श्री अमरनाथ धाम की स्थापना कैसे हुई


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भगवान शंकर जी ने पार्वती जी को एकांत स्थान पर उपेदश दिया था जिस कारण से माता पार्वती जी इतनी मुक्त हो गई कि जब तक प्रभु शिव जी (तमोगुण) की मृत्यु नहीं होगी, तब तक उमा जी की भी मृत्यु नहीं होगी। सात ब्रह्मा जी (रजोगुण) की मृत्यु के उपरान्त भगवान विष्णु (सतोगुण) की मृत्यु होगी। सात विष्णु जी की मृत्यु के पश्चात् शिवजी की मृत्यु होगी। तब माता पार्वती जी भी मृत्यु को प्राप्त होगी, पूर्ण मोक्ष नहीं हुआ। फिर भी जितना लाभ पार्वती जी को हुआ वह भी अधिकारी से उपदेश मंत्र ले कर हुआ। बाद में श्रद्धालुओं ने उस स्थान की याद बनाए रखने के लिए उसको सुरक्षित रखा तथा दर्शक जाने लगे।

जैसे यह दास (सन्त रामपाल) स्थान-स्थान पर जा कर सत्संग करता है। वहाँ पर खीर व हलवा भी बनाया जाता है। जो भक्तात्मा उपदेश प्राप्त कर लेता है, उसका कल्याण हो जाता है। सत्संग समापन के उपरान्त सर्व टैंट आदि उखाड़ कर दूसरे स्थान पर सत्संग के लिए चले गये, पूर्व स्थान पर केवल मिट्टी या ईंटों की बनाई भट्ठी व चूल्हे शेष छोड़ दिए। फिर कोई उसी शहर के व्यक्ति से कहे कि आओ आप को वह स्थान दिखा कर लाता हूँ, जहां संत रामपाल दास जी का सत्संग हुआ था, खीर बनाई थी। बाद में उन भट्ठियों को देखने जाने वाले को न तो खीर मिले, न ही सत्संग के अमृत वचन सुनने को मिले, न ही उपदेश प्राप्त हो सकता जिससे कल्याण हो सके। उसके लिए संत ही खोजना पड़ेगा, जहां सत्संग चल रहा हो, वहाँ पर सर्व कार्य सिद्ध होंगे।

ठीक इसी प्रकार तीर्थों व धामों पर जाना तो उस यादगार स्थान रूपी भट्ठी को देखना मात्र ही है। यह पवित्र गीता जी में वर्णित न होने से शास्त्र विरूद्ध हुई। जिससे कोई लाभ नहीं (प्रमाण पवित्र गीता अध्याय 16 मंत्र 23-24)।

 तत्व ज्ञान हीन सन्तों व महंतों तथा आचार्यों द्वारा भ्रमित श्रद्धालु तीर्थों व धामों पर आत्म कल्याणार्थ जाते हैं। श्री अमरनाथ जी की यात्रा पर गए श्रद्धालु तीन-चार बार बर्फानी तुफान में दब कर मृत्यु को प्राप्त हुए। प्रत्येक बार मरने वालों की संख्या हजारों होती थी। विचारणीय विषय है कि यदि श्री अमरनाथ जी के दर्शन व पूजा लाभदायक होती तो क्या भगवान शिव उन श्रद्धालुओं की रक्षा नहीं करते? अर्थात् प्रभु शिव जी भी शास्त्र विरूद्ध साधना से अप्रसन्न हैं।


 

FAQs : "श्री अमरनाथ धाम की स्थापना कैसे हुई"

Q.1 अमरनाथ मंदिर की स्थापना कैसे हुई थी?

अमरनाथ मंदिर के बारे में यह माना जाता है कि इसकी स्थापना भक्तों द्वारा ही की गई थी। इस स्थान पर शिव जी ने पार्वती जी को मोक्ष मंत्र प्रदान किया था। लेकिन यह भी कड़वी सच्चाई है कि मंदिर में ज्योतिर्लिंग का निर्माण और उससे जुड़ी पूजा का हमारे धार्मिक ग्रंथों में कोई प्रमाण नहीं है।

Q.2 क्या अमरनाथ मंदिर की यात्रा करने से मुक्ति मिलती है?

