गुरु नानक जी द्वारा पूर्ण परमात्मा के बारे में संकेत - गुरु ग्रंथ साहिब


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Aanshik sacred speech, Mehla 1

(Shri Guru Granth, page no. 359-360)

ਸਿਵ ਨਗਰੀ ਮਹਿ ਆਸਣਿ ਬੈਸਉ ਕਲਪ ਤਿਆਗੀ ਬਾਦੰ ॥
ਸਿੰਙੀ ਸਬਦੁ ਸਦਾ ਧੁਨਿ ਸੋਹੈ ਅਹਿਨਿਸਿ ਪੂਰੈ ਨਾਦੰ ॥੨॥
ਹਰਿ ਕੀਰਤਿ ਰਹਰਾਸਿ ਹਮਾਰੀ ਗੁਰਮੁਖਿ ਪੰਥੁ ਅਤੀਤੰ ॥੩॥
ਸਗਲੀ ਜੋਤਿ ਹਮਾਰੀ ਸੰਮਿਆ ਨਾਨਾ ਵਰਨ ਅਨੇਕੰ ॥
ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਸੁਣਿ ਭਰਥਰਿ ਜੋਗੀ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਲਿਵ ਏਕੰ ॥੪॥੩॥੩੭॥

उपर्युक्त पवित्र वाणी का सार यह है कि श्री नानक जी कह रहे हैं “ओह, भर्तृहरि योगी जी, आपकी साधना भगवान शिव तक की है, और उसी के कारण आपने शिव नगरी (लोक) में स्थान प्राप्त किया है। यह सिंगी शब्द आदि जो आपके शरीर में चल रहे हैं, वह देवताओं के कमल है, और शरीर में प्रत्येक भगवान के लोक (एक टेलीविजन की तरह) से श्रव्य है। मैं (नानक जी) अविभाजित मन के साथ केवल एक परमात्मा पारब्रह्मा अर्थात् पूर्ण परमात्मा पर ध्यान केंद्रित करता हूं, जो सभी से परे है, और कोई और है। मैं दिखावा नहीं करता (जैसे, पूरे शरीर पर राख सुलगाना, हाथ में छड़ी पकड़ना)। मैं सभी जीवित प्राणियों को एक सर्वोच्च ईश्वर (सतपुरुष) की संतान मानता हूं। हर कोई उस पूर्ण परमात्मा की शक्ति से ही कार्य करता है। मेरी मुद्रा (राजस्व) एक पूर्ण गुरु से प्राप्त करने के बाद सच्चे नाम का जाप करना है, और मेरा बाण (पोशाक) क्षमा है। मैं पूर्ण परमात्मा का उपासक हूं और पूर्ण सतगुरु की भक्ति का मार्ग आपके वाले मार्ग से अलग है।


 

FAQs : "गुरु नानक जी द्वारा पूर्ण परमात्मा के बारे में संकेत - गुरु ग्रंथ साहिब"

Q.1 श्री गुरु ग्रंथ साहिब में श्री नानक देव जी ने ईश्वर के बारे में क्या संकेत दिया है?

श्री नानक देव जी ने पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब के मेहला 1 के पृष्ठ 359-360 पर पूर्ण परमात्मा कबीर जी के बारे में संकेत किया है। श्री नानक जी ने परमेश्वर कबीर जी के संविधान के बारे में बताया तथा उनका कहना था मोक्ष प्राप्ति के लिए मनुष्य को पूर्ण गुरु की खोज करनी चाहिए। फिर उसके बाद उनके बताए अनुसार ही पूर्ण परमेश्वर कबीर जी की भक्ति करनी चाहिए। परमेश्वर कबीर जी ने ही मुझे (नानक देव जी) को सच्चे मंत्र बताए थे। हमें केवल परमेश्वर कबीर जी की भक्ति करनी चाहिए।

Q.2 श्री गुरु नानक देव जी को परमेश्वर कहां मिले थे?

