संत गरीबदास जी महाराज बोध दिवस: तिथि, उत्सव, घटनाएँ, इतिहास


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संत गरीबदास जी महाराज बोध दिवस: भक्तिकाल के निर्गुण परंपरा से संबंधित आदरणीय संत गरीबदास जी महाराज कबीर पंथ के प्रसिद्ध संत हुए हैं। संत गरीबदास जी को स्वयं कबीर परमेश्वर ने नाम दीक्षा दी थी और पूरा सत्यलोक  एवं अन्य लोक भी दिखाए।

संत गरीबदास जी का परिवारिक परिचय

रोहतक, हरियाणा में संत गरीबदास जी महाराज के पिता बलराम का विवाह शिवलाल सिहाग की इकलौती पुत्री माता रानी देवी से हुआ। शिवलाल सिहाग के कोई पुत्र न होने के कारण उन्होंने बलराम जी से छुड़ानी में ही रहने का अनुरोध किया। इस प्रकार बलराम जी छुड़ानी में ही रहे। छुड़ानी में रहने के 12 वर्ष पश्चात गरीबदास जी महाराज का जन्म माता रानी देवी से हुआ। गरीबदास जी महाराज का जन्म छुड़ानी, जिला झज्जर, रोहतक हरियाणा में सन 1717 (विक्रमी संवत 1774) को हुआ। गरीबदास जी का गोत्र धनखड़ था। संत गरीबदास जी करीब 1400 एकड़ भूमि के इकलौते वारिस थे।

संत गरीबदास जी का कबीर परमेश्वर जी से साक्षात्कार

गरीबदास जी 10 वर्ष की आयु में अन्य पालियों के साथ गौएं चराने नला नामक स्थान पर गए हुए थे। वहां उन्हें परम अक्षर ब्रह्म कबीर साहेब ज़िंदा महात्मा के रूप में मिले। घटना कुछ इस प्रकार है कि उस समय सभी पाली एक जांडी के वृक्ष के नीचे भोजन कर रहे थे। तभी कबीर साहेब जिंदा महात्मा के वेश में उनके समक्ष प्रकट हुए। शुभ संस्कारवश पालियों ने भोजन के लिए आग्रह किया किंतु कबीर साहेब ने भोजन के लिए मना कर दिया। तब पालियों ने दूध पीने के लिए आग्रह किया तो कबीर साहेब जी.ने कहा कि वे केवल कुंवारी गाय (बछिया) का ही दूध पिएंगे। 

यह पालियों के लिए एकदम अनोखी और नई बात थी जिसके लिए उन्होंने अविश्वास भरी प्रतिक्रिया दी। तब गरीबदास जी महाराज अपनी एक पसंदीदा कुंवारी गाय पकड़ लाए और कबीर साहेब जी के कहने पर उसके थनों के नीचे एक मिट्टी का बर्तन रख दिया। कबीर साहेब के आशीर्वाद से वह दूध देने लगी। बर्तन भर जाने पर दूध निकलना अपने आप बंद हो गया। कुछ दूध ज़िंदा बाबा के रूप में आए कबीर साहेब जी ने पिया और अन्य पालियों को भी पीने के लिए दिया लेकिन जिसे पीने से उन्होंने मना कर दिया। किंतु गरीबदास जी महाराज आगे आए और उन्होंने उस दूध को प्रसाद समझकर पूर्ण श्रद्धा के साथ ग्रहण किया और तब परमेश्वर कबीर जी ने उन्हें नामदीक्षा प्रदान की और कहा मैं आपके लिए ही यहां आया हूं एवं उन्हें संपूर्ण सृष्टि रचना से अवगत करवाया।

परमेश्वर कबीर जी ने गरीबदास जी को सत्यलोक एवं अन्य लोकों का भ्रमण करवाया

नामदीक्षा लेने के पश्चात संत गरीबदास जी महाराज ने कबीर साहेब जी से सत्यलोक के दर्शन कराने की प्रार्थना की। ज़िंदा महात्मा के रूप में कबीर साहेब ने उन्हें श्री ब्रह्मा जी, श्री शिव जी, श्री विष्णु जी समेत अन्य सभी लोकों के दर्शन करवाए। उसके बाद देवी दुर्गा के लोक एवं ब्रह्म लोक का दर्शन करवाया। तत्पश्चात दशम द्वार (ब्रह्मरंध्र) को पार करके काल ब्रह्म के 21 ब्रह्मांडों के भी अंतिम स्थान पर बने ग्यारहवें द्वार को पार करके अक्षर पुरुष के लोक में लेकर गए। अक्षर पुरुष के लोक को पार करने के पश्चात बारहवें द्वार को खोलकर भंवर गुफा को पारकर सतलोक के द्वार पर पहुंचे।

