मुस्लिम धर्म के अनुयायी अपने पवित्र ग्रंथो में वर्णित उपदेशों का धार्मिक रूप से पालन करते हैं। मुस्लिम धर्म के पवित्र ग्रंथ कुरान शरीफ को उनके धार्मिक गुरुओं (काज़ी और मुल्ला) द्वारा बहुत सालों से सुनाया जाता आ रहा है। मुस्लिम धर्म के लोगो का मानना है कि कुरान शरीफ का ज्ञान दाता (अल्लाहु अकबर) है जो की निराकार है। तो वही दूसरी ओर, कुरान शरीफ के प्रमाणों से साबित होता है कि कुरान शरीफ का ज्ञान देने वाला अपने स्तर का ज्ञान प्रदान करता है और अंत में, किसी बाखबर / इलमवाला' से अल्लाहु अकबर के बारे में जानकारी पूछने का विकल्प छोड़ देता है।
वो तत्त्वदर्शी संत अल्लाह का प्रतिनिधि है और वह पूर्ण परमात्मा पूरे ब्रह्मांड का रचियता है। उन्होंने छह दिनों में सर्व ब्रह्मांडो का निर्माण किया और 7 वे दिन तखत पर जा विराजे।
सर्व शक्तिमान पूर्ण परमात्मा कबीर ही अल्लाह अकबर हैं वह हर युग में इस मृत्युलोक में खुद आते हैं और अपनी प्यारी / पुण्य आत्माओं से मिलते हैं और खुद को उनसे अवगत करवाते हैं तथा उस मोक्ष दयाक स्थान सतलोक से परिचित करवाते हैं। वे सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करते हैं, तथा मोक्ष मंत्र प देते हैं जिस से आत्माएं मोक्ष प्राप्त करती हैं जिस से पवित्र कुरान शरीफ, पवित्र बाइबिल, पवित्र वेद और श्रीमद भगवद गीता के वक्ता शैतान ( ब्रह्म-काल) के बंधन से आत्मा मुक्त हो जाती हैं।
वह अल्लाहु अकबर/ पूर्ण परमात्मा विभिन्न मुस्लिम भक्तों को भी स्वयं आकर मिले, जब वे धरती पर लीलाए करने खुद आये थे ।
यह लेख कुछ मुस्लिम भक्तों के सच्चे खाते को उजागर करेगा जिन्होंने अल्लाहु अकबर (कबीर अल्लाह) की शरण ली थी और साथ ही उस पूर्ण परमात्मा ने उन्हें सच्चा /मोक्ष मंत्र देकर मोक्ष की प्राप्ति के योग्य बनाया।
- पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी लगभग 1400 साल पहले मुस्लिम धर्म के पैगंबर हजरत मुहम्मद जी को आकर मिले थे।वे परमात्मा की पवित्र आत्मा थे। अल्लाह कबीर ने उन्हें शाश्वत स्थान "सतलोक" दिखाया / दर्शन करवाये ।
- इसी तरह वे पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी मुगल वंश के संस्थापक तैमूरलंग को भी मिले और उन्हें आशीर्वाद दिया ओर उसी आशीर्वाद के फल स्वरूप तैमूरलंग एक गरीब चरवाहे से राजा बने। उन्हें भी सच्चे मोक्ष मंत्र देकर उन्हें, अल्लाह कबीर ने मोक्ष प्राप्त करने के योग्य बनाया।
- 600 साल पहले एक मुस्लिम भक्त, सिकंदर लोधी, दिल्ली का सुल्तान अल्लाह कबीर जी का शिष्य बन गया। उन्हें चरम रोग के करण भयंकर जलन की बीमारी थी। अल्लाह कबीर ने सिकंदर को आशिर्वाद मात्र से ठीक किया। परमेश्वर कबीर जी ने सिकंदर लोधी की असाध्य बीमारी को ठीक कर दिया जिसे उन्हें विश्वास हो गया कि कबीर जी ही पूर्ण परमात्मा अल्लाह हु अकबर है और केवल यही वो परमात्मा है जो पूजा करने के योग्य हैं। जिसके बाद उन्होंने पारंपरिक मुस्लिम धार्मिक प्रथाओं को छोड़कर सर्वशक्तिमान कबीर परमेश्वर जी की शरण ली और मोक्ष प्राप्त करने के योग्य बन गए।
- एक महान धर्मनिष्ठआत्मा शेख फरीद को अल्लाहु अकबर के दर्शन करने की तड़प थी। उसने अल्लाह को प्राप्त करने के लिए हठयोग का रास्ता अपनाया और महीनों तक भूखा रहा। दयालु सर्वशक्तिमान कबीर परमेश्वर जी ने शेख फरीद को शरण में ले लिया जब वह भूख के कारण मरने वाला था। उन्होंने उसे सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान और मोक्ष मंत्र दिया और उसे बताया कि अल्लाह कौन है? वह कहा रहता है? और उस अल्लाह को कैसे प्राप्त किया जा सकता है?