परम पूज्य कबीर प्रभु एक जिन्दा महात्मा का रूप बना कर श्री नानक जी से (पश्चिमी पाकिस्तान उस समय पंजाब प्रदेश हिन्दूस्तान का ही अंश था) मिलने पंजाब में गए तब श्री नानक साहेब जी से वार्ता हुई। तब परमेश्वर कबीर जी ने कहा कि आप जैसी पुण्यात्मा जन्म-मृत्यु का कष्ट भोग रहे हो फिर आम जीव का कहाँ ठिकाना है? जिस निरंकार को आप प्रभु मान कर पूज रहे हो पूर्ण परमात्मा तो इससे भी भिन्न है। वह मैं ही हूँ। जब से आप मेरे से बिछुड़े हो साठ हजार जन्म तो अच्छे-अच्छे उच्च पद भी प्राप्त कर चुके हो जैसे सतयुग में आप ही पवित्र आत्मा राजा अम्ब्रीष तथा त्रेतायुग में राजा जनक (जो सीता जी के पिता जी थे) हुए तथा अब कलियुग में श्री नानक साहेब जी हुए। फिर भी जन्म मृत्यु के चक्र में ही हो। मैं आपको सतशब्द अर्थात् सच्चा नाम जाप मंत्र बताऊंगा उससे आप अमर हो जाओगे। श्री नानक साहेब जी ने प्रभु कबीर से कहा कि आप बन्दी छोड़ भगवान हो, आपको कोई बिरला सौभाग्यशाली व्यक्ति ही पहचान सकता है।

Q. 3 श्री गुरु नानक देव जी ने ब्रह्मांड के बारे में क्या कहा था?

श्री नानक देव जी ने कहा था कि सभी ब्रह्मांड सर्वशक्तिमान परमेश्वर कबीर जी की रचना हैं। लेकिन हम सब ने सचखंड यानि कि सतलोक में बहुत बड़ी गलती की थी। अपनी उसी गलती के कारण हम यहां ब्रह्म काल के लोक में फसे हुए हैं।

Q.4 श्री गुरु नानक देव जी को यह विश्वास क्यों था कि लोग ईश्वर को पाने के लिए एकजुट हो सकते हैं?

कबीर साहेब जी ने श्री गुरु नानक देव जी को बताया था कि ब्रह्म काल ने उनकी सभी पवित्र आत्माओं को विभिन्न धर्मों में बांट दिया है। जिसके कारण लोग आपस में धर्म के नाम पर लड़ेंगे और मोक्ष प्राप्ति के लक्ष्य को भूल जायेंगे। लेकिन कबीर साहेब जी की शक्तियों और कलियुग के लिए उनकी योजनाओं पर उन्हें यकीन था। इसलिए यह विश्वास प्रकट किया कि जिन लोगों ने खुद को भगवान के लिए धर्मों में बांटा है, वे फिर से भगवान के लिए एकजुट हो जाएंगे।

Q.5 श्री गुरु नानक देव जी को सतज्ञान/तत्वज्ञान कैसे प्राप्त हुआ था?

श्री गुरु नानक देव जी को भगवान कबीर साहेब जी ने स्वयं सचखंड से आकर सतज्ञान समझाया था। फिर कबीर साहेब जी ही श्री नानक जी को तीन दिन के लिए सचखंड लेकर गए थे और उन्हें अपने सच्चे आध्यात्मिक ज्ञान से परिचित करवाया था।

Q.6 श्री गुरु नानक देव जी प्रेरणा स्रोत क्यों हैं?

श्री गुरु नानक देव जी एक पवित्र आत्मा थे। श्री नानक जी ने अपनी आखिरी सांस तक अपने गुरु कबीर साहेब जी की आज्ञा का पालन किया था। उन्होंने परमात्मा कबीर साहेब जी द्वारा बताए सतज्ञान को ही आगे फैलाया। इसलिए वह लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। श्री नानक देव जी सिख धर्म के प्रवर्तक भी हैं जो कबीर साहेब जी की शिक्षाओं पर आधारित पंथ है।

Q.7 क्या श्री गुरु नानक देव जी भगवान थे?

