क्या संत रामपाल जी देवी देवताओं की भक्ति छुड़वाते हैं, जाने क्या है इस दावे की सच्चाई?

क्या संत रामपाल जी देवी देवताओं की भक्ति छुड़वाते हैं, जाने क्या है इस दावे की सच्चाई?

जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज द्वारा किए गए दावों और उनकी सच्चाई के आधार पर यह आकलन आपके समक्ष प्रस्तुत है। अकसर संत रामपाल जी के अनुयायियों द्वारा ट्विटर पर भी ज्ञान के आधार पर टैग चर्चित रहता है। आज सभी दावों एवं उनके सच के विषय में जानेंगे।

दावों की पड़ताल: मुख्य बिंदु

  • संत रामपाल जी द्वारा किए गए दावों की सच्चाई।
  • ब्रह्मा विष्णु महेश की जन्म मृत्यु के पीछे का सच।
  • ब्रह्मा विष्णु महेश की पूजा छोड़ने के पीछे का सच।
  • संत कबीर को भगवान मानने के पीछे का सच।
  • संत रामपाल जी के स्वयं को भगवान कहने का सच।
  • अन्य धर्मगुरुओं के विषय में संत रामपाल जी महाराज की राय।
  • संत रामपाल जी की शरण मे आने से रोगों से छुटकारे का सच।

संत रामपाल जी महाराज द्वारा किए गए दावे

अमूमन संत रामपाल जी महाराज पर यह तोहमत लगाई जाती है कि वे ब्रह्मा, विष्णु, महेश की भक्ति छुड़वाते हैं। संत रामपाल जी ने यह अपने सत्संगों में बताया है कि ब्रह्मा विष्णु महेश की मृत्यु होती है। संत रामपाल जी पर यह आरोप भी लगाया जाता है कि वे स्वयं को भगवान कहते हैं। संत रामपाल जी भक्तिकाल के सुप्रसिद्ध संत कबीर साहेब को भगवान बताते हैं। गौरतलब है कि संत रामपाल जी के अनुयायियों द्वारा उनके ज्ञान आधार पर ट्विटर पर ट्रेंड भी किया जाता है। यह दावा भी किया जाता है कि संत रामपाल जी से नामदीक्षा लेने से सर्व असाध्य रोग ठीक होते हैं। आज हम जानेंगे इस सभी आरोपों, दावों की सच्चाई।

 

 

दावा: ब्रह्मा विष्णु महेश की भक्ति छुड़वाते है संत जी!

संत रामपाल जी महाराज पर यह मिथ्या आरोप लगाया जाता है कि वे ब्रह्मा, विष्णु, महेश की भक्ति नामदीक्षा लेने वाले साधक से छुड़वाते हैं। वास्तविकता यह है कि संत रामपाल जी महाराज ब्रह्मा, विष्णु, महेश की भक्ति करने से मना नहीं करते बल्कि इन देवी देवताओं की सही साधना विधि अपने मंत्रों द्वारा करवाते हैं एवं बताते हैं। उन्होंने अपने सत्संगों में भी यह स्पष्ट किया है कि ब्रह्मा, विष्णु, महेश की साधना तो करनी है किंतु उसका तरीका मूर्तिपूजा का नहीं बल्कि शास्त्रसम्मत होना चाहिए। अतः संत रामपाल जी पर लगाया गया यह दावा झूठा सिद्ध होता है कि वे देवी देवताओं की भक्ति करने से मना करते हैं। गीता अध्याय 15 के श्लोक 1 से 4 में जिस सांसारिक वृक्ष का विवेचन है उसके अनुसार भक्ति संत रामपाल जी महाराज बताते हैं। हालांकि गीता अध्याय 7 श्लोक 12 से 15 एवं 20 से 23 में त्रिगुणमयी माया की भक्ति करने वाले मूर्ख एवं मनुष्यों में नीच कहे गए हैं एवं तीन गुणों से ऊपर उठकर भक्ति करने के लिए कहा गया है।

दावा: ब्रह्मा, विष्णु, महेश हैं नाशवान!

