सूरह अल इखलास की कसौटी से जानें अल्लाह कबीर को


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पवित्र कुरान में सूरह अल इखलास की आयत 112: 1-4 से अल्लाह की पहचान की जा सकती हैं। मुस्लिम समाज का भी मानना है कि जो सूर इखलास पर खरा उतरेगा, वही पूरा अल्लाह माना जा सकेगा। तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ढेरों प्रमाण देकर कहते हैं कि ये आयतें कबीर साहेब पर सटीक उतरती हैं और वे ही अल्लाह कबीर है। आईए जानते है इन आयतों को

सूरह अल इखलास 112:1

  • "कहो, 'वह अल्लाह है, [जो] एक है'" (सूरह अल इखलास 112:1): यह आयत अल्लाह की पूर्णता, अविभाज्यता, अद्वितीयता और अमित शक्ति को व्यक्त करती है। वे सबके स्वामी और नियंता हैं। 
  • पवित्र कुरान शरीफ सहित सभी प्रमुख धर्मग्रंथ, जैसे पवित्र वेद, पवित्र बाइबल, और पवित्र गुरु ग्रंथ साहेब में प्रमाण है कि कबीर साहेब पूर्ण परमेश्वर हैं।
  • सन 1398 में, कबीर परमेश्वर अपने ऋतधाम सतलोक से सशरीर आकर एक बच्चे के रूप में काशी नगर के लहरतारा तालाब के कमल के पुष्प में विराजमान हुए। 
  • उस बालक के नामकरण करने आए काजी मुल्लाओं ने जब कुरान खोली तो उसके सभी अक्षर कबीर-कबीर हो गए। गरीब, सकल कुरआन कबीर हैं, हरफ लिखे जो लेख। काशी के काजी कहैं, गई दीन की टेक।।
  • क़ाज़ी शिशु रूपधारी कबीर की सुन्नत नहीं कर पाए क्योंकि उन्होंने नाई को एक लिंग की जगह पाँच लिंग दिखा दिए और बाद में एक लिंग बना लिया। 

सूरह अल इखलास 112:2

"अल्लाह, शाश्वत आश्रय" (सूरह अल इखलास 112:2): आयत 2 में, अल्लाह को शाश्वत आश्रय देने वाला बताया है। इस गुण के अनुसार कबीर अल्लाह का स्थान सबसे उत्कृष्ट है, जो अपने भक्तों के लिए सनातन आश्रय और जीवन का स्रोत है। कबीर साहेब की प्राप्ति के बाद जीव का जीवन मरण समाप्त हो जाता है और वह शाश्वत परम धाम यानी सतलोक को प्राप्त होता है।

सूरह अल इखलास 112:3

"वह न तो जन्म देता है और न ही जन्म लेता है" (सूरह अल इखलास 112:3): आयत 3 में अल्लाह के जन्म लेने या उनके द्वारा जन्म देने को खारिज किया है, जो मानव जन्म सीमाओं के परे हैं। उसी तरह:

  • कबीर जी का जन्म नहीं हुआ था बल्कि कबीर जी काशी में कमल के फूल पर सशरीर प्रकट हुए थे। 
  • उनका शरीर हाड़ मांस रक्त का नहीं होकर केवल तेज पुंज से बना है। 
  • सभी पाप भोगते हैं, लेकिन वे पापों को काटने वाले थे। 
  • सभी कर्म बंधन में हैं, लेकिन वे कर्म बंधन से मुक्ति प्रदान करने वाले हैं। 
  • ना ही उनकी कोई पत्नी थी और न ही कोई पुत्र-पुत्री, लेकिन उन्होंने दो मरे हुए बच्चों को जीवित किया था और वे ही उनके साथ संतान रूप में रहे थे। 
  • इससे यह सिद्ध होता है कि कबीर परमेश्वर जी मरे हुए व्यक्तियों को भी जीवित कर सकते थे, जो अल्लाह की एक पहचान है।

सूरह अल इखलास 112:4

"और उसके समान कोई नहीं है" (सूरह अल इखलास 112:4): अंतिम आयत निरपेक्ष रूप से घोषित करती है कि अल्लाह के तुलनात्मक रूप में कोई भी नहीं है, जो उनकी अनूठी महत्ता और अद्वितीयता को बयान करता है। उसी तरह कबीर परमेश्वर के रूप, दिव्य गुणों की महिमा अनुपम हैं। 

सूरा अल - इख़लास - कुरान शरीफ

इस धरती पर जो भी आया, वह मरकर पांच तत्वों का शरीर छोड़कर गया। लेकिन कबीर साहिब सह शरीर सतलोक गए। इससे पता चलता है कि कबीर अल्लाह थे। उनकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती है, ना मूसा जी, ना आदम जी, ना हजरत मुहम्मद जी, ना राम, ना कृष्ण। अर्थात इस सृष्टि में कोई दूसरा नहीं था, जो कबीर जी जैसा हुआ हो।

निष्कर्ष: कबीर ही अल्लाह हैं  

सारांश में, सूरह अल इखलास की आयतें अल्लाह और कबीर साहेब के गुणों को एक जैसा पाती हैं। वे उनके सामर्थ्य, शाश्वत स्वरूप, मानव सीमाओं से परे होने और अनुपम महिमा की पुनः पुष्टि करती हैं। इससे सिद्ध होता है कि अल्लाह का नाम कबीर है जोकि 600 साल पहले भारत भूमि में लीला करने आए। आज बाखबर संत रामपाल जी महाराज उसी अल्लाह हु अकबर यानि कि अल्लाह हु कबीर की वास्तविक जानकारी दे रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज के माध्यम से अल्लाह के द्वारा दी हुई इल्म से अल्लाह को पहचानें।

Supreme God in Quran Sharif