मनुष्य जीवन का परम लक्ष्य परमात्मा प्राप्ति है। इसके लिए अनेक मार्ग बताए गए हैं, जिनमें मंत्र जाप का विशेष महत्व है। लेकिन, यह प्रश्न उठता है कि कौन सा मंत्र जाप करना चाहिए? इस प्रश्न का उत्तर ढूंढते हुए, हम इस लेख में गीता ज्ञान और तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के विचारों पर आधारित जानकारी प्रस्तुत करेंगे। इस वीडियो में, तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज मंत्रों, गीता ज्ञान और परमात्मा प्राप्ति के बारे में विस्तार से बताते हैं।
हिंदू धर्म में अनेक मंत्रों का उपयोग किया जाता है, जिनमें 'हरि ओम', 'हरे राम हरे कृष्णा', 'ओम तत्सत', 'हरे राम हरे रामा, रामा रामा हरे हरे, हरे कृष्ण हरे कृष्णा, कृष्णा कृष्णा हरे हरे', 'ओम नमः शिवाय', 'ओम भगवते वासुदेवाय', 'राधा' जैसे मंत्र प्रचलित हैं। कुछ मंत्रों से भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति या सिद्धियां प्राप्त हो सकती हैं, परंतु परमात्मा प्राप्ति का मार्ग केवल सांकेतिक 'ओम तत् सत्' मंत्र के वास्तविक रूप के जाप से ही संभव है।
श्रीमद्भागवतगीता जो कि हिंदू धर्म का आदरणीय ग्रंथ है वह इस प्रश्न का स्पष्ट उत्तर देती है।
गीता अध्याय 17 श्लोक 23: ‘ओं मन्त्र ब्रह्म का, तत् यह सांकेतिक मंत्र परब्रह्म का, सत् यह सांकेतिक मन्त्र पूर्णब्रह्म का है। ऐसे यह तीन प्रकार के पूर्ण परमात्मा के नाम सुमरण का आदेश कहा है और सृष्टि आदिकालमें विद्वानों ने उसी तत्वज्ञान के आधार से वेद तथा यज्ञादि रचे। उसी आधार से साधना करते थे।’
परमात्मा और सनातन परम धाम की प्राप्ति के लिए सही मंत्रों का जाप अत्यंत महत्वपूर्ण है। आदरणीय ग्रंथ गीता के अनुसार 'ओम तत् सत्' ही एकमात्र मंत्र है जो परमात्मा प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। वर्तमान में तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ही इस मंत्र की सही विधि बता सकते हैं। उनसे निःशुल्क नाम दीक्षा लेने के लिए आप अपने नजदीकी नाम दीक्षा केंद्र से संपर्क कर सकते हैं: 8222 88 0541
श्रीमद्भागवत गीता जी के अध्याय 17 श्लोक 23 के अनुसार मोक्ष प्राप्ति का सांकेतिक मंत्र "ओम तत् सत्" है। श्रीमद्भागवत गीता और पवित्र सूक्ष्म वेद में भी यह प्रमाण है कि इन सांकेतिक मंत्रों को तत्वदर्शी संत से प्राप्त करके और जाप करने से ही पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है।
जी हां, हमारे पवित्र शास्त्रों में विदित सतभक्ति करके कोई भी व्यक्ति मोक्ष प्राप्त कर सकता है। लेकिन इसके लिए सबसे ज़रूरी काम यह है कि प्रत्येक मनुष्य पूर्ण संत के मार्गदर्शन में रहकर सही तरह से भक्ति करें।
हिंदू धर्म हो या अन्य कोई भी धर्म, गीता अध्याय 15 श्लोक 1-4 में बताए अनुसार तत्वदर्शी संत की खोज करके और उनके द्वारा बताए "ओम तत् सत्" सांकेतिक मंत्रों के जाप करने से मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है। इसे श्री गीता जी में गुप्त अथवा सांकेतिक मंत्र के रूप में वर्णित किया गया है। 'ओम', ब्रह्म/क्षर पुरुष का मंत्र है, 'तत्', परब्रह्म/अक्षर पुरुष और 'सत्', पूर्ण ब्रह्म/परम अक्षर पुरुष का सांकेतिक मंत्र है। ये मंत्र पूर्ण मोक्ष प्राप्त करने के लिए जाप करने ज़रूरी हैं।
हमारे पवित्र शास्त्रों में "ओम तत् सत्" मंत्र का जाप करने का निर्देश है। इसके लिए पूर्ण संत की खोज करके उनकी आध्यात्मिक शिक्षाओं पर चलकर भक्ति करनी चाहिए क्योंकि एक अधिकारी संत के मार्गदर्शन में चलकर ही पूर्ण मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है।
श्रीमद्भगवद गीता जी के अनुसार मोक्ष प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को पूर्ण संत से नाम दीक्षा लेकर "ओम तत् सत्" मंत्र का जाप करना चाहिए। फिर पूर्ण संत के बताए अनुसार उनकी शिक्षाओं का पालन करना चाहिए। पवित्र गीता जी में यह प्रमाण है कि सर्वोच्च ईश्वर की भक्ति करने से ही परम शांति प्राप्त हो सकती है। पवित्र गीता जी में बताए अनुसार भक्ति करने से ही व्यक्ति पूर्ण मोक्ष प्राप्त करके सतलोक यानि कि अमरलोक जा सकता है।
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Karishma Ojha
मुझे ये बात समझ में नहीं आ रही है कि आपको इतने विवादित विषय पर लिखने की क्या ज़रूरत थी? हमारी अपनी पूजा पद्धति है और हमें दूसरों के मार्गदर्शन की आवश्यकता नहीं है। हम अपने जीवन से संतुष्ट हैं। हम राधे कृष्ण, राधे राधे और गायत्री मंत्र का जाप करते रहेंगे। आप जी से प्रार्थना है कि कृपया हमें गुमराह न करें।
Satlok Ashram
करिश्मा जी, आप जी ने हमारे लेख को पढ़कर अपने विचार व्यक्त किए, उसके लिए आप जी का धन्यवाद। देखिए बहन जी, हमारा उद्देश्य गुमराह मानव जाति को सतभक्ति मार्ग से परिचित करवाना और उनके जीवन को व्यर्थ जाने से बचाना है। हमारे लेख में दी गई जानकारी हमारे पवित्र शास्त्रों पर आधारित है। पवित्र गीता जी के अध्याय 16 श्लोक 23 में भी कहा गया है कि शास्त्रों के विरुद्ध साधना करने से साधक को किसी प्रकार का कोई लाभ प्राप्त नहीं होता। इस तरह पवित्र शास्त्रों के अनुकूल भक्ति न करने से ईश्वर के निर्देशों की अवहेलना होती है। आपको इस जीवन में जो सुख प्राप्त हो रहे हैं, वो आपके पिछले पुण्य संस्कारों के कारण हैं। राधे कृष्ण, राधे राधे गायत्री मंत्र और अन्य अनेक प्रचलित मंत्र सभी काल्पनिक हैं। केवल गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में बताया गया सांकेतिक मंत्र ही वास्तविक मंत्र है। सभी मनुष्यों को केवल पवित्र शास्त्रों में बताई गई भक्ति करनी चाहिए। हम आपसे निवेदन करते हैं कि शास्त्र-आधारित ज्ञान प्राप्त करने के लिए आप "ज्ञान गंगा" पुस्तक को पढ़िए। इसके अलावा आप विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर संत रामपाल जी महाराज जी के आध्यात्मिक प्रवचनों को भी सुन सकते हैं।