- अल्लाह कबीर जी सुल्तान इब्राहिम अदम जोकि बल्ख बुखारा के राजा थे उनको आकर मिले और अपनी शरण में ले लिया और उन्हें सम्मन और नौशेर खान जैसे कुछ जन्मो के बाद मुक्ति प्रदान की जब तक कि उनकी आत्मा मानव जीवन के वास्तविक उद्देश्य को समझ पाई।
- ओर इसी तरह वो पूर्ण परमात्मा ओर एक प्यारी आत्मा मुस्लिम भक्त मंसूर अली को आकर मिले और उन्हें उस सर्व सृष्टि के रचियता कुल मालिक अल्लाहु अकबर कबीर अल्लाह की वास्तविकता से अवगत करवाया जिसके बाद मुस्लिम धर्म में पालन की जाने वाली सभी मनमानी धार्मिक प्रथाओं को त्यागकर मंसूर जी ने उस पूर्ण परमात्मा की शरण ली। अपने मुस्लिम समुदाय के अनुयायियों के कड़े विरोध के बावजूद, वह मरते दम तक इस सत्य के मार्ग में बने रहे और मोक्ष प्राप्त किया।
- राबिया एक पवित्र आत्मा थीं, एक कट्टर मुस्लिम भक्त थीं जिनके लिए अल्लाहु अकबर कबीर साहेब जी ने मक्का भी उनके पास उस स्थान पर लाया, जहाँ वह एक कुएँ के पास बैठी थीं, जबकि वह मक्का की तीर्थयात्रा करने के रास्ते पर थीं और वहीं से उस शरीर से मुक्त कर कमाली रूप में फिर जन्म दिया।
- इसी तरह बहुत से अन्य, मुस्लिम भक्त जैसे बिजली खान पठान (काशी के शासक), सुल्तान वाजीद,सदना कसाई ने अल्लाहु अकबर की पहचान की और प्रचलित मुस्लिम धर्म की मनमानी प्रथाओं को त्याग दिया, सच्चे परमातमा कबीर जी की भक्ति कर मोक्ष प्रप्ति की ।
- मुस्लिम धर्म के अनुयायियों और सभी को विभिन्न मुस्लिम भक्तों की मुक्ति की सचाई को जरूर जानना तथा पढ़ना चाहिए जिन्होंने उस सच्चे अल्लाहु अकबर कबीर साहिब जी की पहचान की और मानव जीवन का मुख्य उद्देश्य मोक्ष (सतलोक) हासिल किया।
मुस्लिम धर्म के अनुयायी के बारे में विस्तार से पढ़ें
FAQs : "अल्लाह कबीर (अल्लाहु अकबर) के मुस्लिम धर्म के अनुयायी"
Q.1 इस लेख के अनुसार अल्लाहु अकबर कौन हैं?
अल्लाहु अकबर स्वयं सर्वशक्तिमान कबीर साहेब जी ही हैं। वे एकमात्र अमर ईश्वर हैं और पुण्य आत्माओं को सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान और मोक्ष मंत्र प्रदान करने के लिए प्रत्येक युग में इस पृथ्वी लोक में आते हैं।
Q.2 क्या ऐसे कोई मुस्लिम भक्त हैं, जिनको अल्लाहु अकबर ने दर्शन दिए हैं?
जी बिलकुल हैं, उदाहरण के तौर पर पैगंबर मुहम्मद जी, तैमूर लंग, सिकंदर लोधी, शेख फरीद, सुल्तान इब्राहिम इब्न अधम, मंसूर अली, राबिया बसरी, बिजली खां पठान, सुल्तान वाजिद, कसाई सदना, मोहम्मद रूमी, कमाली और अन्य भी बहुत से मुस्लिम भक्त इस, सूची में शामिल हैं।
Q. 3 अल्लाहु अकबर ने पैगंबर मुहम्मद को क्या ज्ञान दिया था?
अल्लाहु अकबर ने पैगंबर मुहम्मद जी को सतलोक यानि कि अमरलोक दिखाया था। उन्होंने मुहम्मद जी को सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान किया था।
Q.4 अल्लाहु अकबर ने मुगल वंश के संस्थापक तैमूरलंग को क्या आर्शीवाद दिया था?