जी नहीं, यह धारणा बिल्कुल गलत है। श्री गुरु नानक जी भगवान नहीं थे। उन्होंने पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब जी के पृष्ठ 721 में अपनी बाणी में कबीर साहेब जी को अपना गुरु होने का प्रमाण भी दिया है। इसके अलावा श्री नानक जी ने परमेश्वर कबीर जी को "परवरदिगार" यानि पूर्ण परमेश्वर भी कहा था। गुरू नानक देव जी, धर्म दास जी और गरीब दास जी (छुड़ानी वाले) को परमात्मा कबीर जी सचखंड से स्वयं आकर मिले थे और तीनों को गुरु पद संभालने की आज्ञा दी थी और पांच नामों को देने को कहा था ताकि इस समय तक हमें मनुष्य जन्म मिलता रहे और बीचली पीढ़ी में जब परमात्मा स्वयं आएं या अपना भेजा हुआ संत भेजें तो हम परमात्मा को आसानी से पहचान सकें।अधिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मुख कमल से सत्संग सुनें।

Q.8 क्या सिख धर्म को मानने वाले लोग ईश्वर को निर्माता के रूप में भी मानते हैं?

जी हां, सिख धर्म को मानने वाले लोग एक ईश्वर में विश्वास रखते हैं। इसके अलावा वह पूर्ण परमेश्वर को ही पूरे ब्रह्मांड का निर्माता भी मानते हैं। परंतु दुख की बात ये है कि वे ईश्वर की निराकार के रूप में पूजा करते हैं, जो कि गलत है। जबकि परमेश्वर साकार है और नर आकार है। मनुष्य सदृश्य है। (श्री गुरु ग्रन्थ साहिब के पृष्ठ 567, 1257, 764 पर महला 1 की वाणी में परमात्मा कैसा दिखता है का साफ साफ वर्णन किया गया है) इनमें श्री नानक देव जी ने स्पष्ट किया है कि बड़ा साहिब आप है। श्री गुरु नानक देव जी ने पवित्र श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पृष्ठ 721 पर ईश्वर का नाम "हक्का कबीर" भी बताया है।

Q.9 क्या श्री गुरु नानक देव जी धर्म के खिलाफ थे?

श्री नानक देव जी ने परमेश्वर कबीर जी से सतज्ञान प्राप्त किया था। श्री नानक जी किसी भी धर्म के विरोधी नहीं थे। उनका दृढ़ विश्वास था कि मानवता से ऊपर कोई धर्म नहीं है। कबीर साहेब जी से सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के बाद श्री नानक देव जी ने समाज में चल रही झूठी धार्मिक प्रथाओं का हमेशा कड़ा विरोध किया।


 

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Avneet Kaur

श्री गुरु ग्रंथ साहिब में परमात्मा के बारे में क्या जानकारी है?

Satlok Ashram

श्री गुरु ग्रंथ साहिब में श्री नानक देव जी ने स्पष्ट रूप से यह प्रमाण दिया है कि कबीर जी ही परमेश्वर हैं और कबीर साहेब जी ही उनके गुरू हैं। तथा वह परमेश्वर कबीर सचखण्ड यानि कि सतलोक में रहता है। सिर्फ परमेश्वर कबीर जी की सच्ची भक्ति करने से मोक्ष प्राप्त हो सकता है। प्रमाण के लिए श्री गुरु ग्रंथ साहिब का मेहला 1 पृष्ठ नं. 359-360 देखें।

Salwan Singh

श्री गुरु नानक देव जी किसकी भक्ति करते थे?

Satlok Ashram

श्री गुरु नानक देव जी शुरू में तो भगवान विष्णु जी के उपासक थे। लेकिन जब सर्वशक्तिमान कबीर जी उनसे सचखंड से आकर मिले तो इसके बाद उन्हें सच्ची भक्ति का ज्ञान हुआ। उसके बाद श्री नानक जी ने पूर्ण परमात्मा कबीर जी की सच्ची भक्ति करनी शुरु की। इसका प्रमाण श्री गुरु ग्रंथ साहिब के आंशिक पवित्र वाणी मेहला 1 पृष्ठ संख्या 359-360 में भी है।