वर्तमान में महान तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज द्वारा चलाए जा रहे वास्तविक कबीर पंथ का उद्देश्य पूरे विश्व का कल्याण करना है। मानव समाज के कल्याण के उद्देश्य से उनकी अमृतवाणी के माध्यम से कबीर परमेश्वर के सुनहरे विचारों की वर्षा हो रही है। संत रामपाल जी कबीर परमेश्वर का सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करके एक अद्भुत काम कर रहे हैं और सच्चे आध्यात्मिक ज्ञान से अनभिज्ञ आत्माओं को सच्ची भक्ति करने और मोक्ष प्राप्त करने के लिए जगा रहे हैं। कबीर परमेश्वर इस नश्वर संसार में बार-बार अवतरित होते हैं। 600 वर्ष पूर्व कबीर परमेश्वर कलयुग में प्रकट हुए और 120 वर्ष बिताने के बाद अपने पैतृक निवास सतलोक में चले गए। परंपरा को अक्षुण्ण रखते हुए उनके विचारों का प्रचार आज से लगभग 250 वर्ष पूर्व महान संत गरीबदास जी महाराज ने किया था। दोनों महापुरुषों के प्रकटीकरण, बोध और विदा होने के उपलक्ष्य में इन दिनों को हर साल मनाया जाता है, जिनकी जानकारी इन लेखों में समझायी जा रही है ।
संत रामपाल जी महाराज के पावन मार्गदर्शन में वर्तमान में चल रहे वास्तविक कबीर पंथ द्वारा प्रतिवर्ष छह मुख्य अवसर मनाए जा रहे हैं।
- प्राकट्य दिवस - पर्मवश्वर कबीर साहेब जी
- सतलोक गमन दिवस - परमेश्वर कबीर साहेब जी
- बोध दिवस - संत गरीबदास जी महाराज
- अवतार दिवस - सतगुरु संत रामपाल दास जी महाराज
- बोध दिवस - सतगुरु संत रामपाल दास जी महाराज
- दिव्य धर्म यज्ञ दिवस
कबीर साहेब प्रकट दिवस
सर्वशक्तिमान कबीर स्वयंभू हैं। सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापी परमेश्वर कबीर जी माता के गर्भ से जन्म नहीं लेते हैं। वह भगवान के संविधान के अनुसार जिंदा महात्मा के रूप में प्रकट होते हैं, और एक कमल के फूल पर एक शिशु के रूप में अपनी प्यारी आत्माओं को सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करने का इरादा रखते हैं। वह हर युग में यह लीला करते हैं। 600 साल पहले परमेश्वर कविर देव ( विक्रमी संवत 1455 ) 1398 ईंस्वी में ज्येष्ठ शुद्धि की पूर्णिमा के दिन काशी, वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत में ब्रह्म मुहूर्त में लहरतारा झील में इस नश्वर दुनिया में कमल के फूल पर प्रकट हुए थे । नीरू-नीमा उनके पालक माता-पिता थे जिन्होंने उनकी परवरिश की। कबीर साहेब प्रकट दिवस हर साल कबीर परमेश्वर के प्राकट्य को मनाने के लिए मनाया जाता है।
कबीर परमेश्वर निर्वाण दिवस (प्रस्थान दिवस)
कबीर साहेब ने प्रचार किया कि तत्वदर्शी संत द्वारा दिए गए सच्चे मोक्ष मंत्रों का जाप करने से और सच्ची पूजा करने से जीव की मुक्ति होती है। सच्चा उपासक कहीं भी मर सकता है, मोक्ष प्राप्त करता है, स्थान कोई मायने नहीं रखता। उस युग के अज्ञानी धार्मिक हिंदू नेताओं पंडितों ने यह मिथक फैलाया कि जो काशी में मरता है उसे स्वर्ग मिलता है जबकि मगहर में मरने वाले गधे बन जाते हैं। इस मिथक को दूर करने के लिए कबीर परमेश्वर ने सहशरीर मगहर से सतलोक जाने की लीला की, जिससे यह उदाहरण स्थापित हुआ कि पंडितों द्वारा प्रचारित मृत्यु की भविष्यवाणी और अवधारणा केवल एक मिथक है। लोगों को इन बातों पर विश्वास करने से बचना चाहिए। जिस दिन परमेश्वर सहशरीर सतलोक चले गए, उस दिन को हर साल कबीर परमेश्वर निर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। उसी का विवरण बाद के लेख में वर्णित किया गया है।
बोध दिवस संत गरीबदास जी महाराज (साक्षात्कार दिवस)