संत रामपाल जी महाराज ने अपने सत्संगों में कई बार बताया है कि ब्रह्मा विष्णु महेश की मृत्यु होती है। वे जन्म लेते और मरते हैं। उनका जीवन हमारे जीवन से अधिक होता है किंतु वे अविनाशी नहीं हैं। ऐसा बताते हुए संत रामपाल जी महाराज शास्त्रों का ही हवाला देते हैं। वास्तव में श्रीमद्देवीभागवत पुराण (गीताप्रेस गोरखपुर से प्रकाशित) के तीसरे स्कंध, पृष्ठ 123 पर प्रमाण है कि स्वयं शिव भगवान अपनी माता आदिशक्ति से कहते हैं कि हमारा (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) आविर्भाव अर्थात जन्म तथा तिरोभाव अर्थात मृत्यु होती है। अतः यह सिद्ध है कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश की मृत्यु तो होती ही है साथ ही साथ इनकी माता दुर्गा अर्थात आदिशक्ति की भी मृत्यु होती है। अतः यह दावा सत्य है कि ब्रह्मा, विष्णु, महेश नाशवान हैं।

दावा: संत रामपाल जी ने भगवान होने का दावा किया है!

संत रामपाल जी महाराज पर यह मिथ्या आरोप लगाया गया है कि वे स्वयं को भगवान कहते हैं। क्योंकि संत रामपाल जी महाराज ने स्वयं को हमेशा परमात्मा का दास कहकर संबोधित किया है। संत रामपाल जी महाराज ने अपने किसी सत्संग में यह नहीं कहा है कि वे कोई अवतार हैं या परमात्मा हैं। हालांकि संत शिरोमणि कबीर साहेब के ज्ञान के आधार पर गुरु का स्थान हरि से ऊपर ही होता है। और तत्वदर्शी संत तो स्वयं परमेश्वर का अंश होता है। संत रामपाल जी के अनुयायी उन्हें वही सम्मान देते हैं। किंतु यह दावा झूठा है कि संत जी ने स्वयं को भगवान कहा है। संत रामपाल जी ने स्वयं को दास के साथ ही साथ परमात्मा का दास कहा है जो अपने परमेश्वर के आदेश पर तत्वज्ञान परमेश्वर के बच्चों तक पहुंचा रहा है। यह अलग बात है कि एक शिष्य अपने गुरु को भगवान का दर्ज़ा देता है।

दावा: कबीर साहेब हैं भगवान!

संत रामपाल जी महाराज ने कबीर साहेब को भगवान बताया है जोकि उन्होंने सभी धर्मों के शास्त्रों का हवाला देकर बताया है। ऑर्थोडॉक्स यहूदी बाइबल के अय्यूब 36:5 में, कुरान के सूरत अल फुरकान (25:52-59), अल हज (22:62), अल लुक़मान (31:30) में परमेश्वर का नाम कबीर बताया गया है। गुरुनानक जी ने अनेकों स्थान पर जुलाहा रूपी कबीर साहेब को परमात्मा सिद्ध किया है एवं स्वयं को उनके आधीन बताया है। गुरु ग्रन्थ साहेब के पृष्ठ 24 राग सिरी, महला 1, शब्द संख्या 9; गुरु ग्रंथ साहेब पृष्ठ 721 महला 1 तथा गुरु ग्रंथ साहेब, राग असावरी, महला 1 के अन्य भागों में इसका प्रमाण है। वेदों में अनेकों स्थान पर कबीर साहेब को कविर्देव नाम से सम्बोधित किया है (यजुर्वेद अध्याय 29 मन्त्र 25, ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 96 मन्त्र 17, ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 96 मन्त्र 18,ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मन्त्र 9)। अतः यह शास्त्र सिद्ध है कि कबीर साहेब पूर्ण परमेश्वर हैं। यही बात सर्व धर्म के शास्त्र प्रमाणित करते हैं। अतः संत रामपाल जी महारज का यह दावा सत्य है कि कबीर साहेब पूर्ण परमेश्वर हैं।

दावा: संत रामपाल जी अन्य धर्मगुरुओं की बुराई करते है!

