भारत ही नहीं दुनियाभर में परमेश्वर की प्राप्ति का दावा करने वाले अनेक पंथ हैं, जिनकी अलग-अलग विचारधारा एवं साधना पद्धति है। ऐसा ही एक पंथ है राधास्वामी पंथ जोकि भारत समेत पूरे विश्व में फैला हुआ है। जिसकी स्थापना का श्रेय सेठ शिवदयाल जी उर्फ राधास्वामी को दिया जाता है। इस पंथ से अनेकों मनमुखी शाखाएं प्रारंभ हो चुकी हैं जिन्होंने आध्यत्मिक ज्ञान के नाम पर लाखों श्रद्धालुओं को गुमराह कर रखा है।
इस वीडियो में राधास्वामी पंथ समेत इससे निकली शाखा तुलसीदास जी द्वारा स्थापित जयगुरुदेव पंथ, मथुरा और श्री ताराचंद जी द्वारा गांव दिनोद जिला भिवानी, हरियाणा में स्थापित पंथ के अज्ञान को उजागर किया गया है। इन पंथों का मानना है कि सत्यलोक में परमात्मा नहीं है, बस वहां प्रकाश ही प्रकाश है। साथ ही, उनका मानना है कि मोक्ष प्राप्त प्राणी मृत्यु उपरान्त उस प्रकाश में इस प्रकार विलीन हो जाता है, जिस तरह कि समुद्र की बूंद समुद्र में गिरकर विलीन हो जाती है अर्थात सत्यलोक में आत्मा और परमात्मा का कोई अस्तित्व नहीं है।
जबकि संत रामपाल जी महाराज ने कबीर साहेब की वाणियों से साबित किया है कि सतलोक में भी सृष्टि हैं। वहां सतपुरुष और हंस आत्माओं का अस्तित्व भिन्न-भिन्न है। जहां स्वयं कबीर जी ही सतपुरुष, अविनाशी परमेश्वर के रूप में विराजमान हैं। स्वयं कबीर परमेश्वर ने सूक्ष्मवेद में कहा गया है:
गरीब, हम ही अलख अल्लाह है, कुतूब गोस और पीर।
गरीबदास खालिक धनी हमरा नाम कबीर।।
गरीब, ऐ स्वामी सृष्टा मैं, सृष्टी हमरे तीर।
दास गरीब अधर बसू, अविगत सत कबीर।।
वहीं पुस्तक ‘जीवन चरित्र स्वामी जी महाराज’’ के पृष्ठ 78 से 81 से प्रमाणित करते हुए संत रामपाल जी ने बताया कि राधास्वामी पंथ के प्रवर्तक श्री शिवदयाल जी का कोई गुरु नहीं था और न ही उनका मोक्ष हुआ। बल्कि शिवदयाल जी प्रेत योनी को प्राप्त होकर अपनी शिष्या बुक्की में प्रवेश होकर अपने शिष्यों की शंका का समाधान करते थे। इस विषय में कबीर परमेश्वर द्वारा प्रदान तत्वज्ञान में संत गरीबदास जी ने कहा है:
गरीब, सतगुरु पुरुष कबीर हैं, चारों युग प्रमाण।
झूठे गुरुवा मर गए, होगे भूत मसाण।।
और कबीर परमेश्वर जी गुरु की महिमा बताते हुए कहते हैं:
कबीर, गुरू बिन माला फेरते, गुरू बिन देते दान।
गुरू बिन दोनों निष्फल हैं, चाहे पूछो बेद पुराण।।
अब राधास्वामी पंथ तथा उससे निकले पंथों के श्रद्धालुओं को स्वयं विचार करने की जरूरत है कि जिस पंथ का प्रर्वतक ही भूत बनकर अपनी शिष्या में प्रवेश कर गया हो तो उसके अन्य अनुयाइयों का क्या होगा? वहीं राधास्वामी पंथ की वास्तविक सच्चाई जानने के लिए देखिये संत रामपाल जी महाराज बनाम राधास्वामी दिनोद के मध्य आध्यात्मिक ज्ञानचर्चा
FAQs : "आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा - संत रामपाल जी बनाम संत कंवर सिंह जी दिनोद"
Q.1 राधा स्वामी पंथ के प्रवर्तक कौन थे?
