अगर आप मां दुर्गा की पूजा करते हैं तो निश्चित ही आपने गौर किया होगा कि देवी दुर्गा को सुहाग की मान्यता का आधार मानी जाने वाली चीजें ही चढ़ायी जाती हैं।
जिससे एक बात सभी भक्तों को स्पष्ट है कि मां दुर्गा देवी शादीशुदा है,भले ही वो इसे अस्वीकार करते रहे लेकिन वेदो मे छुपा ये रहस्य तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज द्वारा अब प्रमाणित रूप से प्रत्यक्ष हो चुका है ।
आज इसी रहस्य को उजागर करेंगे सभी पुख्ता प्रमाण के साथ इस लेख के माध्यम से,
कि आखिर मां दुर्गा किसके नाम का श्रृंगार करती हैं, किसके नाम का सिंदूर लगाती है, क्या कहते हैं वेद और धार्मिक ग्रंथ।
प्रमाण
श्रीमद् देवी भगवत (गीताप्रेस गोरखपुर), तृतीय स्कंद, पृष्ठ 114-115 मे स्पस्टीकरण मिलता है कि ब्रह्म (काल/क्षर पुरूष) माँ दुर्गा (प्रकृति देवी/आदीमाया/अष्टांगी/शेरांवाली) के पति है।
यहाँ दुर्गा को भवानी और काल को परम पुरुष के रूप में संबोधित किया गया है, और स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि वे साथ रहते हैं।
तथा यह भी कहा गया है कि दोनों के बीच अविभाज्य संबंध है।
देवी भागवत पुराण में, देवी दुर्गा बहुत स्पष्ट रूप से इस ब्रह्म (काल/क्षर पुरूष)की पूजा करने के बारे में बताती हैं क्योंकि वह त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और शिव) से ऊपर हैं। यही प्रमाण संक्षिप्त देवी भागवत के तीसरे स्कंध पेज 129 पर भी मिलता है।
अन्य प्रमाण पवित्र श्रीमद्भागवत गीता में अध्याय 14 श्लोक 3 से 5 में स्पष्ट रूप से प्रत्यक्ष हुआ है।
सर्वयोनिषु कौन्तेय मूर्तयःसम्भवंति या:
तासां ब्रह्मा महघोनिरहं
बीजप्रद: पिता।।
अर्थात, श्री कृष्ण में प्रेतवत प्रवेश ब्रह्म (ज्योति निरंजन काल) कह रहा है कि हे अर्जुन,
नाना प्रकार की सब योनियों में जितनी मूर्तियां अर्थात शरीरधारी प्राणी उत्पन्न होते हैं प्रकृति (दुर्गा) तो उन सब की गर्भधारण करने वाली माता है और मैं बीज को स्थापन करने वाला पिता हूं।
विचारणीय
उत्तम पुरुष, पूर्ण परमात्मा, परम अक्षर ब्रह्म, अविनाशी परमेश्वर, पूजा करने योग्य पूर्ण ब्रह्म की जानकारी देने वाले पवित्र धर्मग्रन्थ इस निर्णायक ज्ञान को पूर्ण रूप से स्पष्ट करते हैं, कि ब्रह्म (काल/क्षर पुरूष) माँ दुर्गा (प्रकृति देवी/आदीमाया/अष्टांगी / शेरांवाली) के पति है।
जो लोग इन वेदों और पुराणों को नहीं समझ पाए हैं वे ब्रह्मा, विष्णु, शिव और दुर्गा की ही पूजा करते रहते हैं, जबकि परमात्मा तो इस काल ब्रह्म से भी कोई अन्य है। जिसकी पूजा-अर्चना और प्रमाणित जानकारी के लिये, काल (ब्रह्म) कौन है और प्रकृति की उत्पत्ति कैसे हुई और ब्रह्मा, विष्णु और शिव की स्थिति क्या है, इसकी भी पूरी जानकारी के लिए कृपया "सृष्टि रचना" पढ़ें।
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Sulekha Gupta
क्या ब्रह्मा जी, विष्णु जी और शिव जी सर्वोच्च ईश्वर हैं ? क्या इनसे ऊपर भी कोई सर्वोच्च शक्ति है?
Satlok Ashram
श्रीमद् देवी भागवत पुराण, स्कंद 3 अध्याय 5, पृष्ठ संख्या 123 में कहा गया है 'मैं, ब्रह्मा, विष्णु और शंकर आपकी कृपा से मौजूद हैं। हम जन्म लेते हैं (अविर्भाव) और मरते हैं (तिरोभव)। हम अमर नहीं हैं'। जो अमर नहीं है वे सर्वोच्च कैसे हो सकते हैं। देवी भागवत पुराण में यह प्रमाण है कि देवी दुर्गा जी ब्रह्म काल की पूजा करने को कहती है। वह श्री ब्रह्मा जी,विष्णु जी और शिव जी से उच्च शक्ति है, जबकि इनमें से कोई भी सर्वोच्च ईश्वर नहीं है। अज्ञानता के कारण सभी शास्त्रों के विरुद्ध साधना कर रहे हैं। जबकि सच तो यह है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर कबीर साहेब ही सभी ब्रह्मांडों के निर्माता हैं और सबके द्वारा पूजनीय हैं।