भाई बाले वाली - जनम साखी साखी मे प्रमाण - श्री गुरु नानक देव जी
पेज न. 275 : आगे साखी सचखंड दी चली-
ਤਾਂ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਜੀ ਧੁਰ ਸਚਖੰਡ ਦਰਬਾਰ ਮੇਂ ਜਾਇ ਪਹੁੰਚੇ ਜਹਾਂ ਬਡਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਹੈ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਰੂਪ ਤਖ਼ਤ ਕੇ ਉਪਰ ਸਤ ਨਿਰੰਕਾਰ ਜੋਤੀ ਸਰੂਪ ਬੈਠੇ ਹੈਂ, ਸੰਪੂਰਨ ਭਗਤ ਅਵਤਾਰ ਹਾਥ ਜੋੜ ਕਰ ਖੜੇ ਹੈਂ ਅਤੇ ਬਾਬਾ ਨਾਨਕ ਜੀ ਨੇ ਓਹ ਜੋ ਕੋਟਾਨ ਸੂਰਜ ਕੇ ਸਮਾਨ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਹੈ ਕੋਟਾਨ ਚੰਦ੍ਰਮਾਂ ਜੈਸਾ ਸੀਤਲ ਇਸ ਕਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਹੈ ਉਸ ਸਚੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਵਿਖੇ ਪਰਵੇਸ਼ ਕਿਆ ਉਸ ਜੋਤ ਰੂਪ ਭਗਵਾਨ ਕੀ ਉਸਤਤ ਕਰੀ ਔਰ ਆਗੇ ਸਤ ਸਰੂਪ ਨਿਰੰਕਾਰ ਵਿਸ਼ਨੂੰ (here Vishnu means controller of all, nurturer of all) ਜੀ ਬਿਰਾਜਮਾਨ ਹੈਂ, ਸਰਬ ਸਮਰਥ ਸਰਬ ਸ਼ਕਤੀਵਾਨ ਭਗਵੰਤ ਜੀ ਨੇ ਕਹਿਆ ਆਓ ਨਾਨਕ ਭਗਤ ਤੂ ਸਦਾ ਹੀ ਮੇਰੇ ਮੇਂ ਮਿਲਿਆ ਹੈਂ, ਤੇਰੇ ਔਰ ਮੇਰੇ ਮੇਂ ਕੋਈ ਭੇਦ ਨਹੀਂ ਪਰ ਜਿਸ ਵਾਸਤੇ ਸੰਸਾਰ ਮੇਂ ਸਤਿਨਾਮ ਉਪਦੇਸ਼ ਕੇ ਜਪਾਓਨ ਕੇ ਵਾਸਤੇ ਗਏ ਸੇ ਸੋ ਦ੍ਰਿੜਾਯਾ ਹੈ ਤਾਂ ਸ਼੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਜੀ ਕਹਿਆ ਹੇ ਸਰਬੰਗ ਸਵਾਮੀ ! ਜਹਾਂ ਆਪ ਦੀ ਆਗਿਆ ਭਈ ਤਹਾਂ ਸਤਿਨਾਮ ਦੀ ਚਕ੍ਰ ਫੇਰਿਆ ਹੈ, ਜਹਾਂ ਜਹਾਂ ਆਪਕਾ ਹੁਕਮ ਹੋਏਗਾ ਤਹਾਂ ਤਹਾਂ ਸਤਿਨਾਮ ਕ ਚਕ੍ਰ ਫੇਰੇਂਗੈ, ਆਗੇ ਜਿਓਂ ਆਪਕੀ ਰਜਾਈ ਹੋਵੇਗੀ ਤਿਓਂ ਹੀ ਹੋਵੇਗਾ, ਐਸਾ ਕਹਿ ਕਰ ਸ਼੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੇ ਸ਼ਬਦ ਉਚਾਰਨ ਕੀਤਾ ਉਸਤਤਿ ਮੇਂ -
ता गुरु नानक जी दूर सचखंड दरबार में जा पहुंचे जहां बड़ा प्रकाश है प्रकाश रूप तख्त के ऊपर सत निरंकार ज्योति स्वरूप बैठे हैं,संपूर्ण भगत अवतार हाथ जोड़कर खड़े है अते बाबा नानक जी ते ओह जो कोटी सूरज के समान प्रकाश है कोटी चंद्रमा जैसा शीतल इसका प्रकाश है उस सच्चे प्रकाश वीखे प्रवेश किया उस ज्योति रूप भगवान की स्तुति करी और आगे सत स्वरूप निरंकार विष्णु जी विराजमान है सर्व समर्थ सर्व शक्तिमान भगवंत जी ने केहो आओ नानक भगत तू सदा जी मेरे में मिलिया है,तेरे और मेरे में कोई भेद नहीं पर जिस वास्ते संसार मे सतनाम उपदेश के जपन के वास्ते से दृढ़ है ता श्री गुरु नानक जी केहा - हे सरबंग स्वामी जहां आप दी आज्ञा भई तहां सतनाम दी चकर फेरिया है, जहां जहां आपके हुकुम होयेया तहां तहां सतनाम का चकर फेरेंगे आगे ज्यों आपकी रजा होगी त्यों जी होवेगा ऐसा कहकर श्री गुरु नानक जी ने शबद उच्चारण किता स्तुति मे :-
श्री गुरु नानक देव जी ने कबीर साहेब के सिद्धांतों को सबसे अधिक महत्वपूर्ण नियम माना था। जिसमें मानवता के धर्म को सबसे ऊपर मानना और उसके बाद मोक्ष प्राप्त करना है।
सतनाम केवल एक शब्द नहीं है। बल्कि यह उस मंत्र का नाम है जिससे मोक्ष प्राप्ति हो सकती है। सतनाम का केवल श्री नानक देव जी ने अपनी बाणी में संकेत किया था। सतनाम की उत्पत्ति कबीर साहेब से हुई है और उन्होंने ही श्री नानक देव जी को सतनाम प्रदान किया था।
वाहेगुरु सतनाम दोनों अलग-अलग शब्द हैं और इनके अर्थ भी अलग-अलग हैं। वाहेगुरु शब्द का प्रयोग श्री गुरु नानक देव जी ने तब किया था जब उन्होंने कबीर साहेब को सतलोक और उसके बाद काशी में देखा था। जबकि सतनाम उस मंत्र का नाम है जिसके जाप करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। लेकिन सतनाम हमें केवल तत्वदर्शी संत ही प्रदान कर सकता है। आज के समय में वह तत्वदर्शी संत कोई और नहीं बल्कि संत रामपाल जी महाराज हैं।
