लोगों के मन में हमेशा से ही यह सवाल उठता है कि सृष्टि का निर्माण कैसे हुआ अर्थात सृष्टि की रचना किसने की होगी? जो ब्रह्माण्ड हम देखते हैं, उसे किसने बनाया होगा? तथा इस दुनिया से दूर वह शक्ति कौन सी है जो सब कुछ रचने और संभालने में सक्षम है। अधूरा वैज्ञानिक ज्ञान और सभी अधूरे व नकली धर्म गुरुओं का अपना अलग ही विज्ञान और लोकवेद आधारित ज्ञान है जिसके कारण भक्त समाज पूर्ण परमात्मा तथा सर्व सृष्टि के रचनहार से आज तक अनभिज्ञ हैं। विज्ञान का मानना है कि यह पृथ्वी, सूर्य इत्यादि सभी ग्रह, उपग्रह गैसों की उथल पुथल से अस्तित्व में आए हैं। तो वहीं हिंदू धर्म के लोग ब्रह्मा, विष्णु, महेश और माता दुर्गा को सृष्टि का रचनहार मानते हैं। उसी तरह मुस्लिम और ईसाई धर्म के लोग अपने अपने धर्म के देवताओं को सर्वोच्च मानते हैं। लेकिन एक तत्वदर्शी संत सभी धर्मग्रंथों के आधार पर भक्त समाज को सृष्टि के रचनहार तथा उत्पत्तिकर्ता के विषय में धर्म ग्रंथों के आधार पर प्रमाण सहित सतज्ञान प्रदान करता है।
सृष्टि रचना का प्रमाण चारों प्रमुख धर्म के पवित्र ग्रंथों में लिखित है जिनमें हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई धर्म के पवित्र ग्रन्थ शामिल हैं जो यह साबित करते हैं कि कबीर साहेब जी, जिन्हें लोग कबीर जुलाहा के नाम से जानता है वही सारी सृष्टि के रचनहार तथा पूर्ण परमात्मा हैं।
आइए आज इस लेख के माध्यम से संक्षेप में देखें कि सभी धर्मों के पवित्र ग्रन्थों के अनुसार सृष्टि की रचना कैसे हुई तथा सृष्टि के रचियता कौन हैं?
हिंदू धर्म के अनुसार सृष्टि रचना
हिंदू धर्म बहु-ईश्वरवाद में विश्वास रखता है अर्थात हिंदू धर्म के लोग अनेक भगवानों की पूजा करते हैं इसलिए कुछ लोगों का मानना है कि ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की है, तो कुछ विष्णु जी को सर्वेश्वर मानते हैं। अधिकतर लोगों का मानना है कि शिव ही संसार के कर्ता-धर्ता हैं, तो दूसरी तरफ देवी दुर्गा को अपना ईष्ट मानने वाले दुर्गा माता को ही इस सृष्टि का रचनहार मानते हैं। जबकि हिन्दू धर्म के पवित्र ग्रन्थ, चारों वेद और गीता जी यह गवाही देते हैं कि सृष्टि की उत्पत्ति पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब ने छः दिन में की है। परंतु तत्वज्ञान के अभाव से अज्ञानी ऋषियों तथा झूठे गुरुओं ने बिना अपने ग्रंथों को समझे लोकवेद के आधार से ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश को पूर्ण सृष्टि का रचनहार मान लिया। ऋषि-मुनियों का मानना है कि दुर्गा ही जगत जननी है जबकि देवी पुराण में सृष्टि रचना के तथ्य कुछ और ही बयान करते हैं। इसी प्रकार लोगों का मानना है कि ब्रह्मा सृष्टि रचते हैं, विष्णु सृष्टि का पालन करते हैं तथा शिव संहार करते हैं जबकि वास्तव में शिव पुराण के अनुसार यह तीनों देवता सदाशिव अर्थात काल के पुत्र हैं तथा अपने पिता की आज्ञानुसार एक एक विभाग संभाल रहे हैं।
वेदों के अनुसार सृष्टि रचना
