इस लेख में सूरा अल अंबिया सहित कुरआन की कुछ आयतों का विश्लेषण है जिनका संबंध पुनर्जन्म से है। पुनर्जन्म, जिसे आत्मा के एक नए शरीर में जाने के रूप में जाना जाता है, एक जटिल अवधारणा है जिस पर विभिन्न धर्मों में बहस होती है। इस्लाम में, पुनर्जन्म का स्पष्ट उल्लेख है, लेकिन कुछ विद्वान ऐसा मानने से इनकार करते हैं। आइए पवित्र क़ुरान की आयतों से पुनर्जन्म का विश्लेषण करें।
पुनर्जन्म
क़ाज़ी और मुल्लाओ के बीच पुनर्जन्म को लेकर मतभेद पाए जाते हैं। कुरान शरीफ में पुनर्जन्म के अनेकों संदर्भ हैं, जैसे -
- सूरह अल-अ'राफ (7:25): में कहा गया है कि "और जब वे (आत्माएं) अपने रब के पास लौट आएंगी, तो वे कहेंगी, 'हे हमारे रब, तूने हमें एक जगह से दूसरी जगह क्यों स्थानांतरित किया है?'” तात्पर्य है कि आत्माएं विभिन्न निकायों में पुनर्जन्म लेती है।
- सूरह अल-मुल्क 67:2: "जिसने मौत और ज़िन्दगी को पैदा किया ताकि तुम्हें आज़माए कि तुममें से काम में सबसे अच्छा कौन है और वह ग़ालिब (और) बड़ा बख्शने वाला है।" यह आयत कर्म फल आधारित पुनर्जन्म सिद्धांत को बल देती है।
- सूरह अल अंबिया 21:104: "जिस दिन हम आकाश को लपेट लेंगे जैसे पंजी में पन्ने लपेटे जाते हैं, जिस प्रकार पहले हमने सृष्टि का आरंभ किया था उसी प्रकार हम उसकी पुनरावृत्ति करेंगे। यह हमारे जिम्मे एक वादा है। निश्चय ही हमें ये करना है।" यह आयत पुनर्जन्म और सृष्टि चक्र की अवधारणा का समर्थन करती है।
- सूरह अल मुद्दस्सिर-74:26-27: "मैं शीघ्र ही उसे नरक में डाल दूँगा। यह क्या जाने नरक (जहन्नम) क्या है? इससे भी कब्रों में रहने वाली बात गलत सिद्ध हुई।" इस आयत से कब्रों में रहने के बजाय मृत्यु और पुनर्जन्म चक्र को बल मिलता हैं।
- सूरह अल-बकरा 2:28: "तुम अल्लाह के साथ इंकार की नीति कैसे अपनाते हो। जबकि तुम निर्जीव थे। उसने तुम्हें जीवन प्रदान किया। फिर वही तुम्हारे प्राण लेगा। फिर वही तुम्हें पुनः जीवन प्रदान करेगा और फिर उसी ओर तुम्हें पलट कर जाना है।" "पुनः जीवन प्रदान करेगा" की व्याख्या अंतिम न्याय के दिन के लिए नहीं माना जा सकता, अपितु मृत्यु और पुनर्जन्म चक्र का समर्थन है।
- सूरह अल बकरा 2:25: "जब नेक लोग जन्नत में प्रवेश करेंगे, तो उन्हें याद होगा कि उन्होंने पहले भी अपने कर्मों के फलस्वरूप इसी जन्नत का आनंद प्राप्त किया था। अब भी उन्हें अपने कर्मों का ही प्रतिफल मिलेगा, और यह बिल्कुल सही है। जब वे दूसरी बार जन्नत में प्रवेश करेंगे, तो उन्हें अपने कर्मों के अनुसार ही जन्नत का आनंद प्राप्त होगा।" यह स्पष्ट रूप से कर्मफल आधारित जन्म को मजबूती से मान रहा है।
- सूरह अल बकरा 2:243: "क्या तुमने उन लोगों की कहानी पर विचार किया है जिन्होंने मृत्यु के डर से अपने घरों को छोड़ दिया था? अल्लाह ने उनसे कहा, 'मर जाओ!' फिर उसने उन्हें पुनर्जीवित किया। निश्चित रूप से अल्लाह मानवता पर अत्यंत दयालु है, लेकिन अधिकांश लोग कृतज्ञ नहीं हैं।" यह आयात मृत्यु और पुनर्जन्म की अवधारणा को दर्शाती है।
- सूरह अल रूम 30:11: "अल्लाह ने पहली बार सृष्टि की, और फिर वह इसे दोहराएगा।" यह भी पुनर्जन्म की अवधारणा से जुड़ा है।
मुस्लिम विद्वानों के विचार
- मृत्यु के बाद, उन्हें कब्रों में दफनाया जाता है।
- वे कब्रों में महाप्रलय (कयामत) तक विश्राम करते हैं।
- कयामत के बाद कब्रों में सोए हुए सभी लोग जीवित किए जाएंगे, उनके कर्मों का हिसाब होगा।
- अच्छे बुरे कर्म के हिसाब से जन्नत (स्वर्ग) और जहन्नुम (नरक) भेजा जाएगा।
पुनर्जन्म को न मानना क्यों गलत है?