अल्लाहु अकबर ने तैमूरलंग को सात पीढ़ी तक राज करने का आशीर्वाद दिया था। उन्होंने उसे एक गरीब चरवाहे से राजा बनाया। उन्होंने तैमूरलंग को मोक्ष प्राप्ति करने का सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान और मोक्ष मंत्र प्रदान किए थे।
Q.5 दिल्ली का सुल्तान सिकंदर लोधी कबीर साहेब जी की शरण में क्यों गया था?
सिकंदर लोधी को लाइलाज जलन का रोग था। जिसे बड़े-बड़े वैद्य भी ठीक नहीं कर पाए थे। सिकंदर लोधी के रोग को अल्लाहु अकबर यानि कि कबीर साहेब जी ने ठीक किया था। उसके बाद उसे यकीन हो गया था की कबीर साहेब जी ही सर्वशक्तिमान ईश्वर हैं। फिर उसने लोकवेद से प्रचलित मुस्लिम प्रथाओं और इबादत करने के तरीके को त्याग दिया था और कबीर साहेब जी से नाम दीक्षा प्राप्त कर सतभक्ति की।
Q.6 शेख फरीद जी को अल्लाहु अकबर कैसे मिले थे?
शेख फरीद जी को अल्लाह के दर्शन करने की चाह थी जिस कारण से वह सिर नीचे को और धड़ ऊपर यानी कुएं में उल्टे लटक कर मनमानी साधना करने लगे थे। वह बहुत कम अनाज खाते थे और वह मृत्यु के बहुत करीब पहुंच चुके थे। उस समय अल्लाहु अकबर यानि कि कबीर साहेब जी ने उन्हें कुएं से बाहर निकाला और दर्शन दिए। फिर कबीर अल्लाह ने शेख फरीद को सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान समझाया और मोक्ष मंत्र प्रदान किए थे।
Q.7 इस लेख के अनुसार अल्लाहु अकबर सुल्तान इब्राहिम इब्न अधम को कैसे मिले थे?
सुल्तान इब्राहिम इब्न अधम एक महान भक्त थे जिसने अपने किसी पूर्व के मानव जन्मों में भी कबीर परमेश्वर की शरण ली थी। भगवान उनके सभी जन्मों में उनके साथ रहे और सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करके अंतत: उसे काल के जाल से मुक्त किया।
Q.8 इस लेख के अनुसार मंसूर अली ने अल्लाहु अकबर के लिए क्या संघर्ष किया था?
मंसूर अली ने अल्लाहु अकबर की शरण ग्रहण की थी। उसके बाद उन्होंने सभी नकली पारंपरिक प्रथाओं को त्याग दिया था। इसी लिए उन्हें मुस्लिम समुदाय के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा और उनके शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए गए थे। लेकिन फिर भी वह अंतिम श्वास तक अपने भक्ति मार्ग पर दृढ़ रहे।
Q.9 इस लेख के अनुसार मक्का की तीर्थयात्रा के दौरान राबिया बसरी के साथ क्या चमत्कार हुआ था?
मक्का की तीर्थयात्रा के दौरान अल्लाहु अकबर ने मक्के को ही उठाकर राबिया बसरी के पास उसे लेने भेज दिया था। जिससे लोगों में राबिया की बहुत प्रशंसा हुई। उसके बाद उन्होंने कमाली के रूप में जन्म लिया और फिर दोबारा कबीर साहेब जी की शरण ग्रहण की।
Q.10 इस लेख के अनुसार अल्लाहु अकबर के पालक माता-पिता नीरू-नीमा के साथ क्या चमत्कार हुआ था?
अल्लाहु अकबर यानि कि कबीर साहेब जी, नीरू-नीमा को अपनी शरण में लेने के लिए स्वयं बालक रूप में उन्हें प्राप्त हुए। यही नीरू- नीमा के जीवन में सबसे बड़ा चमत्कार था।
Q.11 इस लेख के अनुसार अल्लाहु अकबर, राजा वाजिद को कैसे मिले?
