संत रामपाल जी महाराज जी का नाम आज विश्व के सबसे बड़े समाज सुधारक के रूप में जाना जाता है। संत रामपाल जी विश्व में एकमात्र तत्वदर्शी संत हैं जो अपने आध्यात्मिक तत्वज्ञान से प्रत्येक मानव को परमात्मा का साक्षात्कार करवा रहे हैं । संत रामपाल जी द्वारा बताया जा रहा अलौकिक आध्यात्मिक ज्ञान शास्त्र आधारित और सभी धर्मों को एक करने की सीख देता है। संत रामपाल जी महाराज जी पूरे विश्व में अकेले ऐसे संत हैं जिन्होंने सभी धर्मों के शास्त्रों को खोलकर एक धार्मिक, वैज्ञानिक और तर्कपूर्ण आध्यात्मिक ज्ञान बताया है। इस लेख में आगे पढ़ें संत रामपाल जी महाराज जी का जीवन परिचय, उनके द्वारा दिया जा रहा तत्वज्ञान और दिखाया जा रहा सतभक्ति मार्ग जो उन्हें अन्य धर्मगुरूओं से बिल्कुल अलग करता है।
संत रामपाल जी महाराज जी का जीवन परिचय
संत रामपाल जी महाराज जी का जन्म 8 सितम्बर 1951 को हरियाणा प्रांत के जिला सोनीपत के गांव धनाना में एक किसान परिवार में हुआ था। अपनी पढ़ाई पूरी करने के उपरांत वे हरियाणा प्रांत में सिंचाई विभाग में कनिष्ठ अभियंता के पद पर 18 वर्ष तक कार्यरत रहे। भक्ति मार्ग में दृढ़ होने के कारण संत रामपाल जी महाराज जी ने जूनियर इंजीनियर (जे.ई.) के पद से साल 1995 में त्यागपत्र दे दिया था जो हरियाणा सरकार द्वारा दिनांक 16-5-2000 को पत्र क्रमांक 3492-3500 के साथ स्वीकृत है।
क्यों मनाया जाता हैं संत रामपाल जी का बोध दिवस?
इस माह 17 फरवरी को संत रामपाल जी महाराज जी का 37वां बोध दिवस मनाया जा रहा है। परम संत रामपाल जी महाराज जी को 37 वर्ष की आयु में 17 फरवरी 1988 फाल्गुन महीने की अमावस्या की रात्रि को स्वामी रामदेवानंद जी से नाम दीक्षा प्राप्त हुई। उपदेश दिवस यानी दीक्षा दिवस को संतमत में उपदेशी भक्त का आध्यात्मिक जन्मदिन माना जाता है। इसीलिए हर वर्ष 17 फरवरी को संत रामपाल जी महाराज जी के बोध दिवस के रूप में मनाया जाता है।
संत रामपाल जी महाराज जी की गुरु प्रणाली
संत रामपाल जी महाराज जी एक कबीर पंथी तत्वदर्शी संत हैं जिनकी गुरु प्रणाली कबीर साहेब से ही प्रारंभ होती है। कबीर परमेश्वर जी ने कबीर सागर में स्पष्ट कर दिया था कि गरीबदास जी महाराज की परंपरा में स्वयं कबीर परमेश्वर का अंश होगा। संत रामपाल जी महाराज जी उसी परंपरा में 11वें तत्वदर्शी संत हैं।
नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी में महापुरुष का ज़िक्र
फ्रैंच भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस ने भारत के विषय में कई भविष्यवाणियां की थीं कि एक महान संत भारत में पैदा होगा और उसकी अध्यक्षता में भारत विश्वगुरू की उपाधि प्राप्त करेगा। नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी में लिखा था कि जब तत्वदृष्टा यानी शायरन का आध्यात्मिक जन्म होगा, उस दिन अमावस्या की अंधेरी रात होगी। उस समय उस विश्व नेता की आयु 16 या 20 या 25 वर्ष नहीं होगी, वह तरुण नहीं होगा, बल्कि वह प्रौढ़ होगा और वह 50 और 60 वर्ष के बीच की उम्र में संसार में प्रसिद्ध होगा। सन् 2006 में वह संत अचानक प्रकाश में आएगा।
संत रामपाल जी महाराज द्वारा आध्यात्मिक ज्ञान प्रचार
संत रामपाल जी ने सन् 1994 से 1998 तक घर-घर, गांव-गांव, नगर-नगर में जाकर सत्संग किया जिससे बहु संख्या में उनके अनुयाई हो गये थेे। वहीं इस दौरान वि. स. 2054 फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष एकम (मार्च) 1997 को दिन के दस बजे परमेश्वर कबीर साहेब, संत रामपाल जी महाराज को सतलोक से आकर मिले तथा उन्हें सारशब्द की वास्तविकता व संगत को देने के सही समय का संकेत देकर अंतर्ध्यान हो गए।
क्यों हुआ था करौंथा कांड?