गरीबदास जी महाराज ने सतलोक में किए थे परम अक्षर ब्रह्म के दर्शन

सतलोक पहुंचकर जिंदा महात्मा और गरीबदास जी श्वेत गुम्बद के समक्ष उपस्थित हुए। सिंहासन पर परम अक्षर ब्रह्म विराजमान थे जिनके एक रोम कूप का प्रकाश करोड़ सूर्यों एवं करोड़ चंद्रमाओं से भी अधिक था। सतलोक भी स्वयं हीरे के समान स्वप्रकाशित था। जिंदा बाबा गरीबदास जी के सामने परम अक्षर ब्रह्म के समक्ष रखे हुए चंवर को उठाकर तख्त पर बैठे परमात्मा पर चंवर ढुलाने लगे तभी परमात्मा उठे और जिंदा महात्मा तख्त पर विराजमान हो गए और परमात्मा उन पर चंवर करने लगे। देखते ही देखते जिंदा महात्मा वाला रूप और सतलोक के परमेश्वर वाले रूप, एक हो गए। तब गरीबदास जी महाराज को परमेश्वर कबीर जी ने स्वयं का परिचय करवाया और बताया कि वे सर्व सृष्टि के रचनहार हैं तथा पूरी सृष्टि को, सभी पदार्थों को, सर्व लोकों को मात्र सात दिनों में रचने वाले एकमात्र वे ही पूर्ण परमेश्वर हैं। परमेश्वर ने यह भी बताया कि कलियुग में वे स्वयं कबीर साहेब के रूप में आए थे एवं 120 वर्ष तक जुलाहे की भूमिका उन्होंने ही की थी। परमेश्वर कबीर साहेब ने सर्व ज्ञान गरीबदास जी महाराज के अंतःकरण में डालकर पुनः संसार में अपना साक्षी बनाकर भेज दिया।

गरीबदास जी महाराज का पुनः जीवित होना सबको अचंभित कर गया

जब जिंदा महात्मा रूप में कबीर साहेब गरीबदास जी महाराज की आत्मा को सर्व लोकों के दर्शन करवाने के लिए लेकर गए तब तक गरीबदास जी महाराज का शरीर सुखासन में रहा। जब अन्य पालियों ने देखा कि गरीबदास जी की स्वांस निष्क्रिय है तो शीघ्रता के साथ गांव में समाचार पहुंचाया गया। सभी लोग अत्यंत दुखी हुए और गरीबदास जी महाराज के अंतिम संस्कार की तैयारी करने लगे। गरीबदास महाराज की आत्मा को परमेश्वर कबीर ने अग्नि देने के पूर्व ही शरीर में प्रविष्ट कर दिया। शव में हलचल हुई और गरीबदास जी महाराज उठकर बैठ गए। सबकी प्रसन्नता का ठिकाना ना रहा। गरीबदास जी महाराज उस अमर ज्ञान को दोहों एवं वाणियों के माध्यम से बोलने लगे जोकि लोगों के समझ से परे थीं। उन्होंने अपना अनुमान लगाया कि बाबा जी के जादू मंत्र के दूध के परिणामस्वरूप गरीबदास जी इस प्रकार की बातें कर रहे हैं। ऐसी घटना होने के बाद भी इकलौता पुत्र जीवित होने पर माता पिता को संतोष हुआ और यह सोचकर उन्होंने परमात्मा का धन्यवाद किया।

महान ग्रंथ सदग्रंथ साहेब की रचना करना

एक बार गांव छुड़ानी में दादूपंथी संत गोपाल दास जी, जोकि वैश्य जाति से थे वे आए। संतों का किसी भी गांव नगर में आदर सम्मान किया जाता था और लोग उनसे अपनी समस्याओं का समाधान भी पूछते थे। तब गोपाल दास जी से गांव के लोगों ने गरीबदास जी के साथ घटित हुई संपूर्ण घटना बताई और उसके पुनः जीवित होने किंतु पागल के समान व्यवहार करने की बात गोपाल दास जी से कही। संत की विद्या संत काट सकता है ऐसा लोगों का मानना था। गोपालदास जी ने गरीबदास जी को बुलाया। शिवलाल जी समेत अन्य व्यक्ति भी उनके पास गए। तब गोपाल दास जी ने संत गरीबदास जी से पूछा कि आपको कौन मिला था और किस कारण आपका जीवन बर्बाद कर दिया। इस पर गरीबदास जी महाराज ने विनम्रता पूर्वक उत्तर दिया कि उन्हें जो बाबा मिले थे वे पूर्ण परमात्मा थे और उन्होंने जीवन आबाद कर दिया एवं अनेक वाणियां सुनाईं -