वाजीद जी, धन्ना जाट के साथ गुरुदेव, भगवान/अल्लाह कबीर जी से मिलने गए, जो उस समय पृथ्वी पर प्रकट थे और उपदेश दिया करते थे। वाजीद सुल्तान ने अल्लाह कबीर जी से नाम दीक्षा ली। इसके बाद वाजीद जी ने हठ योग की गलत प्रथा को छोड़ दिया और सही पूजा पद्धति जो 'सहज समाधि' थी, शुरू की और वे मोक्ष प्राप्ति के पात्र बने।
Q.12 इस लेख में वर्णित मौलाना जलालुद्दीन मुहम्मद रूमी कौन थे?
मौलाना जलालुद्दीन मुहम्मद रूमी एक फ़ारसी कवि थे। वह बहुत पुण्य आत्मा थे। उन्होंने अल्लाह कबीर जी से सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान ग्रहण करके भक्ति की थी। फिर उसके बाद ही उनका कल्याण हुआ था।
Q.13 अल्लाह कबीर जी ने भक्तमति कमाली का कल्याण कैसे किया था?
अल्लाह कबीर जी ने कमाली नाम की पुण्य आत्मा को शरण में लिया था। ये वही आत्मा थी जो सतयुग में विद्याधर नामक एक ब्राह्मण की पत्नी थी और उसका उस समय नाम दीपिका था। वही आत्मा त्रेतायुग में सूर्या थी और कलयुग में वह राबिया थी। उसने बाद में बांसुरी नाम की लड़की के रुप में भी जन्म लिया। इतना ही नहीं उसके बाद वह अन्य योनियों में भी गई। कलयुग के प्रथम चरण में अल्लाहु अकबर ने कमाली को एक बार फिर अपना सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान किया। जिसके बाद कमाली ने उनकी शरण ग्रहण की और अपना कल्याण करवाया।
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Azhar Ali
कबीर साहेब जी ने हिंदू धर्म में फैले पाखंडवाद का विरोध किया। मैं उनसे पूरी तरह से सहमत हूं। लेकिन फिर भी मेरा मन कबीर साहेब जी को अल्लाह मानने के लिए तैयार नहीं है।
Satlok Ashram
अज़हर जी, आप जी ने हमारे लेख को पढ़कर अपने बहुमूल्य विचार व्यक्त किए, उसके लिए आपका बहुत धन्यवाद। कबीर साहेब जी को अल्लाह के रुप में स्वीकार करना आप के लिए तब तक कठिन हो सकता है जब तक आपके पास प्रमाण न हों परंतु इसका प्रमाण इस प्रकार है; पवित्र कुरान शरीफ में अल्लाह कबीर, सूरत फुरकानी 25, आयत 52-59 संदर्भ क़ुरान शरीफ़, मुतर्ज़म बरहाशियः(सानुवाद सटिप्पण), शास्त्रीय अरबी पद्धति द्वारा नागरी लिपि में, अनुवादक- नंद कुमार अवस्थी (शेरवानी संस्करण)-में स्पष्ट उल्लिखित है कि अल्लाह का नाम कबीर है, जिसका अर्थ 'महान परमात्मा' है। आयत 25:52 “फला-तूतिईल-काफिरिन-व-जाहिदुम-बिहि-जिहादन-कबीरन” यहां स्पष्ट रूप से ‘कबीरन’ लिखा है। हम इसे 'कबीर', 'कबीरा' या 'कबीरन' या 'खबीरा' या 'खबीरन' कह सकते हैं। स्पष्ट है कि यहां कबीर लिखा गया है। कुरान शरीफ के ज्ञानदाता का कहना है कि तुम काफिरों का कहा ना मानना क्योंकि वे कबीर को अल्लाह नहीं मानते हैं। इस कुरान शरीफ की दलीलों की सहायता से उस कबीर के लिए संघर्ष (जिहाद) करना (हिंसा करने को नहीं कहा गया है) और मेरे द्वारा दिये गए निर्देश पर कायम रहना। कबीर साहेब जी चारों युगों में पृथ्वी पर अवतरित होते हैं और प्रभु प्रेमी आत्माओं को आकर मिलते हैं, अपने सच्चे ज्ञान से अवगत कराते हैं, सभी धर्मों में फैले पाखंडवाद को सतज्ञान देकर दूर करते हैं। हम आपसे निवेदन करते हैं कि आप कबीर अल्लाह के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के आध्यात्मिक प्रवचनों को यूट्यूब चैनल पर सुनिए। इसके अलावा आप "ज्ञान गंगा" पुस्तक भी पढ़ सकते हैं।