गरीबदास पंथ के संस्थापक संत गरीबदास जी महाराज हरियाणा के झज्जर जिले के गांव छुदानी के निवासी हैं, जिन्हें वर्ष 1727 में फाल्गुन शुद्धि द्वादशी में आशीर्वाद दिया गया था, जब दयालु परमेश्वर कबीर जी उनसे वास्तविक ज्ञान देने और सद्ग्रन्थों में दी गयी जानकारी में हो रही खराबी को समाप्त करने के लिए कबलाना गांव के पास नाला खेतों में मिले थे। कबीर परमेश्वर उस पवित्र आत्मा को सतलोक में ले गए उन्हें अपने सच्चे आध्यात्मिक ज्ञान और वास्तविक स्थान से परिचित कराया। बाद में इसे शास्त्र में लिखा गया जिसे आज 'सद्ग्रंथ साहिब' के नाम से जाना जाता है। यह प्रमाण पवित्र ग्रंथ कबीर सागर में भी मिलता है कि बारहवां पंथ संत गरीबदास जी का है। उन्होंने कबीर साहेब भगवान से नाम दीक्षा प्राप्त की। हर साल इस शुभ दिन को संत गरीबदास जी के बोध दिवस/प्राप्ति दिवस के रूप में मनाया जाता है।
सतगुरु संत रामपाल दास जी महाराज का अवतार दिवस
संत रामपाल जी महाराज का जन्म 8 सितंबर 1951 को ग्राम धनाना, जिला सोनीपत, हरियाणा, भारत में एक किसान परिवार में हुआ था। हर साल इस ऐतिहासिक दिन को अवतरण (अवतार) दिवस के रूप में मनाया जाता है।
सतगुरु संत रामपाल दास जी महाराज का बोध दिवस (बोध दिवस)
तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने अपने पूज्य गुरुदेव स्वामी रामदेवानंद जी से 17 फरवरी 1988 को फाल्गुन मास में अमावस्या के दिन पर नाम दीक्षा प्राप्त की। यह शुभ दिन हर साल सतगुरु संत रामपाल जी महाराज के बोध दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इन सभी शुभ अवसरों पर संत रामपाल जी महाराज द्वारा आध्यात्मिक प्रवचन दिए जाते हैं जिनकी कृपा से भक्तों का 'जीवन और परलोक' सुरक्षित हो जाता है। इन अवसरों की शोभा बढ़ाने के लिए संत गरीबदास जी के पवित्र सदग्रंथ साहिब (अमरग्रंथ) का 3 दिवसीय पाठ आयोजित किया जाता है। विशाल भंडारे (सामुदायिक भोजन) का आयोजन किया जाता है, जहां हर कोई जाति, पंथ या धर्म के बावजूद मुफ्त भोजन का आनंद ले सकता है। रक्तदान और शरीर अंगदान शिविर, दहेज मुक्त विवाह, यानी रमैणी का आयोजन किया जाता है। ये अवसर उस जागरूकता को चिह्नित करते हैं जो धार्मिक पाखंड को दूर करने और सामाजिक कल्याण करने के उद्देश्य से मनाए जाते हैं।
दिव्य धर्म यज्ञ दिवस
संपूर्ण ब्रह्मांड के निर्माता सर्वशक्तिमान पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी मानव जाति के कल्याण के लिए काशी, वाराणसी में 600 साल पहले अवतरित हुए थे। उस समय उन्होंने विशाल भंडारे का अयोजन किया था और स्वयं केशव बंजारा का रूप धारण कर दिव्य लीला की थी। कबीर साहेब जी ने लगातार तीन दिन अखंड भंडारा का आयोजन किया था, जिसमें भारत के विभिन्न भागों से 18 लाख लोगों, संतो महंतों व आचार्यों ने भाग लिया था। सभी उपस्थित संतो को मोहन भोजन जैसे लड्डू, जलेबी, खीर, पूड़ी, हलवा आदि अनेक स्वादिष्ट व्यंजन खिलाए गए जो अमर धाम सतलोक से बनाकर 9 लाख बैलों के ऊपर रख कर लाये गये थे। प्रत्येक भोजन के बाद केशो रूप में भगवान कबीर जी ने प्रत्येक संत को एक दोहर (कंबल) और एक मोहर (सोने का सिक्का) दिया था। साथ ही उन्हें उनके परिवारजनों के लिए सूखा सीधा (राशन) दिया गया जो भंडारे में नहीं आ सके थे ।
उसी शुभ दिन के उपलक्ष्य में हर साल तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के पावन मार्गदर्शन में देश भर के सतलोक आश्रमों में 'दिव्य धर्म यज्ञ दिवस' का आयोजन किया जा रहा है।
इन सभी शुभ अवसरों पर संत रामपाल जी द्वारा आध्यात्मिक प्रवचन दिए जाते हैं, जिनकी कृपा से भक्तों का 'जीवन और परलोक' सुरक्षित हो सकता है। इन अवसरों पर संत गरीबदास जी के पवित्र सद्ग्रन्थ साहिब का 5-7 दिन का पाठ होता है तथा विशाल भंडारा का आयोजन किया जाता है। जहां पर किसी भी जाति, पंथ, धर्म या समुदाय के लोग निशुल्क भोजन का आनंद ले सकते हैं। इसके साथ ही रक्तदान एवं देहदान शिविर, दहेज रहित विवाह अर्थात रमैनी का आयोजन किया जाता है। ये अवसर धार्मिक पाखंड को दूर करने और सामाजिक कल्याण करने के लिए फैलाई जाने वाली जागरूकता को चिह्नित करते हैं।