गरीब, अलल पंख अनुराग है, सुन मंडल रह थीर |
दास गरीब उधारिया, सतगुरु मिले कबीर ||

गरीब, जम जौरा जासे डरें, मिटें कर्म के लेख |
अदली असल कबीर हैं, कुल के सतगुरु एक ||

संत गरीबदास जी महाराज द्वारा कही गई वाणियों को सुनकर संत गोपालदास समझ गए कि ये बालक परमेश्वर से मिल चुका है क्योंकि इसी प्रकार दादू जी को भी परमेश्वर ने दर्शन दिए थे और वे गरीबदास जी के पीछे पीछे चल पड़े। तब गोपाल दास जी ने गरीब दास जी से उन सभी वाणियों को लिपिबद्ध करने की बार-बार विनती की। इस प्रकार संत गरीबदास जी ने बेरी के बाग में एक जांडी के वृक्ष के नीचे गोपालदास से वाणियां लिखवाईं। लगभग छः महीनों के पश्चात यह कार्य संपूर्ण हुआ और अमर ग्रन्थ सतग्रंथ साहेब की रचना हुई। अमर ग्रंथ सतग्रंथ साहेब में 24,000 वाणियां हैं जोकि किसी भी अन्य ग्रंथ की तुलना में सर्वाधिक हैं।

संत गरीबदास जी महाराज ने किए थे कई चमत्कार

संत गरीबदास जी महाराज साधारण संत नहीं थे। वे परमेश्वर कबीर साहेब के अवतार थे। परमेश्वर की लीलाएं समझना मानव बुद्धि के वश की बात नहीं है। लगभग 600 वर्ष पहले कबीर साहेब पृथ्वी पर आए थे तब उनके 64 लाख शिष्य हुए थे। परमेश्वर ने उन सबकी परीक्षा ली थी जिसमें वे सभी अनुत्तीर्ण हुए थे। दो भक्त अर्जुन और सर्जुन भी कबीर साहेब के भक्त थे। वे भी पूर्ण रूप से उत्तीर्ण नहीं हो पाए थे किंतु अत्यधिक विलाप करने और क्षमायाचना मांगने के परिणामस्वरूप कबीर साहेब ने उन्हें कहा था कि उनका उद्धार कबीर साहेब से नहीं बल्कि उनके दूसरे रूप गरीबदास से होगा। 

इसके बाद अर्जुन सर्जुन कबीर साहेब के आशीर्वाद से कई और वर्षों तक जिए और गरीबदास जी महराज के संसार में आते ही उन्हें मात्र तीन दिन की अवस्था में गरीबदास जी महाराज ने नाम उपदेश देकर भवसागर से पार किया। संत वो नहीं जो केवल चमत्कार करे और वह भी संत नहीं जिससे चमत्कार न हो सकें। 

गरीबदास जी महाराज ने अनगिनत चमत्कार किए हैं जैसे:

  • गांव छुड़ानी में गंगा को लाना
  • नाथ संत मस्तराम को ज्ञान उपदेश देना
  • छुड़ानी में ही नौ योगेश्वरों और तैंतीस करोड़ देवी देवताओं को भोजन कराना
  • छुड़ानी में अनावृष्टि से पड़े अकाल की समाप्ति करना
  • मालखेड़ी गांव में तंबाखू निषेध करना
  • गाँव बेरी, हरियाणा के हरलाल जाट को ज्ञान उपदेश देना
  • राठी और छारा गाँव के दलाल गोत्र के जाटों के मध्य भाईचारा कायम करना आदि।

