(Shri Guru Granth Sahib, page no.843-844)
ਮੈ ਮਨਿ ਚਾਉ ਘਣਾ ਸਾਚਿ ਵਿਗਾਸੀ ਰਾਮ ॥
ਮੋਹੀ ਪ੍ਰੇਮ ਪਿਰੇ ਪ੍ਰਭਿ ਅਬਿਨਾਸੀ ਰਾਮ ॥
ਅਵਿਗਤੋ ਹਰਿ ਨਾਥੁ ਨਾਥਹ ਤਿਸੈ ਭਾਵੈ ਸੋ ਥੀਐ ॥
ਕਿਰਪਾਲੁ ਸਦਾ ਦਇਆਲੁ ਦਾਤਾ ਜੀਆ ਅੰਦਰਿ ਤੂੰ ਜੀਐ ॥
ਮੈ ਆਧਾਰੁ ਤੇਰਾ ਤੂ ਖਸਮੁ ਮੇਰਾ ਮੈ ਤਾਣੁ ਤਕੀਆ ਤੇਰਓ ॥
ਸਾਚਿ ਸੂਚਾ ਸਦਾ ਨਾਨਕ ਗੁਰ ਸਬਦਿ ਝਗਰੁ ਨਿਬੇਰਓ ॥੪॥੨॥
“मै मन चाहु घना साची विगासी राम
मोहि प्रेम पिरे प्रभु अबिनासी राम
अविगत हरी नाथू नाथः तिसै भावै सो थीए
किरपालु सदा दयालु दाता जिआ अंदरि तू जीए”
“मैं आधारु तेरा तू खसमु मेरा मैं ताणु ताक़िआ तेरो
साची सोच सदा नानक गुरसब्दी झगरू निबेरो”
गुरु नानक देव जी को पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी मिले, उन्हें अमरधाम सत्यलोक दिखाया, सत्यज्ञान (तत्वज्ञान) समझाया जिसे जानने के बाद गुरु नानक देव जी परमात्मा की महिमा करते नहीं थकते थे।
परमात्मा की महिमा करते हुए उन्होंने कहा, कि मेरा मन खुशी से झूम रहा है और मैं सच्चे रब/ परमात्मा को जान गया हूं जिस की भक्ति में मैं आगे बढ़ रहा हूं ।
मैं उस पूर्ण परमात्मा के प्यार में खिल उठा हूं जो अविनाशी है, जो सदा था, सदा है और सदा रहेगा ।
जो सभी ईश्वरों का भी ईष्ट है , जो पूर्ण परमात्मा है जिस से बड़ा कोई और नहीं है जिसकी मर्जी से यह सभी चीजें बनी और कार्य कर रही हैं ।
पूरे ब्रह्मांड में होने वाले सभी काम उसी दयालु परमात्मा की मर्ज़ी से होते हैं और फिर अपने पूर्ण परमात्मा से अर्ज करते हुए गुरु नानक देव जी ने कहा है कि हे पूर्ण परमात्मा! तुम हमेशा ही दयालु और कृपालु हो जो सभी जीवों के जीवन दाता हो।
हे मेरे मालिक ! मेरे पास न ही अक्ल है , न ही साधना करने की विधि। ना तो मैं कोई तीर्थ यात्रा या किसी धाम पर जाता हूं मेरी अंतरात्मा में सिर्फ तेरा नाम बसा है, बस इतना ही जानता हूं कि तेरा नाम ही भवसागर से पार उतारेगा और मुझे इसी का इंतज़ार है।
मुझे मेरे जीवन का हर दिन और रात बहुत खूबसूरत लगता है, जब तेरा एक नाम मेरी अंतरात्मा में समा जाता है तो मेरी दुल्हन रूपी आत्मा तेरे सच्चे नाम का सुमिरन करके अपनी भक्ति पूरी करके अपने सच्चे ससुराल जा सकती है।
मुझे तेरे सच्चे ज्ञान ने सिखाया है कि कपट- निंदा को छोड़कर सिर्फ परमात्मा से प्रेम करते हुए हर एक जीव आत्मा की सेवा करना और तेरे सच्चे नाम का सुमिरन करना ही जीव की आत्मा का सच्चा श्रृंगार है ।
गुरु नानक देव जी ने अपने दोनों हाथों को जोड़कर पूर्ण परमात्मा से यह विनती की है कि हे परमात्मा ! मुझे अपने उस सच्चे नाम की भीख दो और अपने हुकुम में जीने का आनंद भी ।
गुरु नानक देव जी ने बताया है कि, 'गुरु की मर्यादा में रहो, उनके द्वारा बताई गई भक्ति करो, दास भाव रखो, सभी संकटों का सामना करो और जीवन में संघर्ष करते हुए, परमात्मा की प्राप्ति करो।।
श्री नानक देव जी के अनुसार कबीर साहेब सर्वोच्च भगवान हैं क्योंकि वे पूरे ब्रह्मांड के निर्माता हैं और इसका प्रमाण पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब जी के पृष्ठ 721 पर भी है।