इस लेख के अनुसार राधा स्वामी पंथ के संस्थापक शिव दयाल जी महाराज थे।
Q.2 क्या शिव दयाल जी महाराज का कोई गुरु था?
जी नहीं, शिव दयाल जी महाराज का कोई आध्यात्मिक गुरु नहीं था। इसका नतीजा यह हुआ कि शिव दयाल जी का पूर्ण मोक्ष नहीं हुआ। जबकि गुरू बनाना हमारे पवित्र शास्त्रों में मोक्ष प्राप्त करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बताया गया है।
Q. 3 राधा स्वामी पंथ के ज्ञान का आधार कौन से शास्त्र हैं?
राधा स्वामी पंथ के ज्ञान का आधार मुख्य रूप से शिव दयाल जी महाराज की शिक्षाएं हैं। यह शिक्षाएं पवित्र कबीर सागर और हमारे अन्य पवित्र शास्त्रों के बिल्कुल विपरीत है।
Q.4 जय गुरुदेव पंथ के तुलसीदास जी ने क्या महत्वपूर्ण भविष्यवाणी की थी?
जय गुरुदेव पंथ के तुलसीदास जी ने एक महान संत के पृथ्वी पर आने के बारे में एक महत्वपूर्ण भविष्यवाणी की थी। उन्होंने कहा था कि वह संत अपने आध्यात्मिक ज्ञान के माध्यम से पूरी दुनिया का नेतृत्व करेंगे। उनके द्वारा की गई भविष्यवाणी संत रामपाल जी महाराज जी के ऊपर पूरी तरह सटीक बैठती है।
Q.5 संत रामपाल जी महाराज जी वास्तविक गुरु के बारे में क्या बताते हैं?
संत रामपाल जी महाराज जी सूक्ष्म वेद से प्रमाणित करके वास्तविक गुरु की पहचान बताते हैं। वह बताते हैं कि वास्तविक गुरु स्वयं परमात्मा या उनका भेजा हुआ अधिकारी संत होता है। जिसके द्वारा बताई भक्ति करने से मोक्ष प्राप्त होता है।
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Kamal Singh
राधा स्वामी पंथ तो संत रामपाल जी महाराज से बहुत पहले स्थापित हो गया था। यह पंथ कबीर साहेब जी के बारे में संपूर्ण ज्ञान प्रदान करता है। विश्व में इस पंथ के लाखों अनुयायी हैं। इसलिए आप इस मार्ग को गलत साबित नहीं कर सकते।
Satlok Ashram
कमल जी, आप जी ने हमारे लेख को पढ़ा और अपने विचार बताए इसके लिए आपका हार्दिक आभार। देखिए यह बात सच है कि राधा स्वामी पंथ संत रामपाल जी महाराज जी से बहुत पहले से है और दुनियाभर में इस पंथ के लाखों अनुयायी हैं। लेकिन पुराना पंथ होने का मतलब यह नहीं है कि यह पंथ सच्चा ज्ञान दे रहा है। पवित्र कबीर सागर और हमारे अन्य पवित्र शास्त्रों के साथ उनकी शिक्षाओं की तुलना करने पर यह बात स्पष्ट होती है कि इस पंथ ने भोले भाले लोगों को गुमराह किया है। इस पंथ में सच्चा ज्ञान और सही भक्ति मार्ग नहीं है। इस पंथ में रहकर कोई भी व्यक्ति अपने मनुष्य जीवन के उद्देश्य को पूरा नहीं कर सकता है। इनके पास सच्चा ज्ञान नहीं, परमात्मा के बारे में कोई ठीक जानकारी नहीं। सतलोक और सतगुरु के बारे में यह पंथ भ्रमित है। इनका भक्ति मार्ग बिल्कुल गलत है। हम आप जी से निवेदन करते हैं कि आप पूरा वीडियो देखें और कोई निर्णय लेने से पहले दोनों पंथों के ज्ञान की तुलना करें। अधिक जानकारी के लिए आप “ज्ञान गंगा” पुस्तक भी पढ़ सकते हैं। इसके अलावा आप सतलोक आश्रम यूट्यूब चैनल पर संत रामपाल जी महाराज जी के आध्यात्मिक प्रवचनों को भी सुन सकते हैं।