अमरनाथ का मंदिर उस घटना का प्रतीक है जब शिव जी ने एक सूखे पेड़ के नीचे पार्वती जी को मोक्ष मंत्र प्रदान किया था। उसके बाद ऋषि भृगु ने इस स्थान की खोज की थी और फिर इसे अमरनाथ के नाम से जाना जाने लगा। अब वहां श्रद्धालु यह सोच कर जाते हैं कि उन्हें मोक्ष मिलेगा। लेकिन अमरनाथ धाम में जाने वाले लाखों लोगों द्वारा मनमानी पूजा की जाती है क्योंकि लोग यह मानते हैं कि इससे उन्हें लाभ मिलेगा। जबकि वह वास्तविक मोक्ष मंत्र से वंचित हैं जो शिव जी ने पार्वती जी को दिया था।

Q. 3 अमरनाथ का इतिहास क्या कहता है?

कहा जाता है कि एक बार नारद जी ने पार्वती जी को शिव जी के बारे में यह बताया कि उनके पास मोक्ष मंत्र है। उस मोक्ष मंत्र को प्राप्त करने के बाद पार्वती जी की भी तब तक मृत्यु नहीं होगी जब तक शिव जी जीवित रहेंगे। फिर नारद जी की इस बात से प्रेरित होकर पार्वती जी ने शिव जी से मोक्ष मंत्र प्राप्त करने की इच्छा जताई थी। उसके बाद शिव जी भी सहमत हो गए और पार्वती जी को एक एकांत स्थान पर ले गए और वहां एक सूखे पेड़ के नीचे बैठ कर उन्होंने पार्वती जी को अपने स्तर तक का मोक्ष मंत्र प्रदान किया था। उसके बाद यह स्थान अमरनाथ धाम के नाम से जाना जाने लगा, जिसका अर्थ है अमर भगवान का स्थान। लेकिन अमरनाथ मंदिर की यात्रा करने से मोक्ष प्राप्त नहीं किया जा सकता। मुक्ति प्राप्त करने के लिए सच्चे गुरु से मोक्ष मंत्र प्राप्त करने चाहिए।

Q.4 अमरनाथ मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?

अमरनाथ मंदिर इसलिए प्रसिद्ध है क्योंकि यहां शिव जी ने पार्वती जी को मोक्ष मंत्र प्रदान किया था। लेकिन पार्वती जी का पूर्ण मोक्ष नहीं हुआ था। पूर्ण मोक्ष प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को पूर्ण संत की शरण लेनी चाहिए। वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी ही एकमात्र पूर्ण संत हैं और वे ही मोक्ष मंत्र प्रदान कर सकते हैं।

Q.5 अमरकथा किसने सुनी थी?

पार्वती जी ने भगवान शिव जी से अमरकथा सुनी थी। जिससे उन्हें प्रेरणा मिली और उनके अंदर मोक्ष मंत्र प्राप्त करने की इच्छा बढ़ गई थी। लेकिन शिव जी और पार्वती जी दोनों की मृत्यु होती है क्योंकि उनके पास पूर्ण मोक्ष का मंत्र नहीं है।

Q.6 इस तीर्थ स्थान का नाम अमरनाथ क्यों रखा गया था?

तीर्थ स्थान का नाम अमरनाथ इसलिए रखा गया था क्योंकि उस स्थान पर शिव जी ने पार्वती जी को मोक्ष मंत्र प्रदान किए थे। उसके बाद पार्वती जी को उस मंत्र के स्तर का मोक्ष प्राप्त हुआ था, लेकिन पूर्ण मोक्ष से वह दोनों वंचित ही रहे थे। अमरनाथ नाम अमर भगवान के स्थान को दर्शाता है। लेकिन यह भी सच है कि शिव जी वास्तव में अमर भगवान नहीं हैं। इस का प्रमाण देवी पुराण, स्कंध 3 में भी मिलता है। इसमें शिव जी अपने नाशवान होने तथा अपने जन्म और मृत्यु के चक्र को स्वीकार करते हैं।

Q.7 शिव जी अमरनाथ क्यों गए थे?

