दूसरा प्रमाण:- नीचे प्रमाण है जिसमें कबीर परमेश्वर का नाम स्पष्ट लिखा है।
‘‘राग तिलंग महला 1‘‘ पंजाबी गुरु ग्रन्थ साहेब पृष्ठ नं. 721
यक अर्ज गुफतम पेश तो दर गोश कुन करतार।
हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार।।
दूनियाँ मुकामे फानी तहकीक दिलदानी।
मम सर मुई अजराईल गिरफ्त दिल हेच न दानी।।
जन पिसर पदर बिरादराँ कस नेस्त दस्तं गीर।
आखिर बयफ्तम कस नदारद चूँ शब्द तकबीर।।
शबरोज गशतम दरहवा करदेम बदी ख्याल।
गाहे न नेकी कार करदम मम ई चिनी अहवाल।।
बदबख्त हम चु बखील गाफिल बेनजर बेबाक।
नानक बुगोयद जनु तुरा तेरे चाकरा पाखाक।।
सरलार्थ:-- (कुन करतार) हे शब्द स्वरूपी कर्ता अर्थात् शब्द से सर्व सृष्टि के रचनहार (गोश) निर्गुणी संत रूप में आए (करीम) दयालु (हक्का कबीर) सत कबीर (तू) आप (बेएब परवरदिगार) निर्विकार परमेश्वर हैं। (पेश तोदर) आपके समक्ष अर्थात् आप के द्वार पर (तहकीक) पूरी तरह जान कर (यक अर्ज गुफतम) एक हृदय से विशेष प्रार्थना है कि (दिलदानी) हे महबूब (दुनियां मुकामे) यह संसार रूपी ठिकाना (फानी) नाशवान है (मम सर मूई) जीव के शरीर त्यागने के पश्चात् (अजराईल) अजराईल नामक फरिश्ता यमदूत (गिरफ्त दिल हेच न दानी) बेरहमी के साथ पकड़ कर ले जाता है। उस समय (कस) कोई (दस्तं गीर) साथी (जन) व्यक्ति जैसे (पिसर) बेटा (पदर) पिता (बिरादरां) भाई चारा (नेस्तं) साथ नहीं देता। (आखिर बेफ्तम) अन्त में सर्व उपाय (तकबीर) फर्ज अर्थात् (कस) कोई क्रिया काम नहीं आती (नदारद चूं शब्द) तथा आवाज भी बंद हो जाती है (शबरोज) प्रतिदिन (गशतम) गसत की तरह न रूकने वाली (दर हवा) चलती हुई वायु की तरह (बदी ख्याल) बुरे विचार (करदेम) करते रहते हैं (नेकी कार करदम) शुभ कर्म करने का (मम ई चिनी) मुझे कोई (अहवाल) जरीया अर्थात् साधन (गाहे न) नहीं मिला (बदबख्त) ऐसे बुरे समय में (हम चु) हमारे जैसे (बखील) नादान (गाफील) ला परवाह (बेनजर बेबाक) भक्ति और भगवान का वास्तविक ज्ञान न होने के कारण ज्ञान नेत्र हीन था तथा ऊवा-बाई का ज्ञान कहता था। (नानक बुगोयद) नानक जी कह रहे हैं कि हे कबीर परमेश्वर आप की कृपा से (तेरे चाकरां पाखाक) आपके सेवकों के चरणों की धूर डूबता हुआ (जनु तूरा) बंदा पार हो गया।
केवल हिन्दी अनुवाद:-- हे शब्द स्वरूपी राम अर्थात् शब्द से सर्व सृष्टि रचनहार दयालु ‘‘सतकबीर‘‘ आप निर्विकार परमात्मा हैं। आप के समक्ष एक हृदय से विनती है कि यह पूरी तरह जान लिया है हे महबूब यह संसार रूपी ठिकाना नाशवान है। हे दाता! इस जीव के मरने पर अजराईल नामक यम दूत बेरहमी से पकड़ कर ले जाता है कोई साथी जन जैसे बेटा पिता भाईचारा साथ नहीं देता। अन्त में सभी उपाय और फर्ज कोई क्रिया काम नहीं आता। प्रतिदिन गश्त की तरह न रूकने वाली चलती हुई वायु की तरह बुरे विचार करते रहते हैं। शुभ कर्म करने का मुझे कोई जरीया या साधन नहीं मिला। ऐसे बुरे समय कलियुग में हमारे जैसे नादान लापरवाह, सत मार्ग का ज्ञान न होने से ज्ञान नेत्र हीन था तथा लोकवेद के आधार से अनाप-सनाप ज्ञान कहता रहता था। नानक जी कहते हैं कि मैं आपके सेवकों के चरणों की धूर डूबता हुआ बन्दा नानक पार हो गया।
भावार्थ - श्री गुरु नानक साहेब जी कह रहे हैं कि हे हक्का कबीर (सत् कबीर)! आप निर्विकार दयालु परमेश्वर हो। आप से मेरी एक अर्ज है कि मैं तो सत्यज्ञान वाली नजर रहित तथा आपके सत्यज्ञान के सामने तो निर्उत्तर अर्थात् जुबान रहित हो गया हूँ। हे कुल मालिक! मैं तो आपके दासों के चरणों की धूल हूँ, मुझे शरण में रखना।
FAQs : "राग तिलंग महला 1 - गुरु ग्रन्थ साहेब पृष्ठ नं. 721"
Q.1 श्री गुरु नानक देव जी और कबीर जी में से सबसे पहले किसका जन्म हुआ था?