1999 में करौंथा में सतलोक आश्रम की स्थापना की गई थी। 1 जून, 1999 से 7 जून, 1999 तक साप्ताहिक सत्संग हुआ। कुछ वर्ष तक सब सामान्य रहा, लेकिन फिर करौंथा और साथ लगते गांवों के लोगों खासकर आर्यसमाजियों ने जानबूझ कर आपत्ति जताना शुरू कर दिया।
संत रामपाल जी महाराज जी ने साल 2003 से अखबारों व टीवी चैनलों के माध्यम से सत्यज्ञान का प्रचार करना शुरू कर दिया था। आर्य समाज के मुख्य ग्रंथ माने जाने वाले सत्यार्थ प्रकाश में दिए वेद विरुद्ध ज्ञान का संत रामपाल जी द्वारा पर्दाफाश करने पर नकली धर्मगुरुओं की स्थिति खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे जैसी हो गई। अपने अज्ञान का पर्दाफाश होने के भय से उन अज्ञानी संतों, महंतों व आर्य समाज के ठेकेदारों तथा आचार्यों ने सतलोक आश्रम, करौंथा के आसपास के गांवों में संत रामपाल जी महाराज जी के विरुद्ध दुष्प्रचार करना प्रारम्भ कर दिया और 12 जुलाई , 2006 को संत रामपाल जी को जान से मारने तथा आश्रम को नष्ट करने के लिए आर्य समाज के गुरुओं तथा उनके अनुयायियों से सतलोक आश्रम करौंथा पर आक्रमण करवाया। 2006 में करौंथा कांड आर्य समाजियों के द्वारा किया गया।
पुलिस ने आक्रमणकारियों को रोकने की कोशिश की, जिस कारण से कुछ उपद्रवकारी घायल हुए और एक की मौत हो गई। जिसके बाद सरकार ने सतलोक आश्रम करौंथा को अपने अधीन ले लिया तथा संत रामपाल जी महाराज जी व उनके कुछ अनुयायियों पर झूठा केस बना कर 13 जुलाई , 2006 को जेल भेज दिया। तब भी झूठे आरोपों में संत रामपाल जी को 22 महीनों तक जेल में रहना पड़ा। 2 अप्रैल, 2008 को संत रामपाल जी महाराज जी को ज़मानत मिली। करौंथा कांड 2006 के झूठे केस में संत रामपाल जी निर्दोष साबित हुए और 20 दिसंबर , 2022 को कोर्ट ने उन्हें इस केस में पूरी तरह से बाइज्ज़त बरी किया।
संत रामपाल जी द्वारा किए जा रहे समाज सुधार के कार्य
संत रामपाल जी महाराज जी का आध्यात्मिक ज्ञान शास्त्रों पर आधारित है। वे उस परमेश्वर की भक्ति के द्वार खोलते हैं जिसे सर्वसक्षम और सबसे दयालु कहा जाता है। वही परमेश्वर जो अंधे को आंख और कोढ़ी को काया और मरते हुए को शतायु प्रदान कर सकता है। संत रामपाल जी महाराज जी ने केवल भक्ति का द्वार ही नहीं खोला है बल्कि उस भक्ति को सुचारू रखने के लिए एक आदर्श समाज की कल्पना को साकार किया है। संत रामपाल जी के सानिध्य में एक ऐसा समाज बन रहा है जहां बेटियां को बेटों के बराबर मान जाता है। बेटियां अब गर्भ में नहीं मारी जातीं और न ही उन्हें दहेज के लिए जीवित आग में जलाया जाता है।