शिव जी पार्वती जी को आध्यात्मिक ज्ञान और मोक्ष मंत्र प्रदान करने के लिए उस स्थान पर लेकर गए जहां पर चिड़िया तक शिव जी की आवाज़ न सुन सके। उसके बाद यह स्थान अमरनाथ के नाम से प्रसिद्ध हो गया। इसी स्थान पर पार्वती जी ने अमरता प्राप्त की थी , वो भी तब तक जब तक शिव जी जीवित रहेंगे। लेकिन उनको पूर्ण मोक्ष प्राप्त नहीं हुआ था। शिव जी और देवी पार्वती जी दोनों ही अपना समय पूरा होने के बाद मृत्यु को प्राप्त होंगे। अमरता केवल सर्वशक्तिमान कबीर साहेब की सतभक्ति करने से ही प्राप्त हो सकती है। अमरत्व केवल तत्वदर्शी संत से मोक्ष मंत्र लेकर भक्ति करने से ही प्राप्त की जा सकती है। वर्तमान में केवल तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ही सतगुरु हैं। केवल वे ही शास्त्र अनुकूल सतभक्ति और सच्चे मोक्ष मंत्र प्रदान कर रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज जी की बताई साधना को करने वाले साधक अमरलोक यानि कि सतलोक जा सकते हैं और मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं।

Q.8 अमरनाथ का क्या अर्थ है?

अमरनाथ दो शब्दों से मिलकर बना है‌। इसमें "अमर" जिसका अर्थ है जो कभी न मरे और न जन्म ले "नाथ" जिसका अर्थ है भगवान। इस तरह यह स्थान अमर भगवान की महिमा का प्रतीक है। लेकिन यह भी सच है कि शिव जी अमर नहीं हैं क्योंकि वह मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र में फंसे हुए हैं।

Q.9 अमरनाथ कहां स्थित है?

अमरनाथ एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान माना जाता है जो कि भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के अनंतनाग जिले में स्थित है। अमरनाथ की संपूर्ण कथा जानने के लिए आप यूट्यूब पर संत रामपाल जी महाराज जी का सत्संग सुनिए।


 

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Vinay Kumar

क्या अमरनाथ की यात्रा करने से मोक्ष प्राप्त हो सकता है?

Satlok Ashram

मोक्ष केवल सभी ब्रह्माण्डों के निर्माता सर्वशक्तिमान कबीर साहेब जी की सतभक्ति करने से ही प्राप्त हो सकता है। शिव जी स्वयं जन्म-मरण के चक्र में फंसे हुए हैं और वह हमें मोक्ष प्रदान नहीं कर सकते। इसके अलावा तीर्थों की यात्रा मनमानी और व्यर्थ पूजा है। पवित्र गीता जी में तीर्थयात्रा करने की सख्त मनाही की गई है।

Ishika Gupta

क्या भगवान शिव जी अमरनाथ मंदिर में स्वयं विराजमान हैं?

Satlok Ashram

अमरनाथ वह स्थान है जहां पर शिव जी ने पार्वती जी को मोक्ष मंत्र प्रदान किए थे। पार्वती जी की आयु शिव जी की आयु जितनी लंबी हो गई थी। लेकिन फिर भी शिव जी और देवी पार्वती जी दोनों ही नाशवान हैं। इस तरह अमरनाथ तीर्थ स्थान का केवल धार्मिक महत्व है और यह एक गलत धारणा है कि भगवान शिव जी अमरनाथ में विराजमान हैं। जबकि शिवजी अपने लोक यानि शिवलोक में रहते हैं।

Himanshi Upadhyay

अमरता प्राप्त करने के लिए जीवन में कितनी बार तीर्थ यात्रा करनी चाहिए?

Satlok Ashram

यह संपूर्णतया गलत धारणा है। अमरता प्राप्त करने के लिए किसी को भी कोई तीर्थ यात्रा पर जाने की ज़रूरत नहीं है। तीर्थों की यात्रा शास्त्र विरुद्ध साधना है। पवित्र गीता जी में भी तीर्थ यात्रा करने की मनाही की गई है और ऐसा करने से कोई लाभ नहीं मिलता। इस तरह तीर्थ स्थानों पर जाने से अमरता यानि कि मोक्ष प्राप्त नहीं होता। मोक्ष तो केवल तत्वदर्शी संत द्वारा बताई गई सर्वशक्तिमान कबीर साहेब जी की सच्ची भक्ति करने से ही प्राप्त हो सकता है। वर्तमान में केवल संत रामपाल जी महाराज जी एकमात्र तत्वदर्शी संत हैं, जो मोक्ष मंत्र प्रदान कर सकते हैं।