वाहेगुरु शब्द का प्रयोग सबसे पहले श्री गुरु नानक देव जी ने कबीर साहेब जी के लिए किया था। जब श्री नानक जी काशी में अपने गुरु कबीर साहेब जी को मिलने गए थे तो खुशी से उनके मुख से यह शब्द निकले थे। वाहेगुरू वाहेगुरू "झांकी देख कबीर की नानक किती वाह, वाह सिक्खां दे गल पड़ी कौन छुड़ावै ता।"
जी नहीं, श्री गुरु नानक देव जी ने वाहेगुरु शब्द का प्रयोग केवल कबीर साहेब जी के लिए किया था। उन्होंने कभी भी अपनी बाणी में श्री कृष्ण जी के लिए इस शब्द का प्रयोग नहीं किया था.
सतनाम कोई धर्म नहीं है। बल्कि यह मोक्ष मंत्र है और इसके जाप से ही श्री नानक जी की मुक्ति हुई थी। प्रमाण श्री गुरु ग्रंथ साहिब, एहु जीउ बहुते जनम भरमिया, ता सतिगुरु शबद सुणाइआ। (पृष्ठ 465)
नहीं, सतनाम उस शब्द का नाम है जो श्री गुरु नानक देव जी को परमेश्वर कबीर साहेब जी ने प्रदान किया था। वर्तमान में इस मंत्र को देने का आधिकारी संत केवल तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही हैं। क्योंकि इसी मंत्र के जाप से मोक्ष प्राप्ति हो सकती है।
सिख धर्म में मोक्ष मंत्र को ही नाम कहते हैं। फिर अधिकारी संत से यह मंत्र प्राप्त करने के बाद जाप करने से ही मोक्ष संभव है। श्री गुरु नानक देव जी के अनुसार केवल पात्र व्यक्ति को ही पूर्ण संत सच्चा मोक्ष मंत्र प्रदान करता है।
सिख धर्म और श्री नानक देव जी के अनुसार कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा हैं। केवल कबीर साहेब ही सबका पालन-पोषण करते हैं। इसका वर्णन पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब जी के पृष्ठ 721 पर भी है। श्री नानक देव जी ने अपनी बाणी में कबीर साहेब को "परवरदिगार" कहा है। केवल यही नहीं बल्कि सभी धर्मों के सभी पवित्र ग्रंथ भी यह साबित करते हैं कि कबीर साहेब जी ही भगवान हैं।
परमेश्वर कबीर यानि कि वाहेगुरु के संविधान में लिखा है कि परमेश्वर हमारे सभी गुनाह माफ कर सकता है। लेकिन इसके लिए आपको उनके द्वारा बताई भक्ति करनी होगी और उनके द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करना होगा। उसके बाद परमेश्वर कबीर जी इसी जीवन में आपके सभी पापों को माफ कर सकते हैं और मोक्ष भी प्रदान कर सकते हैं। वर्तमान में केवल संत रामपाल जी महाराज जी हमें सच्चे मोक्ष मंत्र प्रदान कर रहे हैं।
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Nootan Rani
क्या वाहेगुरू सतनाम के जाप से परमात्मा की प्राप्ति हो सकती है?
Satlok Ashram
'वाहेगुरु सतनाम' कोई जाप करने का मंत्र नहीं है। यह तो परमात्मा की महिमा देखकर बोले गए शब्द हैं। सिख धर्म को मानने वाले लोग अज्ञानवश इसका जाप करते हैं। जबकि वास्तव में यह कबीर परमेश्वर द्वारा श्री गुरु नानक देव जी को सच्चे मोक्ष मंत्र (सतनाम) की ओर संकेत हैं। इस मंत्र का जाप करके ही श्री नानक जी को ईश्वर की प्राप्ति हुई थी। फिर सतनाम मंत्र (सांकेतिक) प्राप्त होने के बाद खुशी से श्री नानक देव जी ने 'वाहेगुरु सतनाम' कहा था। इस सच्चे मंत्र की प्राप्ति के बाद ही श्री नानक जी सतलोक यानि कि सच्चखंड जाने के अधिकारी हुए थे।