वेद पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी द्वारा इस 21 लोकों के स्वामी काल भगवान को आत्माओं की मुक्ति के लिए प्रदान किए गए। सर्वप्रथम पांच ग्रंथ थे जिनमें सृष्टि रचना तथा पूर्ण परमात्मा के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई थी। वास्तव में वेदों की संख्या पांच थी परंतु काल ने पांचवें वेद जिसमें पूर्ण परमात्मा की पूर्ण जानकारी थी उसको नष्ट कर भक्तों को सिर्फ चार वेद ही प्रदान किए। फिर भी वर्तमान में भक्त समाज को उपलब्ध वेदों के तथ्य गवाही देते हैं कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ने सर्व सृष्टि की रचना की तथा समय-समय पर परमात्मा अन्य रूप धारण कर पृथ्वी पर अवतरित होते हैं। मानव समाज के उत्थान के लिए प्रदान किए गए वेदों में से सबसे पुराना वेद ऋग्वेद में वर्णित प्रमाण भी उपरोक्त तथ्य को पूर्ण रूप से सच साबित करते हैं।
चारों वेदों का सारांश है श्रीमद भागवत गीता
चारों वेदों का सारांश श्रीमद भागवत गीता जी को उस समय बोला गया था जब अर्जुन ने युद्ध करने से मना कर दिया था। गीता ज्ञान दाता ने गीता जी में सृष्टि की रचना करने वाले प्रभु के बारे में जानकारी दी है कि वह पूर्ण परमात्मा गीता ज्ञान दाता तथा ब्रह्मा, विष्णु , महेश से कोई अन्य है जो तीनों लोकों में प्रवेश कर सबका धारण पोषण करता है।
इस्लाम के अनुसार सृष्टि की रचना
मुस्लमान धर्म के लोग कुरान शरीफ के ज्ञान दाता अर्थात ब्रह्म काल को अल्लाह मानते हैं तथा उनका यह भी मानना है कि अल्लाह निराकार है। जबकि कुरान शरीफ में स्पष्ट लिखा है कि कुरान शरीफ का ज्ञान दाता अपने स्तर का ज्ञान प्रदान करता है और अंत में अल्लाहु अकबर के बारे में 'बाख़बर/इल्मवाला’ से जानकारी पूछने का विकल्प छोड़ देता है। बाख़बर से अर्थ है, एक तत्वदर्शी संत (असली ज्ञान से युक्त संत)। हम सबका रचनहार और हमारी पूजा का एकमात्र असली अधिकारी वह सर्वशक्तिमान अल्लाहु अकबर है। कुरान शरीफ की कई आयतों जैसे सूरत फुरकानी 25, आयत 52-59 तथा फज़ाइल-ए-ज़िक्र, आयत 1 में स्पष्ट रूप से लिखा है संपूर्ण जगत का रचनहार, सबका मालिक अल्लाह कबीर है। कुरान शरीफ मुसलमानों का प्रामाणिक ग्रंथ है इसलिए कुरान में वर्णित सृष्टि उत्पत्ति के तथ्य सभी मुस्लमान भाईयों तथा बहनों को मान्य होने चाहिएं जिसमें स्पष्ट रूप से लिखा है कि सर्व सृष्टी रचनहार, सर्व पाप विनाशक, सर्व शक्तिमान, अविनाशी परमात्मा, मानव सदृश शरीर में आकार में विधमान है तथा सत्यलोक में रहता है। उसका नाम कबीर है।
बाइबिल के अनुसार सृष्टि के रचयिता कौन है
इस्लाम की तरह ही ईसाई धर्म के लोग भी भगवान को निराकार मानते हैं तथा उनका मानना है कि यीशु ही वह परम शक्ति हैं जिनसे सारी सृष्टि की उत्पत्ति हुई है, जबकि उनके धर्मग्रंथ बाइबल में स्पष्ट लिखा है कि परमात्मा साकार है, जिसने 6 दिन में सृष्टि रची। इसके साथ ही बाइबिल यह भी सिद्ध करती है की संपूर्ण सृष्टि के रचयिता सम्पूर्ण जगत के मालिक तथा पूजा के योग्य केवल पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी हैं। पवित्र बाईबल IYOV 36:5 – तथा उत्पति ग्रंथ यह प्रमाणित करता है कि परमात्मा कबीर है तथा यीशु परमेश्वर के पुत्र थे जिन्हें विष्णु लोक से परमात्मा का ज्ञान बताने के लिए भेजा गया था।
सिक्ख धर्म के अनुसार सृष्टि रचना
