ईश्वर को प्राप्त करने के उद्देश्य से की थी। परमेश्वर कबीर जी सतलोक से आकर श्री नानक देव जी को मिले थे और फिर श्री नानक जी ने उनकी बताई सतभक्ति करके अपना कल्याण करवाया था। वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी श्री नानक देव जी वाला सच्चा भक्ति मार्ग बता रहे हैं और भक्ति प्रदान करने के अधिकारी संत हैं।
श्री गुरु नानक देव जी ने अपनी बाणी में मनुष्य जीवन में सदगुरु की शरण में जाने, सच्चे मोक्ष मंत्र के जाप, सतभक्ति करने और मोक्ष की प्राप्ति का संदेश दिया है।
जी हां, श्री गुरु नानक देव जी को भगवान कबीर साहेब जी सतलोक से आकर बेई नदी पर मिले थे। उसके बाद परमेश्वर कबीर जी श्री नानक जी को सचखंड यानि कि सतलोक लेकर गए थे। श्री नानक जी तीन दिनों तक सतलोक में ही रहे और परमेश्वर कबीर जी ने श्री नानक जी को सच्चा अध्यात्मिक ज्ञान दिया। उसके बाद श्री नानक देव जी ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब में भी परमात्मा कबीर जी और सतलोक की महिमा का वर्णन किया है। इसका वर्णन पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब जी के पृष्ठ 721 में भी है।
श्री गुरु नानक देव जी न तो भगवान थे और न ही पैगम्बर। वह तो एक नेक आत्मा थे और इसलिए परमेश्वर कबीर जी उनसे आकर मिले थे। उन्होंने कबीर परमेश्वर जी के बताए अनुसार भक्ति की थी और मोक्ष प्राप्त किया था। नानक जी वाली आत्मा ही इससे पहले राजा अमब्रीष और राजा जनक भी बन चुके थे। अधिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी का सत्संग सुनें।
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Kiran Sharma
श्री गुरु नानक देव जी ने जाप करने के लिए 'सतनाम वाहेगुरु' मंत्र दिया था ।इसलिए सिख धर्म के लोग इसका जाप करते हैं।
Satlok Ashram
श्री गुरु नानक देव जी ने सतनाम मंत्र का महत्व बताया था जो कि सांकेतिक है। केवल तत्वदर्शी संत से प्राप्त करने पर ही यह मंत्र लाभ देता है। फिर इस मंत्र का जाप करने से मोक्ष प्राप्त होता है। लेकिन सतनाम वाहेगुरु कोई जाप करने का मंत्र नहीं हैं बल्कि यह सच्चे मोक्ष मंत्र की ओर संकेत है। श्री गुरु नानक देव जी ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब में राग आसा, मेहला 1 में उसी सच्चे नाम (मंत्र) के बारे में संकेत किया है। 'सतनाम वाहेगुरू' तो नानक जी ने इसलिए कहा था कि परमात्मा कबीर जी ने ही उन्हें काशी में बुलाकर सतनाम मंत्र दिया था। जिससे उनका उद्धार हुआ।