संत रामपाल जी ने अपने शिष्यों के लिए एक ऐसा समाज बना दिया है जहां नशे के लिए कोई स्थान नहीं है और ना ही नशीली वस्तुओं का व्यापार होता है। जहां जातिभेद का कोई अस्तित्व ही नहीं है। नशामुक्ति और दहेजमुक्ति जैसे वे सभी कार्य जो न सरकार कर सकी, न कोई कानून, न कोई धार्मिक संस्था कर सकी, न कोई अन्य समाज सुधारक यह कार्य तो केवल संत रामपाल जी महाराज ने अपने तत्वज्ञान से किया।
आज लाखों बेटियां सुखी वैवाहिक जीवन व्यतीत कर रही हैं। लाखों परिवार नशामुक्ति से खुशहाल हैं। उनके द्वारा वर्ष में 6 से 7 समागम आयोजित किए जाते हैं जिनमें पूरा विश्व धर्म भंडारे में आमंत्रित होता है और दहेजमुक्त विवाह होते हैं। संत रामपाल जी महाराज जी के अथक प्रयासों और तत्वज्ञान का ही यह परिणाम है कि लाखों की संख्या में अनुयायी अब इस अंतिम और सत्य कबीरपंथ से जुड़ते जा रहे हैं और एक स्वस्थ निर्मल समाज का निर्माण करने में योगदान दे रहे हैं।
17 फरवरी 2024 बोध दिवस पर है पूरा विश्व आमंत्रित
17 फरवरी को महापुरुष संत रामपाल जी महाराज जी का बोध दिवस है जब संत रामपाल जी महाराज जी ने स्वामी रामदेवानंद जी से नामदीक्षा ग्रहण की थी। संत रामपाल जी महाराज जी का पूरा जीवन जनकल्याण के लिए समर्पित है। ऐसे महान संत का यह विश्व सदैव ऋणी रहेगा। इस अवसर पर गरीबदास जी महाराज के सतग्रंथ साहेब की अमृतवाणी का तीन दिवसीय अखंड पाठ का आयोजन सभी सतलोक आश्रमों में आयोजित किया जाएगा। ये आश्रम इस प्रकार हैं -
- सतलोक आश्रम मुंडका (दिल्ली)
- सतलोक आश्रम धनाना धाम (हरियाणा)
- सतलोक आश्रम कुरुक्षेत्र (हरियाणा)
- सतलोक आश्रम भिवानी (हरियाणा)
- सतलोक आश्रम धूरी (पंजाब)
- सतलोक आश्रम खमाणों (पंजाब)
- सतलोक आश्रम सोजत (राजस्थान)
- सतलोक आश्रम शामली (उत्तर प्रदेश)
- सतलोक आश्रम धनुषा (नेपाल)
सभी आश्रमों में निशुल्क नामदीक्षा, दहेजमुक्त विवाह और विशाल भंडारे का आयोजन किया जाना है। इस अवसर पर पूरे विश्व का मानव समाज सादर आमंत्रित है।
गरीब, चंद्र सूर की आयु लग, जे जीव का रहै शरीर |
सतगुरु से भेटा नहीं, तो अंत कीर का कीर ||
निशुल्क आध्यात्मिक ज्ञान, सत्संग एवं नामदीक्षा ग्रहण करें
जीवन रूपी नैया को केवल गुरु पार लगा सकता है। किंतु गुरु पूरा हो यानी वेदों के अनुसार ज्ञान देने वाला अर्थात गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में कहे अनुसार पूर्ण तत्वदर्शी संत हो। संत रामपाल जी महाराज जी पूरे विश्व में एकमात्र तत्वदर्शी संत हैं। कितनी भी लंबी आयु हो यदि गुरु धारण नहीं किया तो चौरासी लाख योनियों में यातनाएं भोगनी होंगी।
गरीब, त्रिलोकी का राज सब, जै जीव कूं कोई देय |
लाख बधाई क्या करै, नहीं सतनाम सें नेह ||
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