समाज पर गरीबदास जी महाराज के उपकार

संत गरीबदास जी महाराज ने परमेश्वर कबीर साहेब के यथार्थ ज्ञान को बहुत ही सुंदर वाणियों में लिपिबद्ध करवाया जिसका ये समाज आज तक ऋणी है और भावी पीढ़ियां भी इससे लाभ लेंगी। अमर ग्रंथ सतग्रंथ साहेब में जीवन के प्रत्येक पक्ष का विवरण तो है ही साथ ही अतीत की महत्वपूर्ण कथाओं जैसे रामायण और महाभारत का भी उल्लेख है। समाज में नशा, हुक्का, तंबाखू का अत्यधिक सेवन किया जाता था संत गरीबदास जी महाराज ने तंबाखू से होने वाली आध्यात्मिक हानि के विषय में लोगों तक ज्ञान पहुंचाया और जींद जिले का मालखेड़ी ऐसा ही एक गांव है जहां की सभी चिलमें एवं हुक्के टूट गए थे। संत गरीबदास जी महराज ने परमेश्वर कबीर जी के यथार्थ ज्ञान का परिचय पूरे समाज को कराया। 

गरीबदास जी ने सिद्ध किया की भक्ति गृहस्थ जीवन में भी संभव है

उस समय मान्यता थी कि ईश्वर पाने के लिए सन्यासी बनना होता है। संत गरीबदास जी ने गृहस्थ जीवन जीते हुए उदाहरण पेश किया और शिक्षा दी कि भक्ति गृहस्थ जीवन में भी संभव है। मांगकर खाने वाले साधुओं को समझाया उनको सत्यभक्ति पर लगाया और भाईचारे से रहने तथा प्रेमपूर्वक व्यवहार करने की शिक्षा समाज को दी। अनेकों गाँव के लोगों की परेशानियों को संत गरीबदास जी महाराज दूर किया करते थे।  गरीबदास जी ने सत्संग के महत्व को स्थापित किया और अनेकों आत्माओं का उद्धार किया। भक्ति की सही विधि जो उन्हें परमेश्वर कबीर साहेब से प्राप्त हुई थी उसे जन जन तक पहुंचाया।

गरीब, डेरे डांडै खुश रहो, खुसरे लहें ना मोक्ष |
ध्रुव - प्रहलाद पार हुए, फिर डेरे (घर) में क्या दोष ||

अंतिम संस्कार के बाद गरीबदास जी का पुनः प्राकट्य

सहारनपुर, मेरठ के पास एक भूमड़ सैनी नामक भक्त रहते थे। गरीबदास जी महाराज कबीर साहेब जी के द्वारा बताए गए तत्वज्ञान का सत्संग प्रत्येक पूर्णिमा को किया करते। भूमड़ भक्त प्रत्येक पूर्णिमा को सहारनपुर से पैदल चलकर सत्संग का लाभ उठाने छुड़ानी आते थे। उनकी परमात्मा में अटूट श्रद्धा एवं भक्ति थी। जब गरीबदास जी ने उन्हें इतना कष्ट न उठाने और किसी सत्संग पर नहीं आने की छूट दी तो वे रो पड़े और अनजाने में हुए अपराध की क्षमा याचना करने लगे। गरीबदास जी महाराज ने उन्हें सांत्वना दी और कहा कि अब वे सहारनपुर आएँगे। वर्ष 1778 में भादव मास में शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन गरीबदास जी महाराज ने अपना शरीर छोड़ दिया और उनके परिवार वालों ने उनका अंतिम संस्कार छुड़ानी में ही कर दिया। आज भी उस स्थान पर यादगार छतरी साहेब बनी हुई है। सन 1778 को सतलोक जाने के समय गरीबदास जी महाराज की कुल छह संतानें थीं जिसमें चार पुत्र एवं दो पुत्रियाँ थीं। 

इधर छः महीने बीत जाने और गरीबदास जी महाराज के सहारनपुर न पहुंचने पर भूमड़ भगत रोने लगे और रो रोकर गरीबदास जी महाराज को पुकारने लगे। बसंत पंचमी के दिन गरीबदास जी महाराज आश्चर्यजनक रूप से अपने भक्त के पास जा पहुंचे और भूमड़ भगत के बगीचे में ही कुटिया बनवाकर रहने लगे। करीब 35 वर्ष तक गरीबदास जी महाराज वहां रहे और सत्संग किया। हिंदू एवं मुस्लिम दोनों धर्मों के लोगों ने उनसे नामदीक्षा ग्रहण की और उनकी बताई साधना के अनुसार भक्ति की। एक दिन जब गरीबदास जी महाराज ने सहारनपुर में शरीर छोड़ा तब सहारनपुर वालों ने इस घटना की जानकारी गांव छुड़ानी में उनके परिवार को दी। 