संत रामपाल जी महाराज ने कहा है कि मृत्यु के बाद शरीर नष्ट होता है, लेकिन आत्मा अमर है। कर्मों के अनुसार आत्मा को नया जन्म मिलता है। संत गरीबदास जी के पद का उदाहरण देकर बताया है कि पहले वाले जन्मों में किए गए कर्मों के आधार पर ही मनुष्य को विभिन्न प्रकार के जीवन मिलते हैं-
"पिछले जप-तप से होते हैं पूर्ण हंस मुराद।"
संत रामपाल जी सच्चा ज्ञान बताते हैं:
- ऐसी जन्नत का क्या लाभ है, जब कब्र में पहले ही लंबे समय रहकर कष्ट भोग चुके हैं?
- कब्र में केवल शरीर रहता है, आत्मा नहीं।
- कर्मों का फल भोगने के लिए जन्म-मृत्यु के चक्र में रहना पड़ता है।
- बाबा आदम, पैगंबर और नेक लोग भी कर्मों के अनुसार जन्म-मृत्यु चक्र में हैं।
- यह धारणा गलत है कि मृत्यु के बाद सुख-दुःख नहीं होता, जन्नत में भी सुख-दुःख होता है।
- स्थाई सुख केवल मोक्ष में ही मिलता है।
- जन्म मृत्यु दुष्चक्र से निकलने के लिए "सच्चे संत" की शरण में जाकर ही मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है।
संत रामपाल जी ने प्रमाण सहित बताया है कि मुस्लिम धर्म में पुनर्जन्म होता है
- कमाली: पहले राबिया, बसरी लड़की और फिर एक वैश्या के रूप में जन्म ले चुकी थी।
- सुल्तान इब्राहिम: एक जन्म में बल्ख-बुखारा के राजा सुल्तान इब्राहिम अधम, सम्मन मनियार और अगले जन्म में नौशेरखान शहर का बादशाह नौशेरखान बने।
- कलयुग में शेखतकी की आत्मा: द्वापरयुग में गंगेश्वर नाम का एक ब्राह्मण था।
निष्कर्ष
पुनर्जन्म एक सत्य है, जिसका प्रमाण पवित्र क़ुरान समेत सभी धार्मिक ग्रंथों, संतों के कथनों और ऐतिहासिक घटनाओं में मिलता है। यह मानना कि मृत्यु के बाद सब कुछ समाप्त हो जाता है, एक भ्रम है। हमें अपने कर्मों का ध्यान रखना चाहिए। सच्चा सुख और मोक्ष पाने के लिए "सच्चे संत (बाखबर)" रामपाल जी महाराज की शरण में जाकर भक्ति करे।
कुरान शरीफ - सूरा अल अंबिया में पुनर्जनम के विषेय में बताया है
21:104 जिस दिन हम आकाश को लपेट लेंगे जैसे पंजी में पन्ने लपेटे जाते हैं, जिस प्रकार पहले हमने सृष्टि का आरंभ किया था उसी प्रकार हम उसकी पुनरावृति करेंगे। यह हमारे जिम्मे एक वादा है। निश्चय ही हमे ये करना है।
सूरा अल-अंबिया कुरान शरीफ