सिक्ख अर्थात शिष्य, गुरु नानक जी के वचनों का पालन करने वाले शिष्य आगे चलकर सिख कहलाए। सिख धर्म, गुरु ग्रंथ साहिब का अनुसरण करता है। गुरु ग्रंथ साहिब गुरु नानक देव जी की देह समान है। पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी स्वयं गुरु नानक जी को आकर मिले और सतलोक का दर्शन कराया था। जिसके बाद नानक जी ने वाणियों के माध्यम से उस पूर्ण परमात्मा की महिमा बताई जिसे गुरु ग्रंथ साहिब के रूप में लिपिबद्ध किया गया। नानक जी कि वाणी में स्पष्ट रूप से यह वर्णन किया गया है कि पूर्ण परमात्मा जो सचखंड/सतलोक में रहता है, जिसने सर्व सृष्टि की रचना की उसका नाम कबीर देव है। नानक जी अपनी वाणी में बताते हैं कि उस पूर्ण परमात्मा ने पानी की एक बूंद से पहले एक अण्डा बनाया फिर उसे फोड़ा तथा उसमें से ज्योति निरंजन निकला। उसी पूर्ण परमात्मा ने सर्व प्राणियों के रहने के लिए धरती, आकाश, पवन, पानी आदि पाँच तत्व रचे। अपने द्वारा रची सृष्टी का वह स्वयं ही साक्षी है।
आदरणीय गरीबदास साहेब जी की अमृतवाणी में सृष्टी रचना का प्रमाण
आदरणीय गरीबदास साहेब जी को परमात्मा कबीर साहेब जी सशरीर जिंदा रूप में मिले तथा सतलोक के दर्शन करवाए जिसके बाद संत गरीबदास जी ने पूर्ण परमात्मा का आँखों देखा विवरण अपनी अमृतवाणी में ‘‘सद्ग्रन्थ‘‘ नाम से ग्रन्थ की रचना की। उसी ग्रंथ में गरीबदास जी की अमृत वाणी में प्रमाण है कि सृष्टि की रचना पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ने की। आदरणीय गरीबदास साहेब जी महाराज ने अपनी वाणियों में स्पष्ट किया है कि काशी वाले धाणक (जुलाहे) ने मुझे भी नाम दान देकर पार किया, यही काशी वाला धाणक ही (सतपुरुष) पूर्ण ब्रह्म है। आदरणीय गरीबदास जी बताते हैं कि यहाँ पहले केवल अंधकार था तथा पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी सत्यलोक में तख्त (सिंहासन) पर विराजमान थे। हम वहाँ चाकर थे। परमात्मा ने ज्योति निरंजन को उत्पन्न किया। फिर उसके तप के प्रतिफल में इक्कीस ब्रह्मण्ड प्रदान किए।
पूज्य कबीर परमेश्वर (कविर् देव) जी की अमृतवाणी में सृष्टी रचना
पूर्ण परमात्मा कबीर जी ने 600 साल पहले सर्व शास्त्रों युक्त ज्ञान अपनी अमृतवाणी (कविरवाणी) में सृष्टि रचना के तथ्यों को उजागर किया था जिसे भक्त समाज पहली बार पढ़ेगा तो दंत कथा लगेगी लेकिन आखों देखी प्रमाण के बाद भक्त समाज यह विश्वास करने को मजबूर हो जाएगा कि ब्रह्मा, विष्णु, महेश सर्व शक्तिमान नहीं हैं तथा सृष्टि की रचना कबीर परमात्मा ने की है।
कबीर साहेब ही वह परमात्मा हैं जो समय-समय पर धरती पर अवतरित हो कर या अपने पूर्ण संत के माध्यम से सतज्ञान को उजागर करते हैं। पांचवा वेद सवस्म वेद अर्थात कविर वाणी में परमात्मा कबीर साहेब जी बताते हैं कि तीनों भगवानों (ब्रह्मा जी, विष्णु जी तथा शिव जी) की उत्पत्ति कैसे हुई? इनकी माता जी अष्टंगी (दुर्गा) है तथा पिता ज्योति निरंजन (ब्रह्म काल) उनकी उत्पति कैसे हुई? परमात्मा कबीर जी ने अपनी वाणियों में बताया है कि ज्योति निरंजन (धर्मराय) ने प्रकृति देवी (दुर्गा) के साथ भोग-विलास किया। इन दोनों के संयोग से तीनों गुणों (श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी तथा श्री शिव जी) की उत्पत्ति हुई।