परिवार वालों ने बताया कि वे तो 35 वर्ष पूर्व ही शरीर छोड़कर जा चुके हैं तथा बात की पुष्टि के लिए तुरंत घुड़सवार सहारनपुर भेजे गए जिन्होंने गरीबदास जी महाराज के होने की पुष्टि की। उनका अंतिम संस्कार छुड़ानी में तो हो ही चुका था अतः इस बार सहारनपुर में ही किया गया। वहां भी उनका स्मारक छतरी साहेब बनी हुई है। चिलकाना रोड जिसे कलसिया रोड भी कहा जाता है उसके बाईं ओर यह स्मारक है एवं पास ही श्रीलाल दास जी का प्रसिद्ध बाड़ा बना हुआ है। 

वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज हैं पूर्ण तत्वदर्शी संत

संत रामपाल जी महाराज का नाम विश्व के सबसे बड़े समाज सुधारक के रूप में जाना जाता है। संत रामपाल जी महाराज कबीर पंथ में गरीबदास जी महाराज के पश्चात् आये वे संत हैं जिनसे कलियुग की आत्माओं का उद्धार होना संभव है। संत रामपाल जी महाराज जी ने न केवल दहेज प्रथा, नशा, भ्रूण हत्या, चोरी, अपराध, भ्रष्टाचार को अपने तत्वज्ञान से दूर किया है और रक्तदान शिविर व दहेजमुक्त विवाहों की श्रृंखला स्थापित की है। 

तथा एक सादे जीवन और उच्च विचार वाले समाज की स्थापना की है। संत रामपाल जी महाराज ने आध्यात्मिक तत्वज्ञान सर्व धर्मों से प्रमाणित करके सरल शब्दों में समझाया है। शास्त्रों के गूढ़तम रहस्य आसान करके समझाए हैं। पूर्ण संत के लिए चमत्कार करना बड़ी बात नहीं होती और संत रामपाल जी महाराज ने लाखों लोगों के साथ चमत्कार किए हैं, उनके अनेकों कष्ट दूर किए हैं, जानलेवा रोगों से भक्तों को मुक्ति दिलाई है, पूर्ण तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने शास्त्रानुकूल भक्ति प्रदान की है। संत रामपाल जी महाराज जी से नामदीक्षा लेकर सर्व मुमुक्षु साधक अपने जीवन का कल्याण करवा सकते हैं और अपना इहलोक और परलोक दोनों सिद्ध कर सकते हैं।

संत गरीबदास जी के बोध दिवस पर तीन दिवसीय विशेष कार्यक्रम का होगा आयोजन

गरीब, अलल पंख अनुराग है, सुन्न मण्डल रहै थीर।
दास गरीब उधारिया, सतगुरु मिले कबीर।।

आदरणीय संत गरीबदास जी महाराज के बोध दिवस के शुभ अवसर पर 19, 20 व 21 मार्च 2024 को जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के मार्गदर्शन में भारत सहित नेपाल के 11 सतलोक आश्रमों में संत गरीबदास जी महाराज के सद्ग्रंथ साहिब (अमरग्रंथ साहिब) के अखंड पाठ, विशाल भंडारा, विशाल सत्संग, रक्तदान शिविर, दहेज मुक्त विवाह के भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। जिसमें आप सभी परिवार सहित सादर आमंत्रित हैं। आयोजन स्थल हैं:

  • सतलोक आश्रम मुंडका (दिल्ली)
  • सतलोक आश्रम धनाना धाम (हरियाणा)
  • सतलोक आश्रम कुरुक्षेत्र (हरियाणा)
  • सतलोक आश्रम भिवानी (हरियाणा)
  • सतलोक आश्रम धुरी (पंजाब)
  • सतलोक आश्रम खमानो (पंजाब)
  • सतलोक आश्रम सोजत (राजस्थान)
  • सतलोक आश्रम शामली (उत्तर प्रदेश)
  • सतलोक आश्रम बैतूल (मध्यप्रदेश)
  • सतलोक आश्रम जनकपुर (नेपाल)
  • सतलोक आश्रम इंदौर (मध्यप्रदेश)

वहीं संत गरीबदास जी के बोध दिवस के अवसर पर 21 मार्च को संत रामपाल जी महाराज के विशेष सत्संग का सीधा प्रसारण साधना टीवी चैनल पर सुबह 9.15 बजे (IST) अवश्य देखें। इसे आप Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel और Spiritual Leader Saint Rampal Ji Facebook Page तथा Sant Rampal Ji Maharaj App पर भी देख सकते हैं।