संत रामपाल जी महाराज पर यह भी मिथ्या आरोप लगाया जाता है कि वे अन्य धर्म गुरुओं की बुराई करते हैं। हालांकि उन्होंने अपने सत्संगों में कई बार सभी धर्मगुरुओं को चुनौती दी है कि वे उन्हें गलत साबित करके दिखाएं यदि वे कहीं गलत हैं। किन्तु आज तक कोई भी धर्मगुरु उनकी चुनौती स्वीकार करने नहीं आया। संत रामपाल जी महाराज तत्वदर्शी संत हैं क्योंकि तत्वदर्शी संत के बताए हुए सभी लक्षण उन पर सही उतरते हैं साथ ही संत रामपाल जी ने शास्त्रों के सभी गूढ़ रहस्यों को सुलझाकर उनके सही अर्थ बताए हैं। संत रामपाल जी महाराज धर्मगुरुओं की बुराई नहीं करते, वे जनता को गुमराह करने की प्रवृत्ति की आलोचना करते हैं, क्योंकि किसी को भी गलत राह बताना निंदनीय कार्य है।

दावा: संत रामपाल जी महाराज की करते हैं असाध्य रोग ठीक!

संत रामपाल जी महाराज के कई शिष्यों ने यह दावा किया है कि संत रामपाल जी महाराज की शरण में आने से उनके असाध्य रोग जैसे कैंसर, एड्स ठीक हो गए। हालांकि विज्ञान अब तक इन बीमारियों का कोई इलाज नहीं ढूंढ सका है। लेकिन संत रामपाल जी महाराज के शिष्यों ने अपनी पुरानी मेडिकल रिपोर्ट्स एवं संत रामपाल जी महाराज से नामदीक्षा लेने के बाद की मेडिकल रिपोर्ट्स सामने रखकर ऐसा दावा किया है कि संत जी से नामदीक्षा लेने के बाद सभी असाध्य रोग समाप्त हो जाते हैं। वास्तव में संत रामपाल जी महाराज तत्वदर्शी संत हैं और तत्वदर्शी से नामदीक्षा लेकर पूर्ण परमात्मा की भक्ति करने पर परमात्मा साधक के सर्व रोगों का नाश करके उसे शतायु प्रदान करता है (ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3)। अतः यह भी सिद्ध है कि संत रामपाल जी महाराज से नामदीक्षा लेने से सर्व असाध्य रोगों का नाश होता है।

दावा: संत रामपाल जी की शरण मे होती है नशामुक्ति!

संत रामपाल जी महाराज की शरण मे रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है, नशा मुक्ति होती है और समाज को दहेज से मुक्ति मिलती है। वास्तविक मोक्ष केवल संत रामपाल जी महाराज की शरण में ही है। संत रामपाल जी महाराज की शरण मे न केवल भौतिक सुख प्राप्त होते हैं बल्कि आर्थिक लाभ, मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ स्वतः ही प्राप्त हो जाते हैं। इनके अतिरिक्त पूर्ण मोक्ष भी संत रामपाल जी महाराज प्रदान करते हैं। क्योंकि वे 

शास्त्र सम्मत भक्ति से होते है सभी लाभ

संत रामपाल जी महाराज गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में बताए अनुसार मंत्रों की साधना प्रदान करते हैं। संत रामपाल जी शास्त्र सम्मत ज्ञान बताते हैं जिससे सभी शंकाओं का स्वतः ही निवारण हो जाता है। अनेको समाज सुधार करने वाले, शास्त्रों के आधार पर ज्ञान बताने वाले, धार्मिक भक्ति बताने वाले संत न तो समाज विरोधी हो सकते हैं और न ही धर्म विशेष के विरोधी। वे तो परम उपकारी संत हैं। अधिक जानकारी के लिए देखें सतलोक आश्रम यूट्यूब