परमेश्वर से ऊपर कोई शक्ति नहीं है क्योंकि परमेश्वर कबीर जी परम सर्वशक्तिमान ईश्वर हैं। केवल कबीर परमेश्वर ही सबसे ऊपर हैं और कबीर जी हम सबका पालन-पोषण करते हैं। वह कोई और नहीं बल्कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही हैं,जो लगभग 600 वर्ष पहले काशी में आए थे।
धर्म मनुष्य ने बनाए हैं न कि परमात्मा द्वारा बनाए गए हैं। किसी भी धर्म से परे एक सर्वोच्च ईश्वर है , जिसने सभी ब्रह्मांडों की रचना की थी। इसी का जिक्र श्री गुरु नानक देव जी ने पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब जी में किया है। श्री नानक जी ने अपनी बाणी में स्पष्ट लिखा है कि कबीर साहेब ही पूर्ण परमेश्वर हैं।
सर्वप्रथम और एकमात्र परमेश्वर कबीर साहेब ही हैं। इसी का प्रमाण हमारे सभी धार्मिक ग्रंथों में भी है।
कबीर साहेब जी ने स्वयं सृष्टि बनाई है। जिसमें ब्रह्मा जी, विष्णु जी और शिव जी तीनों भाई हैं। ब्रह्म काल यानि कि ज्योति निरंजन इनका पिता और दुर्गा जी माता हैं। लेकिन कबीर साहेब जी इन सभी में सर्वोच्च और पूर्ण परमेश्वर हैं क्योंकि पूरे ब्रह्मांड के निर्माता और नियंत्रक केवल कबीर साहेब ही हैं।
भगवान शिव जी के पिता ब्रह्म काल यानि कि ज्योति निरंजन है। इसका प्रमाण हमारे पवित्र शास्त्रों में भी है।
देवी दुर्गा जी यानि कि अष्टांगी जी ही शिव जी की माता हैं। इसका वर्णन हमारे पवित्र शास्त्रों में भी है।
पूर्ण परमात्मा केवल एक ही है। सभी जीव परमेश्वर के आधीन हैं। जबकि लोग यह मानते हैं कि ब्रह्मा जी, विष्णु जी और शिव जी ही तीन परमेश्वर हैं। लेकिन यह गलत धारणा है क्योंकि यह त्रिदेव (श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी और श्री शिव जी) हमें हमारे भाग्य से अधिक नहीं दे सकते। इसका प्रमाण पवित्र गीता जी अध्याय 7 श्लोक 12-15 में बताया गया है।
श्री ब्रह्मा, श्री विष्णु जी और श्री शिव जी के आधीन 33 देवता हैं। लेकिन ये तीनों भगवान नहीं हैं, उनके पास अपना-अपना विभाग है। इन देवताओं का सम्मान करना चाहिए न कि पूजा करनी चाहिए। इनसे ऊपर सर्वोच्च कबीर परमेश्वर हैं जो पूजा के योग्य हैं।
यदि गुरु तत्वदर्शी संत है और पूर्ण गुरु है तो उसे ईश्वर के तुल्य मानना चाहिए। लेकिन कलियुग के इस युग में इतने धर्म गुरु हैं कि उनको भगवान नहीं माना जा सकता। ब्रह्माण्ड में एक समय में पूर्ण संत केवल एक ही होता है। वह कोई और नहीं बल्कि भारत के हरियाणा के संत रामपाल जी महाराज जी हैं।
ईश्वर एक और केवल कविर्देव यानि कि कबीर जी ही हैं। वह पृथ्वी लोक में प्रकट होकर एक गुरु की भूमिका भी निभाते हैं। जबकि सिखों के 10 गुरु केवल गुरु थे, वह भगवान नहीं थे।
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Gita Verm
श्री गुरु नानक देव जी ने परमेश्वर के बारे में क्या बताया था?
Satlok Ashram
सर्वोच्च ईश्वर के बारे में श्री गुरु नानक देव जी ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब में बिलावलु मेहला 1 के पृष्ठ 843-844 पर वर्णन किया है। श्री नानक जी ने अपनी बाणी में स्पष्ट रूप से लिखा है कि है कि कबीर जी ही भगवान हैं।