कबीर साहेब सर्वशक्तिमान हैं। वह कभी मां के गर्भ से जन्म नहीं लेते और वह पूर्ण परमेश्वर हैं। परमेश्वर कबीर जी कभी भी और कहीं भी जब चाहें प्रकट हो सकते हैं।परमेश्वर कबीर जी चारों युगों में आकर अपनी विशेष और प्यारी आत्माओं से आकर मिलते हैं। वर्ष 1398 (विक्रम संवत 1455) को ज्येष्ठ की पूर्णिमा के दिन कबीर साहेब कमल के पुष्प पर लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर अवतरित हुए। जबकि श्री नानक देव जी कबीर साहेब जी के शिष्य थे और उनका जन्म मां के गर्भ से हुआ था। श्री नानक देव का जन्म विक्रमी संवत् 1526 (सन् 1469) कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा को हिन्दू परिवार में श्री कालु राम मेहत्ता (खत्री) के घर माता श्रीमति तृप्ता देवी की पवित्र कोख (गर्भ) से पश्चिमी पाकिस्तान के जिला लाहौर के तलवंडी नामक गाँव में हुआ।
Q.2 सिख धर्म की नींव किस गुरु के ज्ञान पर आधारित है?
कबीर साहेब जी सिख धर्म के संस्थापक श्री नानक देव जी के गुरु थे। कबीर साहेब ही पूर्ण परमेश्वर हैं। सिख धर्म कबीर साहेब के आध्यात्मिक ज्ञान और शिक्षाओं पर आधारित है।
Q. 3 क्या गुरु नानक देव जी कबीर साहेब जी के शिष्य थे?
जी हां, कबीर साहेब जी श्री नानक देव जी के गुरू थे। नानक जी ने स्वयं पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब जी के पृष्ठ 721 पर लिखा है कि कबीर साहेब ही पूर्ण भगवान हैं।
Q.4 क्या गुरु नानक देव जी हिंदू थे?
श्री नानक देव का जन्म विक्रमी संवत् 1526 (सन् 1469) कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा को हिन्दू परिवार में श्री कालु राम मेहत्ता (खत्री) के घर माता श्रीमति तृप्ता देवी की पवित्र कोख (गर्भ) से पश्चिमी पाकिस्तान के जिला लाहौर के तलवंडी नामक गाँव में हुआ। इन्होंने फारसी, पंजाबी, संस्कृत भाषा पढ़ी हुई थी। श्रीमद् भगवत गीता जी को श्री बृजलाल पांडे से पढ़ा करते थे। कबीर साहेब जी से दीक्षा लेने के बाद श्री नानक देव जी ने हमेशा मानवता के धर्म को ही उत्तम धर्म माना था।
Q.5 गुरू ग्रंथ साहेब में लिखे राग क्या हैं?
प्रत्येक राग गुरु ग्रंथ साहिब में एक अध्याय या खंड है जो आसा राग से शुरू होता है। प्रत्येक राग में परमात्मा कबीर साहेब जी की महिमा लिखी गई है।
Q.6 राग तिलंग का क्या अर्थ है?
राग तिलंग पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब का एक ऐसा भाग है जिसमें गुरु नानक देव जी ने परमेश्वर कबीर जी के बारे में 'हक्का कबीर' नामक रचना लिखी है। इसका प्रमाण पृष्ठ 721 राग तिलंग मेहला 1 में है।
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Shakuntla Singh
सिख धर्म को मानने वाले लोगों में यह मान्यता है कि श्री गुरु नानक देव जी परमात्मा से मिले थे। लेकिन यह सच कैसे हो सकता है क्योंकि भगवान तो निराकार है।
Satlok Ashram
भगवान साकार है और मनुष्य सदृश्य है। गुरु नानक देव जी ने भी तो खुद भगवान कबीर जी की महिमा आंखों देखी लिखी है। जिसका प्रमाण श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पृष्ठ 721 राग तिलंग मेहला 1 में है। यह बाणी उसी सर्वशक्तिमान परमेश्वर कबीर जी के बारे में है। परमात्मा नर आकार है , निराकार नहीं की जिसका कोई आकार न हो। अधिक जानकारी के लिए आप हमारी वेबसाइट देखें।